महानगर की स्वच्छता रैंकिंग 233, जनवरी के सर्वेक्षण के लिए भी कोई तैयारी नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Dec, 2017 12:19 PM

punjab corporation elections 2017

शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पार्कों की खस्ता हालत के बाद तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा शहर की सफाई और सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट का है लेकिन निगम चुनाव के प्रचार के बीच यह मुद्दा भी खोया नजर आ रहा है। पिछले 10 साल से शहर की आबादी करीब 2 लाख बढ़ चुकी है। इस...

जालंधर(नरेश): शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पार्कों की खस्ता हालत के बाद तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा शहर की सफाई और सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट का है लेकिन निगम चुनाव के प्रचार के बीच यह मुद्दा भी खोया नजर आ रहा है। पिछले 10 साल से शहर की आबादी करीब 2 लाख बढ़ चुकी है। इस बढऩे वाली आबादी के चलते पैदा होने वाले कूड़ा-कर्कट को लेकर कोई योजना नहीं बनाई गई। इसका नतीजा यह हुआ कि  शहर पिछले साल देश भर में स्वच्छता के मामले में 233वें नंबर पर रहा। निगम ने पिछले साल शहर की सफाई के लिए करीब 3.75 करोड़ रुपए के सफाई उपकरण खरीदे हैं लेकिन इतने खर्च के बावजूद अभी तक निगम वरियाना गांव में लगे कूड़े के डम्प का भी कोई हल नहीं कर पाया है। इसे लेकर निगम ने एक निजी कंपनी के साथ कई साल पहले करार किया था जिसके तहत रोजाना इस डम्प में से 350 टन कूड़े को डी-कम्पोज किया जाना था लेकिन अब यह प्लांट नाममात्र चल रहा है। 

बदबू का सामना करने के साथ होती है दिन की शुरूआत
शहर की आबादी का एक बड़ा हिस्सा रोजाना सुबह ड्यूटी पर जाते समय शहर में लगे कूड़े के ढेरों का सामना करता है और कूड़े से उठने वाली बदबू से ही काम पर जाने वाले लोगों के दिन की शुरूआत होती है। शहर में नकोदर रोड, लाडोवाली रोड, प्रताप बाग, बस्ती शेख, बस्ती मिट्ठू, प्लाजा चौक के पास ऐसे कूड़े के डम्प हैं जहां सुबह 8 बजे से कूड़े के ढेर लगने शुरू हो जाते हैं और 10 बजे के इर्द-गिर्द इन ढेरों से कूड़ा उठाया जाता है। यह वह समय होता है जब सुबह-सुबह लोग अपने काम-धंधे के लिए निकलते हैं। 

शहर में कहां-कहां हैं कूड़े के बड़े डम्प 
कनकोदर रोड-खालसा स्कूल के बाहर
कलाडोवाली रोड-अलास्का चौक 
कबस्ती शेख-दशहरा ग्राऊंड के बाहर 
कमि_ू बस्ती-नहर के किनारे 
कबल्र्टन पार्क-पार्क के बाहर 
कपुराना जी.टी. रोड-प्लाजा चौक 
कप्रताप बाग के निकट 

ड्डबायो माइनिंग प्लांट को लेकर भी कोई प्रगति नहीं
पिछले साल स्व‘छता सर्वेक्षण में शहर की नाक कटवाने के बाद अब जनवरी में होने वाले नए सर्वेक्षण के लिए भी निगम ने कोई तैयारी नहीं की है। निगम के पास क्वालिटी काऊंसिल ऑफ  इंडिया को देने के लिए ऐसी कोई योजना नहीं है जिसके तहत रोजाना शहर में पैदा होने वाले करीब 480 टन कूड़े के डिस्पोजल का पुख्ता प्रबंधन किया जा सके। निगम इस मामले में अब तक करोड़ों रुपए खर्च कर चुका है लेकिन सफाई के तमाम प्रयास धरे के धरे रह जाते हैं। इसी साल 6 सितम्बर को हुई नगर निगम की आखिरी बैठक में हाऊस में सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट के लिए बायो माइङ्क्षनग प्लांट की घोषणा की गई थी लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है और निगम में यह प्रपोजल लटका पड़ा है। इसके अलावा वार्ड स्तर पर बायो प्लांट लगाने की भी योजना थी लेकिन उस पर भी कोई काम नहीं हुआ है, लिहाजा निगम के लिए इस साल भी स्व‘छता सर्वेक्षण में शहर की रैंकिंग में सुधार कर पाना मुश्किल लग रहा है। 

सिद्धू की घोषणा पर भी नहीं हो सका कोई खास काम
इस साल पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू ने शहर के बाहर 50 एकड़ जमीन लेकर शहर के कूड़े का प्रबन्धन किए जाने की घोषणा की थी लेकिन इस घोषणा के 6 माह बीत जाने पर भी इस दिशा में कोई खास काम नहीं हो सका है।

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