पंजाब कृषि विभाग ने चलाया टिड्डी मार अभियान, दिन में एक दल खा जाता है 25 सौ लोगों का खाना

Edited By Suraj Thakur,Updated: 20 Feb, 2020 11:35 AM

punjab agriculture department launched grasshopper campaign

कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है जिसमें कहा गया है कि इस मसले पर पाकिस्तान से बात की जानी चाहिए।

-देश में  3,10,584 हेक्टेयर कृषि भूमि पर दवा का  किया जा चुका है छिड़काव
-कैप्टन लिख चुके हैं पीएम को चिट्ठी, पाकिस्तान से मुद्दा उठाने की मांग 

जालंधर। (सूरज ठाकुर) पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने तीन जिलों  फाजिल्का,मुक्तसर और भटिंडा जिलों में छोटी संख्या में टिड्डियों के 5 से 20 दल होने की पुष्टि थी। इसके बाद से ही टिड्डियों से निपटने के लिए सरकार ने तीनों जिलों में व्यापक स्तर पर अभियान छेड़ रखा है ताकि किसानों की फसलों को बचाया जा सके। इसी बीच केंद्र और कैप्टन सरकार ने दावा भी किया है कि राज्य में टिड्डियों से फसलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। वहीं सूबे के सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा है जिसमें कहा गया है कि इस मसले पर पाकिस्तान से बात की जानी चाहिए। पत्र में लिखा है कि कीटों को नियंत्रित करने में कोई भी लापरवाही भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात राज्यों में कमोडिटी की कीमतों और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है । लोकस्ट (टिड्डी) वार्निंग ऑर्गनाइजेशन (एलडब्ल्यूओ) के मुताबिक बीते साल दिसंबर माह में देश भर में  3,10,584 हेक्टेयर कृषि भूमि पर दवा का छिड़काव किया जा चुका है। संस्था के शोध के मुताबिक टिड्डियों का एक छोटा दल एक दिन में 10 हाथी और 25 ऊंट या 2500 आदमियों के बराबर खाना खा सकता है।

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सरकार ने फसलों को बचाने के लिए कसी कमर
पंजाब में फाजिल्का के गांवों में टिड्डियों का दल राजस्थान होते हुए पाकिस्तान से आया था। कृषि विभाग के निदेशक शंवत के मीडिया में दिए गए ब्यान के मुताबिक फाजिल्का के खुइयां सरवर ब्लॉक के वेरका और रूपनगर गांवों में टिड्डियों के झुंड देखे गए हैं। जबकि संयुक्त निदेशक गुरविंदर सिंह की माने तो इन गांव में टिड‍्डियों को नियंत्रित करने के लिए फायर ब्रिगेड वाहनों और ट्रैक्टर के माध्यम से हाईप्रैशर से कीटनाशक स्प्रे का इस्तेमाल किया गया है। राज्य में टिड‍्डियों के दल के हमले का खतरा दिसंबर से ही बना हुआ था। जिसकी पुष्टि 2 फरवरी को कृषि विभाग ने की थी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने राज्य सभा में राजस्थान और गुजरात में टिड्डियों से फसलों को नुकसान होने की बात कही है जबकि उन्होंने कहा कि पंजाब और हरियाणा में टिड्डियों के दल से फसलों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। पंजाब कृषि विभाग ने भी दावा किया है कि संभावित टिड्डी हमले से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

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ऐप से होगा टिड्डियों का खात्मा
वैश्विक स्तर पर किसानों को फसलों को नष्ट करने वाले कीटों से निपटने के लिए ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ लिंकन के शोधकर्ताओं की टीम ने मैस्ट्रो नामक विशेष ऐप बनाया है। यह ऐप स्मार्टफोन के कैमरे के माध्यम से टिड्डियों और कीटों को पहचान सकता है। यह जीपीएस लोकेशन को रिकॉर्ड कर सकता है। शोध साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों की टीम ने ऐप को बनाने के लिए  3,500 से अधिक टिड्डों के फोटो एकत्रित किए हैं । यह विभिन्न इलाकों और पौधों को भी पहचान सकता है। किसान ऐप मदद से टिड्डियों की संख्या भी पता लगा सकेंगे और कितना कीटनाशक कहां स्प्रे करना है यह भी जान पाएंगे।

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सबसे घातक है रेगिस्तानी टिड्डी
एलडब्ल्यूओ  के मुताबिक 1926 से 1931 के बीच टिड्डियों के हमले से लगभग 10 करोड़ का नुकसान हुआ था। जबकि 1940-46 और 1949-55 के दौरान लगभग दो-दो करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। 1993 में लगभग 75 लाख रुपए के नुकसान का दर्ज किया गया था। एक शोध के मुताबिक एक व्यस्क टिड्डी की रफ्तार 12 से 16 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। दुनिया में टिड्डियों की 10 प्रजातियां हैं, इनमें से 4 प्रजातियां भारत में पाई गई हैं। प्रवासी टिड्डियां, बॉम्बे टिड्डी और ट्री (वृक्ष) टिड्डी भी भारत  में आ जाती हैं। सबसे खतरनाक रेगिस्तानी टिड्डी होती है और पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात राज्यों में इन्हीं के हमले किसान आतंकित हैं।  संगठन की माने तो इस बार टिड्डियों का हमला 1993 से अधिक बड़ा है।  

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