दुखी हुए  NRI ने पंजाब सरकार के खिलाफ जमकर निकाली भड़ास

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jun, 2017 11:50 AM

protest against nri

एन.आर.आइज की शिकायतों के लिए बनाए गए सैल में भी सुनवाई न होने पर एन.आर.आई. ने सरकार के खिलाफ जम कर भड़ास निकाली।

 पटियाला(जोसन) : एन.आर.आइज की शिकायतों के लिए बनाए गए सैल में भी सुनवाई न होने पर एन.आर.आई. ने सरकार के खिलाफ जम कर भड़ास निकाली। आस्ट्रेलिया से आया भरतइंद्र सिंह सोही जोकि पटियाला के सैंचुरी एन्क्लेव का निवासी है, ने प्रैस कान्फ्रैंस दौरान कहा कि या तो सरकार अपने एन.आर.आई. सैल को बंद कर दे या फिर सही तरीके से चलाए जिससे बाहर से आशा लेकर आने वाले एन.आर.आइज की समस्याएं हल हो सकें। उसने बताया कि दि पटियाला सैंट्रल को-आप्रेटिव बैंक पटियाला के कई अधिकारी हर ग्राहक को बलि का बकरा बनाने के लिए उतावले रहते हैं, जिसमें वह भी शामिल है। इस पर आज तक किसी भी सरकार ने गौर नहीं किया। इसकी सी.बी.आई. जांच करवाई जाए तो बहुत बड़े घोटाले सामने आ सकते हैं। 

सोही ने बताया कि वह और उसके भाई ने दि पटियाला सैंट्रल को-आप्रेटिव बैंक भूपिन्द्रा नगर से साल 2013 में 8 लाख का हाऊस लोन ज्वाइंट लिया था। विदेश होने के कारण वह लोन की किस्तें न भर सका और लोन एन.पी.ए. में चला गया। इस बारे मुझे तब पता चला जब वह सितम्बर 2016 में विदेश से वापस आया। इसके बाद उसने दोबारा विदेश से आकर दिसम्बर 2016 में 40 हजार रुपए बैंक में भरे और केस को एन.पी.ए. में से निकालने के लिए कहा। वह फिर विदेश चला गया और पैसों का इंतजाम करके फरवरी 2017 में वापस आया और 8 लाख रुपए जमा करवा दिए।

सोही के मुताबिक बैंक अधिकारियों ने उसे एन.ओ.सी. देने के लिए पीछे-पीछे लगवाने के बाद एन.ओ.सी. जारी कर दी, परंतु उसमें न तो पैसे लिखे और न ही प्रापर्टी का विवरण, जिसको मानने से पटवारी ने इंकार कर दिया, जब वह फिर बैंक गया तो उन्होंने फिर कई चक्कर कटा कर फिर एक एन.ओ.सी. जारी कर दी, इसमें पैसे लिख दिए परंतु प्रापर्टी का विवरण न लिखा, इस एन.ओ.सी. को भी पटवारी ने मानने से इंकार कर दिया। इसके बाद जब उसे फिर भी सही एन.ओ.सी. न मिली तो फिर वह उपभोक्ता अदालत गया, जहां बैंक ने एक तीसरी एन.ओ.सी. पेश की, जिसमें पैसे और प्रापर्टी नंबर लिखा हुआ था। उसने बताया कि जिला मैनेजर राकेश गोयल और राजेश सिंगला एक कंपनी का काम भी करते हैं, जोकि ग्राहकों को मजबूरीवश मैंबर बनाते हैं और मुझे भी पेशकश की थी और सैंपल के तौर पर मुझे कंपनी का सामान भी दिया गया था, मेरे मैंबर न बनने का नतीजा ही मेरी परेशानी का कारण बना है।

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