Edited By Vatika,Updated: 10 Apr, 2019 12:17 PM
पाकिस्तान सरकार तो भारतीय कैदियों के साथ अमानवीय अत्याचार कर ही रही है वहीं भारत सरकार भी अपने कैदियों के साथ कोई अच्छा व्यवहार नहीं कर रही। पाकिस्तान की तरफ से रिहा किए गए 100 भारतीय मछुआरे तो अपने घर वापसी पर खुश हैं लेकिन एक ऐसा जासूस भी है जो...
अमृतसर (नीरज): पाकिस्तान सरकार तो भारतीय कैदियों के साथ अमानवीय अत्याचार कर ही रही है वहीं भारत सरकार भी अपने कैदियों के साथ कोई अच्छा व्यवहार नहीं कर रही। पाकिस्तान की तरफ से रिहा किए गए 100 भारतीय मछुआरे तो अपने घर वापसी पर खुश हैं लेकिन एक ऐसा जासूस भी है जो पाकिस्तान से रिहा होने के बाद खुश नहीं है और भारत सरकार से खफा है।
हम बात कर रहे हैं गोपालदास जासूस की जिसने पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में 27 वर्ष तक सजा काटी और इससे पहले कई वर्षों तक पाकिस्तान में खुफिया एजैंसी रॉ के लिए जासूसी की लेकिन भारत सरकार ने अपने इस जासूस को न तो कोई वेतन दिया और न ही जेल में सजा काटने के दौरान उसके परिवार की कोई आर्थिक मदद की। आज हालत यह है कि गोपाल दास टैक्सी चलाकर अपने परिवार का पेट पाल रहा है। गोपाल दास ने खुफिया एजैंसी रॉ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर कर रखी है और अदालत से न्याय मांग रहा है। गोपाल दास की मांग है कि उसको पिछले 27 वर्षों का वेतन व अन्य भत्ते दिए जाएं क्योंकि जिस समय रॉ के अधिकारियों ने उसे पाकिस्तान भेजा था तो कहा था कि उसको बढिय़ा वेतन दिया जाएगा और उसके परिवार की भी पीछे से आर्थिक मदद की जाएगी लेकिन गोपाल दास को न तो कोई वेतन दिया गया और न ही किसी प्रकार की आर्थिक मदद मिली यहां तक कि पाकिस्तान से रिहा होने के समय भी रॉ या किसी अन्य एजैंसी ने उसकी मदद नहीं की।
रॉ के बहकावे में न आए कोई देशभक्त
गोपाल दास का कहना है कि सेना तो जंग के समय में दुश्मन के साथ लड़ती है लेकिन जासूस अपनी जान हथेली पर रखकर दुश्मन के देश में जाता है और छिपकर रहता है। जासूस की ड्यूटी एक सैनिक से ज्यादा सख्त व कड़ी होती है क्योंकि पकड़े जाने पर सजा-ए-मौत या फिर उम्रकैद की सजा तय रहती है। जासूसी का काम वही कर सकता है जिसके मन में देशभक्ति का जज्बा हो लेकिन रॉ जैसी एजैंसियां देशभक्ति के जज्बे वाले लोगों को अपने झांसे में फंसा लेती हैं और पाकिस्तान भेज देती हैं लेकिन पकड़े जाने के बाद अपने जासूस की कोई मदद नहीं करतीं, इसलिए किसी भी देशभक्त को रॉ के बहकावे में नहीं आना चाहिए।
जासूस पंकज कुमार को भी रॉ से नहीं मिली कोई मदद
गोपाल दास जासूस की ही भांति पाकिस्तान में 14 वर्ष की सजा काटने वाले जासूस पंकज कुमार भी भारत सरकार के रवैये से खफा है।उसको भी रॉ की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई जबकि पंकज कुमार ने जान हथेली पर रखकर पाकिस्तान में जासूसी की है। पंकज कुमार का भी यही कहना है कि नौजवानों को रॉ के झांसे में नहीं आना चाहिए।