Navratri 2024 : नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की ऐसे करें आराधना, मिलेंगे ढेर सारे शुभ फल

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 06 Oct, 2024 12:47 AM

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देशभर में इन दिनों नवरात्रों का उत्सव चल रहा है और पूरे नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में हर दिन मां के एक स्वरूप की पूजा की जाती है। कल नवरात्रों का चौथा दिन है और यह दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है। यानिकी नवरात्रों के चौथे दिन मां कुष्मांडा की...

पंजाब डैस्क : देशभर में इन दिनों नवरात्रों का उत्सव चल रहा है और पूरे नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में हर दिन मां के एक स्वरूप की पूजा की जाती है। कल नवरात्रों का चौथा दिन है और यह दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है। यानिकी नवरात्रों के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि  मां कूष्मांडा की पूजा विधिवत तरीके से करने से व्यक्ति हर तरह के दुख-दरिद्रता से निजात पा लेता है और जीवन में खुशियां ही खुशियां आती है। मान्यता है कि मां कूष्मांडा ने सृष्टि की रचना की थी।

माता कुष्मांडा की पूजा से व्यक्ति को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है, ऐसा माना जाता है, साथ ही उसे उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु प्राप्त होती है। मान्यता है कि, जो भी व्यक्ति मां कुष्माण्डा की आराधना करता है उसे सुख-समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है। ऐसा मान्यता है कि जब सृष्टि का निर्माण नहीं हुआ था और चारों ओर सिर्फ अंधकार था तब मां कुष्माण्डा ने अपनी हल्की सी मुस्कान से ही पूरे ब्रह्मांड की रचना की।  
नवरात्रि के पांचवें दिन मां कुष्मांडा को आटे और घी से बने मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से भक्त को बल-बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

पूजा विधि

1. सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। 
2. सबसे पहले कलश आदि से पुराने फूल, भोग आदि हटा दें और फिर पूजा आरंभ करें। 
3. मां दुर्गा और उनके स्वरूपों की पूजा करें। 
4. सिंदूर, फूल, माला, अक्षत, कुमकुम, रोली आदि चढ़ाने के साथ मां कुष्मांडा का प्रिय भोग मालपुआ लगाएं।
5.  इसके बाद जल चढ़ाएं। 
6. फिर घी का दीपक और धूप जलाकर मां दुर्गा चालीसा , दुर्गा सप्तशती का पाठ के साथ मां कूष्मांडा के मंत्र, स्तोत्र आदि का पाठ कर करें। 

मां कुष्मांडा की स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कुष्मांडा की प्रार्थना
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
 
 

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