पाक से लौटने के बाद पंजाब केसरी के साथ सिद्धू का Exclusive इंटरव्यू

Edited By swetha,Updated: 20 Aug, 2018 11:25 AM

पूर्व क्रिकेटर और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान के अपने दो दिवसीय दौरे से लौट आए हैं। 35 साल पुराने दोस्त इमरान खान के बतौर प्रधानमंत्री शपथ लेने के बाद वतन लौटते ही उन्होंने सबसे पहले पंजाब केसरी को इंटरव्यू दिया। पंजाब केसरी...

अमृतसरः पूर्व क्रिकेटर और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान के अपने दो दिवसीय दौरे से लौट आए हैं। 35 साल पुराने दोस्त इमरान खान के बतौर प्रधानमंत्री शपथ लेने के बाद वतन लौटते ही उन्होंने सबसे पहले पंजाब केसरी को इंटरव्यू दिया। पंजाब केसरी के प्रतिनिधि सुधीर पांडे से विशेष बातचीत करते हुए सिद्धू ने अपने पाकिस्तान दौरे को सार्थक बताया और आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब दिया। सिद्धू ने उन सभी सवालों का जवाब दिया जो देश की जनता उनसे जानना चाहती है। पेश है नवजोत सिंह सिद्धू का पूरा इंटरव्यू-

प्र.  पाकिस्तान का दौरा कैसा रहा? 
उ. पाकिस्तान का दौरा बेहद शानदार रहा। जो मैं सोचता था उससे बहुत ज्यादा मिला। मैंने सुना था कि प्रेम बांटने से बढ़ता है लेकिन पाकिस्तान जाकर मैंने यह अनुभव किया है। संबंध सुधारने की अगर यहां चाहत है तो वहां से तीव्र गति से इस पर काम हो रहा है। इसके सार्थक परिणाम आपको जरूर देखने को मिलेंगे। 

प्र.  पाक के नए पी.एम. इमरान खान से कितनी देर तक बातचीत हुई? क्या इस मुलाकात से दोनों देशों के रिश्ते सुधरेंगे?
उ.इमरान से मेरी बंद कमरे में 40 मिनट तक बातचीत हुई। हमने अपनी पुरानी यादों के साथ-साथ कई अहम मुद्दों पर भी चर्चा की। इमरान बेहद सुलझे हुए इंसान हैं। 35 वर्षों का जांचा-परखा व्यक्ति है और उन्हें इमरान से भारत को लेकर काफी उम्मीदें हैं। दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने के लिए संपर्क बेहद जरूरी है और अगर संपर्क रहेगा तो संदेह नहीं रहेगा। मैं पाकिस्तान सरकार बनकर नहीं दोस्त बनकर गया था और मुझे यकीन है कि अगर हमारी सरकार एक कदम चलेगी तो वह दो कदम चलेंगे। 

प्र.  क्या आपके दौरे से सिखों को करतारपुर कोरिडोर का तोहफा मिलेगा?
उ.पाकिस्तान में मुझे जो रिस्पॉन्स मिला है वह ऐसा लगा कि बिन मांगे सब कुछ मिल गया हो। बिना कोशिश किए ही हमारी झोली भर गई। पाक सेना प्रमुख ने गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर कोरिडोर खोलने के लिए विचार करने की बात कही है। मुझे लगता है कि अगर बिछड़े गुरु धामों के दर्शन हो जाएं तो इससे बड़ी चीज और कुछ नहीं हो सकती। बाजवा खुद उनके पास आए और उन्होंने कोरिडोर को लेकर सकारात्मक संकेत दिए हैं। 

प्र.  आपने अपने बयान में कहा कि इमरान पाकिस्तान की किस्मत बदलने का सामथ्र्य रखते हैं। क्या पाक भारत को लेकर बदल पाएगा? 
उ. मुझे नहीं लगता कि इमरान खान किसी स्वार्थ के लिए राजनीति में हैं। लोगों की जो उम्मीद है वह पूरी होती दिख रही है। शपथ ग्रहण से पहले उन्होंने अपने दिल पर हाथ रखकर मेरी तरफ देखा और सब ठीक होने का एहसास दिलाया। शपथ ग्रहण समारोह खत्म होते ही इमरान सबसे पहले मेरी तरफ आए मुझे कसकर गले लगाया। इमरान ने शाबाश कहा और बोले मुझे आपसे यही उम्मीद थी। इमरान के इस सकारात्मक रवैये से देश की आस बढ़ी है। 

प्र.  क्या दोनों देशों के बीच क्रिकेट को लेकर भी बात हुई? 
उ.बंद कमरे में पुराने साथियों के साथ क्रिकेट को लेकर भी बातचीत हुई। पाकिस्तान के साथ खेल हो या नहीं, इस पर आखिरी फैसला सरकारों को करना है लेकिन एक क्रिकेटर और दोस्त होने के नाते हमने आई.पी.एल. जैसे टूर्नामैंट को लेकर मैच की बात जरूर की है। खेल एक ऐसा जरिया है जिससे रिश्तों में सुधार तेजी से हो सकता है। पीपुल टू पीपुल कांटैक्ट से हर मसले का हल निकाला जा सकता है। 

प्र.  सेना प्रमुख बाजवा से गले मिलने पर शहीद के परिवारों में रोष है। 
उ. मेरे लिए हमारे जवान सबसे ऊपर हैं। जितने भी जवान हैं वे मेरी पगड़ी हैं। सीमा पर खून-खराबा देखता हूं तो मेरा दिल पसीजता है। शहीदों के परिवार से मैं आत्मा से जुड़ा हूं और जवानों की शहादत रुके, सीमा पर शांति हो मेरी यही हमेशा दिली कामना रहती है। अगर मेरे इस दौरे से सीमा पर शांति होती है तो मैं मानूंगा कि मेरा यह दौरा सफल रहा। 

प्र.जनरल बाजवा से झप्पी का कैप्टन अमरेंद्र भी विरोध कर रहे हैं। 
उ.मेरा विरोध कोई पहली बार नहीं हुआ है। मुझे कई बार विरोधों का सामना करना पड़ता है लेकिन सत्य कभी झुकता नहीं है।

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