रोजाना घुल रहा है सतलुज और ब्यास में कई मिलियन लीटर सीवरेज, NGT बोला लापरवाह हैं अधिकारी

Edited By swetha,Updated: 04 Dec, 2019 02:21 PM

national green tribunal

सतलुज में प्रतिदिन करीब 381 और ब्यास में रोजाना 29.2 मिलियन लीटर सीवरेज का पानी सीधे घुल रहा है।

चंडीगढ़(अश्वनी): 2 साल बाद भी पंजाब की नदियों में घुल रहे सीवरेज की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। सतलुज दरिया में प्रतिदिन करीब 381 मिलियन लीटर तो ब्यास में रोजाना 29.2 मिलियन लीटर सीवरेज का पानी सीधे घुल रहा है।  यह तथ्य नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) द्वारा सतलुज-ब्यास नदी के प्रदूषण पर गठित मॉनीटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में सामने आए हैं। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस जसबीर सिंह की अध्यक्षता वाली मॉनीटरिंग कमेटी की पहली रिपोर्ट में पंजाब की प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि कमेटी ने विभिन्न बैठकों में जिन प्रशासनिक विभागों को दिशा-निर्देश जारी किए, उनमें से कइयों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इसके चलते नदियों के संरक्षण को लेकर खास प्रगति नहीं हो पाई है। नदियों की जल गुणवत्ता में वर्ष 2018 की तुलना थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन जिन कार्यों के लिए समय अवधि निर्धारित की थी, उसे लेकर अधिकारी खासे लापरवाह हैं।

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रिपोर्ट में सतलुज दरिया का हवाला देते हुए बताया गया कि दरिया के आसपास करीब 50 शहर हैं जिनसे रोजाना करीब 1421.3 मिलियन लीटर गंदा पानी निकलता है। करीब 1040.30 मिलियन लीटर पानी को सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट (एस.टी.पी.) से जोड़ा जा सका है जबकि करीब 381 मिलियन लीटर की सफाई के लिए अभी कोई व्यवस्था नहीं है, जो सीधे सतलुज में घुल रहा है। ऐसे में इन शहरों में करीब 75 प्लांट्स की जरूरत है। इस समय 29 शहरों में 48 प्लांट काम कर रहे हैं जबकि 3 शहरों में 5 प्लांट निर्माणाधीन हैं। इसी कड़ी में ब्यास दरिया के आसपास करीब 15 शहर हैं जिनसे रोजाना करीब 105.3 मिलियन लीटर गंदा पानी निकलता है। राज्य सरकार अब तक करीब 76.1 मिलियन लीटर पानी को ही एस.टी.पी. से जोड़ पाई है जबकि बाकी करीब 29.2 मिलियन लीटर गंदा पानी रोजाना ब्यास नदी में घुल रहा है। ब्यास नदी के आसपास 15 शहरों में अभी 10 ट्रीटमैंट प्लांट ऑप्रेट हो रहे हैं जबकि 21 सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की आवश्यकता है। 

आर्थिक तंगी से बदहाल योजनाएं 
रिपोर्ट में पंजाब की आर्थिक तंगी भी खुलकर सामने आई है जिस कारण एस.टी.पी. की कई योजनाएं सिरे नहीं चढ़ पा रही हैं। कई प्लांट्स को तत्काल अपग्रेड करना अनिवार्य है लेकिन पैसे की किल्लत के कारण कार्य अधर में है। इस बाबत जिला प्रशासन ने पंजाब सरकार को फंड्स के लिए कई बार पत्र भेजे लेकिन अब तक कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है। ट्रीटमैंट प्लांट के पानी से सिंचाई की योजना भी अधर में रिपोर्ट में बताया गया कि जुलाई, 2019 को बैठक में डिपार्टमैंट ऑफ सॉयल एंड वाटर कंजर्वेशन ने लुधियाना के एस.टी.पी. से निकलने वाले करीब 466 एम.एल.डी. पानी को सिंचाई के लिए इस्तेमाल करने संबंधी फिजिबलिटी स्टडी की बात कही थी। बावजूद इसके विभाग ने कमेटी को स्टडी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। 

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गांवों में ट्रीटमैंट के लिए नहीं पैसा 
कमेटी ने दरिया के कैचमैंट एरिया में आने वाले गांवों में भी सीवरेज ट्रीटमैंट का सुझाव दिया था लेकिन फंड्स की कमी के कारण योजना अधर में है। पंजाब ग्रामीण एवं पंचायत विभाग के अधिकारियों की मानें तो पहले चरण में करीब 75 गांवों में सीचेवाल या हरिपुर मॉडल के तहत ट्रीटमैंट की योजना बनाई थी। इन पर करीब 22.50 करोड़ के खर्च का अनुमान था लेकिन अभी तक फंड्स उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। 

डेयरी कॉम्पलैक्स में नहीं कोई सुधार 
रिपोर्ट में बताया गया कि हैबोवॉल डेयरी कॉम्पलैक्स से रोजाना करीब 10 मिलियन लीटर गंदा पानी निकलता है। स्थानीय प्रशासन ने ट्रीटमैंट का आश्वासन दिया था लेकिन कोई पहल नहीं की गई है। कुछ ऐसा ही हाल ताजपुर रोड डेयरी कॉम्पलैक्स का भी है। यही वजह है कि बुड्ढा नाला की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है। वहीं, जुलाई 2019 की बैठक में जल स्रोत विभाग को जल्द बुड्ढा नाला से गार निकासी के निर्देश दिए थे लेकिन अब तक कोई रिपोर्ट सबमिट नहीं की गई है।

कैचमैंट एरिया में हैल्थ स्टडी नहीं 
कमेटी ने पिछली बैठकों दौरान सतलुज-ब्यास दरिया के कैचमैंट एरिया में आने वाली आबादी के स्वास्थ्य जांच का निर्देश दिया था लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने कैंप नहीं लगाए। विभाग ने बताया था कि चंडीगढ़ स्थित पी.जी.आई. के विशेषज्ञों से बात की जा रही है लेकिन अभी तक मामला कागजों में ही अटका है। कैंप के जरिए पता लगाया जाना था कि सतलुज-ब्यास दरिया के प्रदूषण की वजह से आस-पास रहने वालों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा है या नहीं। हालांकि लोगों की प्राथमिक जांच रिपोर्ट में साबित हो चुका है कि प्रदूषण की वजह से आस-पास रहने वालों में चर्म रोग, श्वास व पेट की बीमारियां बढ़ रही हैं।

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एन्वायरनमैंट प्रोटैक्शन स्कॉयड करे अचानक चैकिंग
कमेटी ने प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाइयों के अचानक निरीक्षण पर जोर देते हुए पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को निर्देश दिए हैं। कमेटी ने कहा कि बोर्ड एन्वायरनमैंट प्रोटैक्शन स्कॉयड के जरिए इकाइयों में छापेमारी करे ताकि प्रदूषण संबंधी असल तथ्य सामने आ सकें। कमेटी ने खुद भी लुधियाना के ग्यासपुरा में औद्योगिक इकाइयों का दौरा किया। नियमों का उल्लंघन करने पर श्री गणेश एग्रोयाल्स, पंजाब पेपर मिल्स पर 25-25 लाख का जुर्माना लगाया। वहीं, कई इकाइयों के लिए नए निर्देश जारी किए। इससे पहले कमेटी ने लुधियाना फोकल प्वाइंट की औद्योगिक इकाइयों का निरीक्षण किया था, जिसमें 2 पर 50 लाख जुर्माना सहित 3 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने के निर्देश दिए थे।

बद्दी कॉमन ट्रीटमैंट प्लांट पर निर्धारित मानकों का उल्लंघन करने पर 1 करोड़ का जुर्माना
कमेटी ने बद्दी में 25 एम.एल.डी. की क्षमता वाले साझा अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र का दौरा किया। उसमें पाया कि संयंत्र बिना ट्रीटमैंट के ही गंदे पानी को सतलुज नदी से मिलने वाली सरसा नदी में धकेल रहा है। कमेटी ने उल्लंघन पर ट्रीटमैंट प्लांट से जुड़ी औद्योगिक इकाइयों पर 1 करोड़ जुर्माना लगाया। इसी कड़ी में संयंत्र संचालक और स्पैशल पर्पज व्हीकल बद्दी इंफ्रास्ट्रक्चर से 50 लाख बैंक गारंटी भी वसूलने की बात कही ताकि निर्धारित समय अविधि दौरान संयंत्र को अपग्रेड किया जा सके।

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पेयजल सप्लाई में कटौती के लिए डिटेल प्रोजैक्ट रिपोर्ट मांगी
रिपोर्ट में पेयजल सप्लाई में कटौती का भी जिक्र किया गया है। बताया गया है कि कमेटी के सदस्य संत सीचेवाल ने जालंधर में अधिक पेयजल सप्लाई का मामला उठाया था जिस पर स्थानीय प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है। संभव है कि आगामी बैठक में पेयजल कटौती पर निर्णय लिया जाए। इसी कड़ी में रियल टाइम वाटर क्वालिटी मॉनीटरिंग स्टैशन चालू करने की समय अविधि भी निर्धारित की गई है।

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