Video: जानिए, क्यों खतरे में है पांडवों का 5500 साल पुराना मुक्तेश्वर धाम

Edited By Mohit,Updated: 15 Dec, 2018 03:38 PM

साढे 5 हजार साल पुराने मुक्तेश्वर धाम का अस्तित्व खतरे में है। द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान पत्थरों को काट कर बनाई गुफा यह वो स्थान है, जिसे मिनी हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है।

पठानकोटः साढे 5 हजार साल पुराने मुक्तेश्वर धाम का अस्तित्व खतरे में है। द्वापर युग में पांडवों द्वारा अज्ञातवास के दौरान पत्थरों को काट कर बनाई गुफा यह वो स्थान है, जिसे मिनी हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है। अपने अंदर हजारों साल पुराना इतिहास संभाले बैठे इस आस्था के केंद्र का अस्तित्व आज खतरे में है। इसके रावी में जल समाधि ले लिए जाने का डर है। दरअसल, सालों से लटका शाहपुर तटीय बैराज प्रोजेक्ट एक बार फिर से चालू होने जा रहा है और इसके लिए ग्रांट भी मिल गई है। यदि यह प्रोजेक्ट पूरा होता है तो गुफा रूपी यह मंदिर रावी दरिया में समा जाएगा। हालांकि अभी तक इंजीनियर यहां बांध का कोई भी काम पूरा नहीं कर पाए।

अगर मंदिर के इतिहास की बात करें तो माना जाता है कि अपने बनवास के 12वें साल में पांडवों ने यहां 6 महीने बिताऐ और पहाड़ काटकर 5 गुफाओ का निर्माण किया। इन गुफाएं में में से एक गुफा में पांडवें द्वारा स्थापित शिवलिंग और युधिष्ठर का धूना आज भी मौजूद है।

मन्दिर के पुजारी के अनुसार धर्म और इतिहास की इस धरोहर को बचाने के लिए उन्होंने समय-समय की सरकारें से बात की, लेकिन हर किसी ने उन्हें लारों में ही उलझकर रखा, किसी ने भी उनकी बात नहीं सुनी। उधर, डैम प्रशासन ने माना कि मंदिर के कारण डैम बनाने में रुकावटे तो ज़रूर आ रही हैं लेकिन लोगों की भावनायों को देखते हुए वह इस मंदिर को आंच तक नहीं आने देंगे और कोशिश करेंगे ऐसा रास्ता ढूंढने की, जिससे प्रोजेक्ट भी पूरा हो जाए और मंदिर भी सलामत रहे।

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