Edited By Urmila,Updated: 19 Jun, 2023 04:15 PM
महानगर की आबादी 35 लाख के पार हो गई है। यहां के लगभग आधे से ज्यादा लोग मांसाहारी नजर आते हैं।
लुधियाना (मुल्लांपुरी) : महानगर की आबादी 35 लाख के पार हो गई है। यहां के लगभग आधे से ज्यादा लोग मांसाहारी नजर आते हैं, क्योंकि वे रोज चौराहों, होटलों, दुकानों, रेस्तराओं, और गलियों में लोग चिकन खाते नजर आते हैं। इनमें युवा पीढ़ी और पूंजीपतियों के अलावा बड़ी संख्या में प्रवासी भी शामिल होते हैं। लुधियाना में जिस तरह नॉन वेज बेचने वाले सज्जन चिकन मीट या चिकन की और भी कई डिश जैसे बटर चिकन, चिली चिकन, तंदूरी चिकन, फ्राई, टंगरी, लेमन चिकन परोसते हैं, ग्राहकों को न जाने और कितनी वैरायटी परोसते हैं। लुधियाना ही नहीं, आसपास के शहरों मुल्लांपुर, साहनेवाल, जगराओं, माछीवाड़ा, समराला, रायकोट समेत कई अन्य स्थानों पर हाथो हाथ परोसा जा रहा है।
अब सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में मुर्गें कहां से आते हैं और कौने डॉक्टरों की टीम या लैब इन्हें कौन कलीन चिट देती है कि मुर्गे स्वस्थ हैं या बीमार? यह उपरोक्त प्रश्न कई संदेह पैदा करता है क्योंकि लुधियाना के पूर्व सांसद बिट्टू ने शलाटर का दौरा किया तो वहां तैनात एक अधिकारी ने उन्हें बताया कि लुधियाना नान वैज खाने वाले रोजाना 50 हजार मुर्गे खा जाते हैं। गत दिवस मीडिया में भी ब्यान आया था लेकिन किसी ने ध्यान देना जरूरी नहीं समझा लेकिन अब चिकन खाने के शौकीन खुद सोच लें कि वे मुर्गो खा रहे हैं या कुछ और... । यह विवरण केवल मुर्गे की वैरायटी से सम्बंधित है मच्छी और मटन सहित नान वैज की किस्मों का कितना मीट लुधियानावीं खाते हैं इस बारे पूर्ण रुप से पुष्टि नहीं हो पाई है। एक नान वैज के शौकीन ने चुटकी लेते कहा कि आज कल को पेट की बीमारी चटपटे मसाले और कहीं न कहीं उसमें मुर्गे भाई का भी बड़ा योगदान लग रहा है।
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