भारत-पाक बार्डर: गलत तारबंदी ने तार के पार कर दी 2000 एकड़ जमीन

Edited By Vatika,Updated: 13 Sep, 2019 04:22 PM

indo pak border

केन्द्र सरकार की गलती के कारण सीमावर्ती इलाकों के किसानों को अपनी ही जमीन पर खेती करने के लिए सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है।

अमृतसर (नीरज): केन्द्र सरकार की गलती के कारण सीमावर्ती इलाकों के किसानों को अपनी ही जमीन पर खेती करने के लिए सरकार से इजाजत लेनी पड़ती है। जानकारी के अनुसार भारत-पाक बार्डर से सटे गांव कक्कड़ जिसमें बी.ओ.पी. रीयर कक्कड़ व अन्य क्षेत्र आता है उसमें गलत तारबंदी के चलते किसानों की 2000 एकड़ जमीन तार के पार जा चुकी है जिसके चलते किसानों को भारी परेशानी का सामना तो करना ही पड़ता है वहीं सुरक्षा एजैंसियों जिसमें बी.एस.एफ. व अन्य एजैंसियों की नशीले पदार्थों की तस्करी व घुसपैठ रोकने के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है क्योंकि कुछ मामलों में किसान के वेश में हैरोइन तस्कर भी खेती करने के बहाने तार के पार जाते हैं और अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। 

इस संबंध में अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला की तरफ से दिल्ली हाउस में भी मुद्दा उठाया गया था और सरकार से मांग की गई थी कि इस समस्या का जल्द से जल्द हल निकाला जाए और गलत तारबंदी को ठीक किया जाए। बार्डर पिलर नंबर 95/5एस. से लेकर पिल्लर नंबर 95/7जी के इलाके में बार्डर फैंसिंग अपनी सही जगह पर नहीं लगी है जिसके चलते किसानों की जमीन जो दो हजार एकड़ से भी ज्यादा है फैंसिंग के पार चली जाती है इस जमीन पर खेती करने के लिए किसानों को फैंसिंग के पार जाना पड़ता है जहां हर रोज बी.एस.एफ. से इजाजत लेनी पड़ती है और यहां पर खेतीबाड़ी करने के लिए समय भी निर्धारित किया गया है। विधान सभा हलका राजासांसी के चौगांवा बलाक के किसानों को इस गलत तारबंदी के चलते हर रोज परेशानी का सामना करना पड़ता है इतना ही नहीं पंजाब सरकार की सीड फार्म भी इसी तारबंदी के पार है। इस तारबंदी को अपनी सही जगह पर स्थानांतरित करने की सख्त जरूरत है लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

 

बार्डर फैंसिंग के साथ कच्चा रास्ता बी.एस.एफ. के लिए मुसीबत
अमृतसर जिले की 125 किलोमीटर बार्डर सहित पंजाब के 553 किलोमीटर लंबे बार्डर फैंसिंग के साथ कच्चा रास्ता है जहां बी.एस.एफ. के जवानों को बारिश के दिनों में पैट्रोङ्क्षलग करने व चौकसी करने में समस्या आती है जबकि राजस्थान में भारत-पाकिस्तान बार्डर पर लगाई गई फैंसिंग के साथ पक्का रास्ता है जहां बी.एस.एफ. व सेना के वाहन आसानी के साथ गश्त भी कर सकते हैं। बारिश के दिनों में इस कच्चे रास्ते पर दो से तीन फुट तक पानी भर जाता है जिसमें सांप भी निकलते हैं और बी.एस.एफ. के जवानोंगश्त करने में भारी दिक्कत आती है। जानकारी के अनुसार बी.एस.एफ. के एक एक जवान के पास गश्त करने के लिए 500 मीटर का इलाका होता है जिसमें जवान को गश्त करनी होती है ऐसे में पानी से भरे कच्चे ट्रैक पर गश्त करना काफी मुश्किल हो जाता है। बी.एस.एफ. की तरफ से भी इस कच्चे रास्ते को पक्का करने की सरकार से अपील की गई है।

तस्करों का गढ़ बन चुके हैं अजनाला क्षेत्र से सटे कुछ इलाके
बी.ओ.पी. कक्कड़ इलाके में गलत तारबंदी के कारण रीयर कक्कड़ व अजनाला क्षेत्र से सटे कुछ इलाके इस समय तस्करों का गढ़ बनचुके हैं क्योंकि यहां पर कुछ इलाकों में रावी दरिया होने के कारण तारबंदी ही नहीं है। कई स्थानों पर रावी दरिया जिगजैग की तरफ से घूमता है। इस इलाके में कई संवेदनशील बी.ओ.पीज हैं जहां बी.एस.एफ. को भारी नफरी तैनात करनी पड़ती है इसी इलाके में पिछले एक महीने के दौरान तस्करी के छह मामले पकड़े जा चुके हैं और कुछ किसानों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है यहां तक कि इसी रेंज में हवेलिया नामक इलाका तो तस्करों का इलाका माना जाता है इसके बावजूद केन्द्र सरकार की तरफ से इस इलाके में तारबंदी दुरुस्त करने व सुरक्षा प्रबंध और ज्यादा मजबूत करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।  

रावी के साथ व दरिया पार खेती करने वाले किसान भी परेशान
पाकिस्तान से सटे सीमावर्ती इलाके अजनाला के इलाके में बहने वाले रावी दरिया के पास व रावी दरिया के पार खेती करने जाने वाले किसानों को भी परेशानी उठानी पड़ती है कई बार रावी दरिया के पानी सैकड़ों एकड़ फसल को अपने आगोश में ले लेता है और दरिया के पार खेती करने जाने वाले किसानों को बी.एस.एफ. की निगरानी में खेती करनी पड़ती है। 

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