Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 03:17 PM
गुरदासपुर उपचुनाव कांग्रेस में पूरी तरह से कैप्टन बनाम बाजवा युद्ध बनने जा रहा है। कांग्रेस की राजनीति में दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
जालंधर (रविंदर शर्मा): गुरदासपुर उपचुनाव कांग्रेस में पूरी तरह से कैप्टन बनाम बाजवा युद्ध बनने जा रहा है। कांग्रेस की राजनीति में दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा है। यह छत्तीस का आंकड़ा आने वाले गुरदासपुर उप चुनाव में एक बार फिर पार्टी पर भारी पडऩे वाला है। दोनों तरफ से अपनी-अपनी चाल चली जा रही है। एक तरफ जहां कैप्टन गुट पूरी तरह से इस उप चुनाव में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ को चुनावी मैदान में उतारने की गेम चल रहा है तो वहीं बाजवा गुट ने लोकल उम्मीदवार की बात चलाकर अपनी गेम खेलने का प्रयास किया है।
11 अक्तूबर को होंगे गुरदासपुर उपचुनाव
बात साफ है कि अगर कैप्टन ने अपने गुट के किसी नेता को टिकट दी तो प्रताप सिंह बाजवा गुट इस सीट को हराने में पूरी मदद करेगा और अगर बाजवा गुट के किसी नेता को टिकट मिली तो कैप्टन गुट इस सीट को हराने के लिए जोर लगाएगा। बात चाहे जो भी हो दोनों गेम में हार कैप्टन गुट की ही होगी। अगर पार्टी यह सीट हार जाती है तो प्रदेश भर में कैप्टन की साख को बट्टा लगेगा और पहले ही सुलग रही विद्रोह की आग और तेज होगी। चुनाव आयोग ने गुरदासपुर उपचुनाव की तारीख का 11 अक्तूबर को ऐलान कर दिया है यानी एक महीने से भी कम का समय रह गया है। कैप्टन अमरेंद्र सिंह अपना विदेशी दौरा खत्म कर आज ही वापस लौटे हैं। उनके सामने सबसे पहली चुनौती यहां से एक मजबूत प्रत्याशी देने की है। मजबूत प्रत्याशी के बाद दूसरी चुनौती होगी पार्टी को जीत दिलाने की। मगर बाजवा के साथ छत्तीस का आंकड़ा उनके सारे गेम प्लान को चौपट कर सकता है। गौर हो कि जब बाजवा प्रदेश कांग्रेस प्रधान थे तो कैप्टन ने उन्हें प्रदेश प्रधान तक मानने से मना कर दिया था। बाजवा को प्रदेश प्रधान से हटाने के लिए कैप्टन ने हर पैंतरा खेला।
बिना बाजवा को लिए कैप्टन की राह नहीं आसान
किसी तरह हाईकमान ने कैप्टन को प्रदेश प्रधान तो बाजवा को राज्यसभा में भेजकर समझौता करने का प्रयास किया था। मगर अंदरखाते दोनों नेता एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते हैं। अब क्योंकि गुरदासपुर पूरी तरह से बाजवा परिवार का गढ़ है तो यहां पर बिना बाजवा को साथ लिए कैप्टन के लिए राह आसान नहीं होगी। कैप्टन गुट पूरी तरह से इस सीट से सुनील जाखड़ को चुनाव लड़ाने का मन बना चुका है, बस हाईकमान की मुहर लगनी बाकी है। मगर बाजवा गुट जाखड़ के नाम पर सहमति देने के मूड में नहीं है। कैप्टन लॉबी के मेजर अमरदीप सिंह भी यहां से चुनाव लडऩे के इच्छुक दिखाई दे रहे हैं। अगर जाखड़ के नाम पर सहमति न बनी तो फिर मेजर अमरदीप के नाम को आगे चलाया जा सकता है, क्योंकि गुरदासपुर सीट पर सैनिकों व पूर्व सैनिकों की वोटे भी काफी हैं। अब प्रत्याशी चाहे जो भी हो, जब तक इस सीट पर कैप्टन बनाम बाजवा युद्ध को शांत नहीं किया जाता, तब तक पार्टी की राह आसान नहीं होगी और हमेशा भीतरघात का डर सताता रहेगा।