Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 04:16 AM
कोहरे के दिनों में समय पर ट्रेनें चलाना रेलवे के लिए चुनौती बन जाता है क्योंकि इस अवधि में अधिकांश ट्रेनें अपने निर्धारित समय से घंटों लेट चलती हैं। लंबे रूट की ट्रेनों का तो आने-जाने का कोई समय ही नहीं रह जाता। लेकिन इस बार उत्तर रेलवे ने कोहरे से...
जालंधर(गुलशन): कोहरे के दिनों में समय पर ट्रेनें चलाना रेलवे के लिए चुनौती बन जाता है क्योंकि इस अवधि में अधिकांश ट्रेनें अपने निर्धारित समय से घंटों लेट चलती हैं। लंबे रूट की ट्रेनों का तो आने-जाने का कोई समय ही नहीं रह जाता। लेकिन इस बार उत्तर रेलवे ने कोहरे से निपटने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है।
कोहरे के दिनों में 2400 मेल, एक्सप्रैस एवं पैसेंजर ट्रेनों में फॉग सेफ्टी डिवाइस लगाए जा रहे हैं। फॉग सेफ्टी डिवाइस एक जी.पी.एस. आधारित उपकरण है जो लोको पायलट को आने वाले सिग्नल के बारे में अग्रिम चेतावनी देता है। उल्लेखनीय है कि उत्तर भारत में कोहरे की वजह से रेल यातायात पर व्यापक असर पड़ता है। कोहरे के दौरान दृश्यता कम होने एवं ड्राइवरों द्वारा सावधानीपूर्वक ट्रेन चलाने के लिए सभी ट्रेनों की गतिशीलता एवं समय में व्यापक बदलाव हो जाता है। कई बार कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों में ट्रेनों की गति सीमा कम की जाती है। कम गतिशीलता के कारण कई बार ट्रेनें अपने निर्धारित स्थान पर देरी से पहुंचती हैं जिस कारण वापसी यात्रा के समय का पुन: निर्धारण या रेलगाड़ी को रद्द करना पड़ता है।
कोहरे में ट्रेनों के लेट होने के मुख्य कारण
-ट्रेनों के असामान्य विलम्ब के कारण रैक की संख्या व उपलब्धता की कमी।
-कोहरे के कारण ट्रेनों की गति में कमी एवं रूट पर अधिक समय तक कार्य करने के कारण सदस्य लोको पायलट एवं गार्ड की कमी।
-ट्रेनों के देरी से पहुंचने के कारण समय-सारिणी, ट्रेन बर्थ योजना, वाशिंग लाइन कॉम्पलैक्सों आदि के रख-रखाव समय में पूरा उलटफेर।
-ट्रेन समय पर न चलने के कारण कैटरिंग संबंधी परेशानियां।
-सभी प्रमुख टर्मिनलों में प्लेटफार्म पर प्रतीक्षारत यात्रियों की व्यापक भीड़।
-कम क्षमता के कारण ट्रैक रख-रखाव अवधि की गैर उपलब्धता।
-सदस्यों के ओवरटाइम कारण लागत में वृद्धि तथा कम गति एवं क्षमता बाधा के कारण परिसम्पत्ति उपयोग में कमी।