जाली रजिस्ट्री का मामला, CP से लेकर SHO बदले पर नहीं पकड़ी गई ...

Edited By Urmila,Updated: 05 Jul, 2024 03:36 PM

fake registry case from cp to sho changed but not caught

जर्मनी में भारत की अंबैसडर रचिता भंडारी की जमीन की जाली रजिस्ट्री के मामले में पुलिस के हाथ 154 दिन बीत जाने के बाद भी खाली हैं ।

अमृतसर: जर्मनी में भारत की अंबैसडर रचिता भंडारी की जमीन की जाली रजिस्ट्री के मामले में पुलिस के हाथ 154 दिन बीत जाने के बाद भी खाली हैं और सी.पी. से लेकर एस.एच.ओ. बदले गए पर नकली अंबैसडर रचिता भंडारी नहीं पकड़ी जा सकी है। मौजूदा समय पुलिस कमिश्नर नए आ चुके हैं, ए.डी.सी.पी. से लेकर ए.सी.पी., एस.एच.ओ. व चौकी इंचार्ज कोर्ट काम्प्लैक्स भी नए तैनात हो चुके हैं पर कार्रवाई ठंडे बस्ते में नजर आ रही है।

जर्मनी में अंबैसडर रचिता भंडारी की गांव हेर (अजनाला रोड) स्थित 588 गज जमीन की जाली रजिस्ट्री के मामले में डी.सी. घनश्याम थोरी की सिफारिश पर तत्कालीन सी.पी. गुरप्रीत सिंह भुल्लर के आदेश पर 25 जनवरी को पुलिस ने पर्चा तो दर्ज कर दिया पर 154 दिन बाद भी न तो नकली रचिता भंडारी व न खरीदार शेर सिंह पुलिस के हाथ लग पाया है।

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इस मामले में गवाही देने वाली महिला नंबरदार रुपिन्दर कौर, नंबरदार जेम्स हंस व प्राइवेट करिन्दा नारायण सिंह उर्फ शेरा जरूर काबू कर जेल भेजे गए पर असली गुनहगार नकली रचिता भंडारी, खरीदार शेर सिंह व वसीका नवीस आशु अभी भी बाहर घूम रहे हैं, जबकि वसीका नवीस आशु पर जाली रजिस्ट्री के मामले में लगातार दूसरा केस दर्ज हुआ है।

हो सकते हैं जाली रजिस्ट्रियां तैयार करने वाले गैंग के खुलासे

माना जा रहा है कि नकली रचिता भंडारी, खरीदार शेर सिंह और वसीका नवीस आशु की गिरफ्तारी के बाद सिटी पुलिस व जिला प्रशासन को उस हाईप्रोफाइल गैंग का पता चल सकता है, जो लंबे समय से जिले की तहसीलों, सब-तहसीलों व रजिस्ट्री दफ्तरों में जाली दस्तावेज तैयार कर लोगों की जमीनें हड़पने का काम करता है।

जांच अफसर भी बदले पर केस वहीं का वहीं

शुरूआत में इस केस को पुलिस चौकी कोर्ट काम्प्लैक्स के पूर्व इंचार्ज गुरजीत सिंह डील कर रहे थे पर उनको विजीलैंस विभाग की टीम ने रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया, फिर जांच खुद एस.एच.ओ. सिविल लाइंस की निगरानी में उनके ही रीडर गुरजीत सिंह को सौंप दी गई पर केस वहीं का वहीं है। अब तो एस.एच.ओ. भी नए आ चुके हैं।

एस.डी.एम. व सब-रजिस्ट्रार ने की थी जांच

आई.एफ.एस. अधिकारी रचिता भंडारी की माता सुधा भंडारी को जब इस मामले सूचना मिली थी तो वह खुद डी.सी. से मिलीं तो डी.सी. ने तत्कालीन आई.ए.एस. अधिकारी एस.डी.एम. टू निकास कुमार को जांच सौंपी, जबकि इससे पहले सब-रजिस्ट्रार थ्री जगतार सिंह ने भी पुलिस से आरोपियों के खिलाफ पर्चा दर्ज करने की सिफारिश की थी, जिनके दफ्तर में रजिस्ट्री हुई थी। इसके बाद 6 लोगों पर केस दर्ज किया गया। खरीदार शेर सिंह व नकली रचिता भंडारी अभी तक फरार हो गए हैं।

17 लाख में रजिस्ट्री, 45 हजार मिली थी कमीशन

रजिस्ट्री दफ्तर थ्री में 31 अगस्त 2023 के दिन 17 लाख रुपए में रचिता भंडारी के 588 गज के प्लाट की जाली रजिस्ट्री करवाई गई थी। आरोपियों ने पहले जाली आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज तैयार करवाए, जबकि एक प्रापर्टी डीलर ने 42 हजार रुपये कमीशन भी ली थी। खरीदार शेर सिंह की बुआ की बेटी को विदेश से आई बताकर रजिस्ट्री करवाई गई थी, जो पुलिस जांच में अहम है।

सैकड़ों जाली एन.ओ.सी. बनाने वाला गैंग भी वांछित

जिले के रजिस्ट्री दफ्तर वन, रजिस्ट्री दफ्तर टू व रजिस्ट्री दफ्तर थ्री में पिछले एक वर्ष के दौरान पूर्व सब-रजिस्ट्रार नवकीरत सिंह रंधावा, पूर्व सब-रजिस्ट्रार जसकरण सिंह, पूर्व सब-रजिस्ट्रार बीरकरण सिंह ढिल्लों, अजय कुमार ने सैकड़ों जाली एन.ओ.सी. पकड़ीं, कुछ मामलों में एफ.आई.आर. भी दर्ज हैं। नकली रचिता भंडारी व अन्य आरोपियों के पकड़े जाने से जाली एन.ओ.सी. बनाने वाले गैंग का पर्दाफाश हो सकता है।

गैर-लाइसैंसी वसीका नवीस व बिना वजह तहसीलों में घूमने वालों की एंट्री बैन

जमीनों की जाली रजिस्ट्रियों के मामले सामने आने के बाद डी.सी. घनश्याम थोरी भी सख्त एक्शन में हैं और जिला प्रबंधकीय काम्प्लैक्स सहित रजिस्ट्री दफ्तरों में सी.सी.टी.वी. कैमरों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा गैर-लाइसैंसी वसीका नवीसों व बिना कारण रजिस्ट्री दफ्तर व तहसीलों में घूमने वालों की एंट्री को बैन किया जा चुका है। जिला प्रबंधकीय दफ्तर से लेकर अन्य सरकारी विभागों में 75 सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाए जा चुके हैं और हर व्यक्ति की गतिविधियों पर पैनी नजर रखी जा रही है।

ऑनलाइन सिस्टम होने के बावजूद जाली रजिस्ट्रियां

राजस्व विभाग की तरफ से मौजूदा समय में रजिस्ट्रियों की रजिस्ट्रेशन का काम सौ प्रतिशत ऑनलाइन बन चुका है, जिसमें खरीदने व बेचने वाले व्यक्ति के आधार कार्ड, पैन कार्ड, रिहाइशी प्रूफ व जमीन की फर्द लगने के बाद अप्वाइंटमैंट ली जाती है। ऑनलाइन सिस्टम के बावजूद जाली रजिस्ट्रियां व जाली एन.ओ.सी. पकड़ी जा रही हैं और पुलिस ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं ले रही है, जो बड़ा सवाल है। एक अंबैसडर जो जर्मनी जैसे देश में भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं, उनकी जमीन ही सुरक्षित नहीं है तो आम आदमी की जमीन कहां तक सुरक्षित है।

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