प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनौती देने के लिए ‘आप’ को अभी करना पड़ेगा इंतजार: डा. अश्विनी कुमार

Edited By Kalash,Updated: 24 Sep, 2022 02:05 PM

dr ashwini kumar interview

समूचे देश और पंजाब में प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के बीच चल रही कशमकश और फैडरल ढांचे को पहुंच रहे

गुरदासपुर (जीत मठारू): समूचे देश और पंजाब में प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के बीच चल रही कशमकश और फैडरल ढांचे को पहुंच रहे नुक्सान सहित अनेक अहम मुद्दों पर ‘पंजाब केसरी’ के साथ बातचीत के दौरान देश के पूर्व कानून मंत्री डा. अश्विनी कुमार ने जहां कांग्रेस के भविष्य पर अहम टिप्पणियां की हैं वहीं अन्य स्थापित प्रमुख पार्टियों की कार्यशैली को लेकर कई सवाल उठाए हैं। इस संदर्भ में डा. कुमार के साथ किए गए सवाल-जवाब प्रस्तुत हैं।

प्र. कांग्रेस को अलविदा कहने के बाद अब पंजाब व देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को किस तरह से देखते हैं? 
उ.
पंजाब और देश की राजनीति असाधारण परिस्थितियों में से गुजर रही है। आजादी के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय और नई राष्ट्रीय पार्टियों का विस्तार हुआ है। जहां लोगों के लिए चुनावी निर्णय करना मुश्किल हो रहा है वहीं राजनीतिक पार्टियों के लिए भी चुनौतियां बढ़ रही हैं। क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं का टकराव देखने को मिल रहा है। इसके चलते देश की संघीय प्रणाली पर दबाव है। इन हालात में राष्ट्र को दूरअंदेशी और उदारवादी नीतियों को समर्पित पार्टी की आवश्यकता है। भाजपा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली देश की प्रमुख पार्टी बन कर उभरी है। उसका दायित्व है कि सभी वर्गों के लोगों को राष्ट्र निर्माण में जोड़े। इसलिए उदारवादी सोच को मजबूत करने की बड़ी आवश्यकता है। कांग्रेस का कमजोर होना विपक्ष का कमजोर होना है। जो देश के लोकतंत्र के लिए अच्छा संदेश नहीं है। 

प्र. कांग्रेस के नए अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया शुरू हो गई है, आने वाले समय में कांग्रेस का भविष्य कैसा होगा? 
उ.
मेरी जानकारी के मुताबिक अशोक गहलोत का कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना जाना निश्चित है और हो सकता है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व में पार्टी के काम करने के तौर-तरीके बदल जाएं। कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेसियों को इक्टठा रखने की है और एक नई लीडरशिप, जिसकी देश और राज्य में स्वीकार्यता हो, उसे उभारने की आवश्यकता है। परन्तु यह कब होगा यह वक्त ही बताएगा।

प्र. 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, आपके अनुसार आने वाली सरकार का रूप कैसा होगा? 
उ.
पंजाब की राजनीतिक स्थिति हर पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। अकाली दल पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी है जिसका कमजोर होना और कांग्रेस की अंदरूनी चुनौतियां, ये संकेत दे रही हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच होगा। यदि भाजपा और अकाली दल का फिर गठबंधन हुआ तो कांग्रेस को मिला कर त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है। परंतु मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह लगता है कि 2024 में भाजपा की चढ़त रहेगी। 

प्र. आप कांग्रेस छोड़ चुके हो और राजनीतिक भविष्य के लिए आपकी क्या योजनाबंदी है? 
उ.
मैंने कांग्रेस पार्टी से त्यागपत्र जरूर दिया है परंतु सार्वजनिक जीवन से रिटायर नहीं हुआ हूं, बहुत तेजी से बदल रही राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनजर मैं अगला फैसला आने वाले कुछ समय में साथियों के साथ सलाह करके लूंगा। भविष्य में मेरी राजनीति का मुख्य मकसद जुर्म और बेइंसाफी के खिलाफ आवाज बुलंद करना होगा।  खास तौर पर प्रशासनिक और राजनीतिक अत्याचार, जिसके द्वारा विभिन्न स्थानों पर मूल मानवीय अधिकारों का हनन हो रहा है, उसके खिलाफ मैं संघर्ष जारी रखूंगा। उन्होंने यदि किसी राजनीतिक पार्टी के साथ जुडऩे का फैसला किया तो उस पार्टी का सहयोग करूंगा जो देश की एकता, अखंडता, देश के संविधान और देश की उदारवादी परम्पराओं को मजबूत कर सके।

प्र. पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार की कारगुजारी और उसके भविष्य को किस तरह देखते हैं? 
उ.
पंजाब में आम आदमी पार्टी ने बड़ी जीत हासिल करके यह सिद्ध किया है कि किसी के भी पास राज करने का कोई पुश्तैनी अधिकार नहीं है। पंजाब के लोग कुछ समय के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार को काम  करने की मोहलत देंगे और यदि आम आदमी पार्टी पंजाब के लोगों को सुशासन दे सकी तो इस पार्टी का विस्तार हो सकता है परन्तु राष्ट्र स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देने के लिए आम आदमी पार्टी को अभी इंतजार करना पड़ेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव को मुख्य रखते हुए विरोधी पक्ष की एकता की प्रक्रिया सफल होती है या नहीं, यह भी वक्त के साथ ही स्पष्ट होगा परंतु एक बात साफ है कि भारत जैसा बड़ा देश रचनात्मक राजनीति द्वारा ही चलाया जा सकता है और लोकतंत्र का आधार उदारवादी, सहनशील और रचनात्मक राजनीति है। सभी राजसी पार्टियों को यह फैसला करना चाहिए कि व्यक्तिगत दूषणबाजी को छोड़ कर रचनात्मक सोच व राष्ट्रीयता की भावना को आगे बढ़ाने का काम करें।

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