5 राज्यों में हार के बाद भाजपा में घमासान शुरू

Edited By swetha,Updated: 13 Dec, 2018 10:07 AM

dispute in bjp

5 राज्यों में भाजपा की हुई हार के बाद पार्टी में नेतृत्व को लेकर घमासान होने की आशंका जताई जा रही है। वर्णनीय है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में जीत से जहां  कांग्रेस में खुशी का माहौल है। वहीं भाजपा  के नेतृत्व पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई...

जालंधर(स.ह.):  5 राज्यों में भाजपा की हुई हार के बाद पार्टी में नेतृत्व को लेकर घमासान होने की आशंका जताई जा रही है। वर्णनीय है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में जीत से जहां  कांग्रेस में खुशी का माहौल है। वहीं भाजपा  के नेतृत्व पर उंगलियां उठनी शुरू हो गई हैं। पार्टी के चाणक्य माने जाने वाले अध्यक्ष अमित शाह को बदलने की मांग भी उठने लगी है। वर्णनीय है कि बिहार में हुई हार के बाद भी यह बात उठी थी कि भाजपा का नेतृत्व पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) संजय जोशी को दिया जाना चाहिए। 

पार्टी वर्करअमित शाह के तानाशाही  से परेशान
भाजपा के एक ग्रुप ने यह मांग बड़े जोर-शोर से उठाई थी लेकिन तब इस बात को अधिक बल नहीं मिलने के कारण यह बात वहीं दम तोड़ गई । पर 5 राज्यों में किसी में भी भाजपा सरकार न बन पाने के बाद अब जोशी समर्थक  एक बार फिर भाजपा नेतृत्व में बदलाव  की बात करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों द्वारा विभिन्न प्रकार  के चित्र डाल कर जोशी को पार्टी  की कमान देने की बात कही जा रही है।  पार्टी का एक ग्रुप जो अमित शाह की तानाशाही से परेशान है। वह भी मन ही मन में इस बात पर अपनी सहमति स्वीकृत कर सकता है।

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जोशी के प्रयासों से पहली बार गुजरात में सत्ता में आई थी भाजपा
यहां यह भी वर्णनीय है कि संजय जोशी व नरेन्द्र मोदी ने एक  लम्बा समय गुजरात में पार्टी को मजबूत करने के लिए काम किया जिसके फलस्वरूप गुजरात में पहली बार 1995 में भाजपा सत्ता में आई।  पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल कृष्ण अडवानी की पाकिस्तान यात्रा से लौटते ही जिन्ना विवाद को लेकर जब  संजय जोशी ने इस्तीफा मांग लिया था, तब से ही पार्टी का एक ग्रुप उनको किनारे लगाने में लगा था। 

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पार्टी वर्करों में लोकप्रिय हैं जोशी 

संजय जोशी दिल्ली में राष्ट्रीय महामंत्री संगठन रहते हुए पार्टी वर्करों में काफी लोकप्रिय बन गए थे। आज भी उनके निवास पर रोजाना वर्करों का एकत्रित होना यह दर्शाता है कि पार्टी में उनकी अब भी उतनी ही लोकप्रियता है। अब जब  भाजपा नेतृत्व में बदलाव की बात उठने लगी है तो उनके समर्थक एक बार फिर से जोशी के नाम को आगे ला रहे हैं। जोशी के काम करने के अंदाज को उनके  विपक्षी भी मानते हैं,जिस प्रकार से  संगठन व पार्टी को मजबूत करने में उन्होंने गत समय से मेहनत की है उसको देखते हुए पार्टी में उनको एक बार फिर  सक्रिय होने के लिए कहा जा रहा है। आने वाले दिनों में अगर भाजपा के नेतृत्व में बदलाव की बात चलती है तो आर.एस.एस. और  भाजपा के पास संजय जोशी ही एक विकल्प हो सकते हैं। 

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