Edited By Kalash,Updated: 16 Oct, 2023 11:55 AM
आधा अक्तूबर बीत जाने के बावजूद भी पंजाब में धान की खरीद का मसला हल होने का नाम नहीं ले रहा
पटियाला (बलजिन्द्र): आधा अक्तूबर बीत जाने के बावजूद भी पंजाब में धान की खरीद का मसला हल होने का नाम नहीं ले रहा। इस बार खरीद को लेकर नहीं बल्कि लिफ्टिंग को लेकर पेच फंस गया है और शैलर मालिक एफ.आर.के. (फोर्टीफाइड राइस) के लिए जिम्मेदार बनाने को लेकर शैलरों में धान की स्टोरेज करवाने न करवाने पर अड़े हुए हैं। हालांकि शनिवार को देर शाम डायरेक्टर फूड के साथ राइस मिलर एसोसिएशन के नेताओं के साथ हुई दूसरे दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। इसके कारण अभी धान की खरीद को लेकर पेच फंसा ही हुआ है।
हालात यह हैं कि एफ.आर.के. के मामले में केंद्र सरकार मानने का नाम नहीं ले रही और लाखों टन धान की फसल खुले आसमान के नीचे मंडियों में पड़ा है। दूसरी तरफ आज मौसम की तरफ से करवट लेने के बाद आज हुई बेमौसमी बारिश ने भी किसानों और आढ़तियों की चिंताएं को बढ़ा दिया है। हालांकि सरकार ने जबरन लिफ्टिंग करवाने की कोशिश की परन्तु पहली बार शैलर मालिक भी एकजुट दिखाई दे रहे हैं, क्योंकि फोर्टीफाइड राइस के पिछली बार भी बड़ी संख्या में सैंपल फेल पाए गए थे, दूसरा अभी भी पिछले साल के चावल के 925 के करीब स्टैक अभी भी एफ.सी.आई. की तरफ से क्लीयर नहीं किए जा रहे और उनको लेकर ही शैलर मालिकों की जान फंसी हुई है और शैलर मालिक एफ.आर.के. के मामले में किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। हालांकि यदि कोई अन्य मुद्दा होता तो शायद सरकार दबाव डाल कर या फिर कोई पैंतरां खेल कर हड़ताल को खत्म भी करवा देते, परन्तु अब यह शैलर मालिक के लिए ही नहीं पूरी इंडस्ट्री के अस्तित्व का सवाल है तो शैलर मालिक पूरी तरह अड़े हुए हैं।
इस जटिल स्थिति का फिलहाल कोई हल नहीं नजर आ रहा है और मंडियों में दिन प्रतिदिन स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। पंजाब का बड़ी संख्या में धान की फसल बार्डर इलाकों का हरियाणा में जाना शुरू हो गया है। शैलर मालिकों की तरफ से बार-बार पंजाब सरकार से अपील की जा रही है कि पंजाब सरकार इस मामले में केंद्र सरकार के साथ बातचीत करे जिससे मामले को सुलझाया जा सके। हालांकि शुरूआती दौर में यह मामला इतना गंभीर नहीं लग रहा परन्तु अब स्थिति काफी ज़्यादा गंभीर होती जा रही है। जिसका हल पंजाब सरकार से भी नजर नहीं आ रहा।
150 शैलरों को अभी भी नहीं हो पाई अलाटमैंट
पंजाब में 150 के करीब नए शैलर ऐसे हैं जिनको बिजली कनैक्शन न मिलने कारण अलाटमैंट ही नहीं हो पाई। यह भी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। पंजाब में शैलर इंडस्ट्री खेती आधारित बड़ी इंडस्ट्री है और पिछले कुछ सालों के दौरान सख्ती के दौर में से गुजर रही है। पिछले साल सी.बी.आई. द्वारा बड़े स्तर पर पंजाब में शैलरों पर छापेमारी की गई थी। इसके बाद लगतार केंद्र सरकार का इस क्षेत्र में शिकंजा कसा जा रहा है। एफ.सी.आई. की तरफ से इस साल ही एफ.सी.आई. में से बड़े स्तर पर अधिकारियों को जबरन रिटायर भी कर दिया था।
प्रदेश सरकार शैलर मालिकों की मजबूरी को समझे : प्रधान तरसेम सैणी
राइस मिलर एसोसिएशन के प्रदेश प्रधान तरसेम सैणी ने कहा कि प्रदेश सरका शैलर मालिकों की मजबूरी को समझे और इस मामले को हल करने के लिए केंद्र पर दबाव डाले। शैलर पंजाब की सबसे बड़ी और सीधे तौर पर खेती के साथ जुड़ी हुई इंडस्ट्री है, इसलिए इसको बचाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समझने की जरूरत है कि जो एफ.आर.के. की शैलर मालिक मैनुफैक्चरिंग ही नहीं करते तो उसके लिए उनको किस तरह जिम्मेदार बनाया जा सकता है। शैलर मालिक तो सिर्फ मिक्सिंग करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस की गंभीरता को समझे।
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