सावधान : अब नए 'कॉक्सैकी' वायरस की हुई एंट्री, इन लोगों पर मंडराया खतरा

Edited By Kalash,Updated: 13 Mar, 2025 06:42 PM

coxsackie virus entry danger

कोरोना वायरस के बाद एक-एक करके बहुत से वायरस हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते जा रहे हैं, लेकिन अब एक नई किस्म का वायरस, जिसकी पहचान कॉक्सैकी वायरस के रूप में हुई।

अमृतसर (ममता): कोरोना वायरस के बाद एक-एक करके बहुत से वायरस हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते जा रहे हैं, लेकिन अब एक नई किस्म का वायरस, जिसकी पहचान कॉक्सैकी वायरस के रूप में हुई। उक्त वायरस के बच्चों में तेजी से फैलने की आशंका जताई जा रही है। यह खुलासा मेयो क्लीनिक के स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा कुछ मामले सामने आने पर किया गया। विशेषज्ञों द्वारा सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी देते हुए इस नए वायरस के प्रति बच्चों के अभिभाविकों को जागरूक किया गया है। इस संबंध में पंजाब केसरी की टीम ने कुछ स्कूलों के प्रिंसीपलों एवं बच्चों के डाक्टरों से बातचीत की।

बच्चों की स्वच्छता एवं स्वास्थ्य के प्रति सजगता का रहता है हमेशा ख्याल

भवन्ज एस.एल की डायरैक्टर डा. अनीता भल्ला ने कहा कि चाहे अभी तक इस वायरस या इससे लक्षणों संबंधी उनके स्कूल में कोई मामला सामने नहीं आया, लेकिन स्कूल प्रबंधन द्वारा कोरोना वायरस के बाद से ही बच्चों स्वास्थ्य के प्रति काफी सतर्कता बरती जाती है। उन्हें अपनी साफ सफाई के लिए विशेष रूप से समय-समय पर जागरूक किया जाता है एवं पेरैंटस टीचर मीट दौरान उनके अभिभाविकों को भी बच्चों की स्वच्छता व स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने की सलाह दी जाती है।

बच्चों की देखभाल के लिए अध्यापकों को देंगे निर्देश

भवन्ज स्कूल की प्रिंसीपल सोनिया सहदेव ने कहा जैसा की जानकारी में आया है कि यह वायरस पांच से सात साल के बच्चों को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में प्री प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों की देखभाल के लिए अध्यापकों को निर्देश दिए जाएंगें। इसके अतिरिक्त खांसी जुकाम से पीड़ित बच्चों के अभिभाविकों को उनके ठीक होने तक स्कूल न भेजने की सलाह दी जाएगी। इसके अतिरिक्त बच्चों की स्वच्छता का विशेष ख्याल रखा जाएगा।

बड़े बुजुर्गों की सीख को नजरांदाज करने से ही फैल रहे हैं वायरस

अजीत विद्यालय सीनियर सैकेंडरी स्कूल की डायरैक्टर प्रिंसीपल रमा महाजन ने कहा कि चाहे जब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया, लेकिन ऐसे वायरस की आशंका के मद्देनजर छोटे छोटे बच्चों के स्वास्थ्य का विशेष रूप से ख्याल रखा जाएगा। स्वच्छता का संदेश अगर देखा जाए तो हमारे बड़े बुजुर्गों द्वारा दिया जाता रहा, जब वे कहते थे कि बाहर से आते ही हाथ-मुंह-पांव धोकर ही घर में प्रवेश करें, जबकि अब ऐसा नहीं होता। बच्चे तो क्या बड़े भी बुजुर्गों की सीख को नजरांदाज कर देते हैं, जिसके चलते हमारे द्वारा गंदे हाथ पांव लेकर खाना खाने बैठना या अन्य काम करना वायरस को पनपने का अवसर देता है। स्कूल की प्री प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों का विशेष ध्यान रखते हुए उनके अभिभाविकों को भी इसके प्रति जागरूक किया जाएगा।

छोटे बच्चों के स्वास्थ्य प्रति बरती जाती है विशेष सावधानी

किड़ज गार्डन प्ले पैन न्यू मॉडल टाऊन की प्रिंसीपल अलका शर्मा ने कहा कि कोरोना के बाद से ही उनके स्कूल में छोटे बच्चों के स्वास्थ्य प्रति विशेष सावधानी बरती जा रही है। इस संबंध में रोजाना अभिभाविकों को भी जागरूक किया जाता है और भविष्य में भी ऐसेे वायरस की आशंका से निपटने का विशेष प्रयास किया जाएगा।

काक्सैकी वायरस-ए 16 और ऐंट्रोवायरस 71 गंभीर नहीं पर तकलीफदेह

ई.एम.सी. क्रैडल की शिशु रोग विशेषज्ञ डा. गरिमा मिश्रा ने कहा कि हाथ, पैर और मुंह रोग एक ‘संक्रामक वायरल संक्रमण’ है, जो मुख्य रूप से छोटे बच्चों (5 वर्ष से कम) को प्रभावित करता है। यह रोग आमतौर पर गर्मियों और बरसात के मौसम में अधिक फैलता है और बच्चों के स्कूल, डे-केयर और खेल के मैदानों में तेजी से फैल सकता है। हालांकि यह बीमारी गंभीर नहीं होती, लेकिन बच्चों के लिए यह काफी तकलीफदेह हो सकती है।

उन्होंने बताया कि यह बीमारी एक विशेष वायरस काक्सैकी वायरस-ए 16 और एंट्रो वायरस 71 के कारण होती है, जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। उन्होंने बताया कि इसके प्रारंभिक लक्षणों में बुखार और अस्वस्थता, गले में खराश और खाने में परेशानी, भूख न लगना और कमजोरी महसूस होना, छोटे बच्चों में चिड़चिड़ापन और रोना, इसके उपरांत मुंह में छाले और घाव, हाथ-पांव और शरीर पर चकत्ते, जबकि कुछ मामलों में डायरिया (दस्त) और उल्टी भी हो सकती है तथा बहुत कम मामलों में यह वायरस ‘मस्तिष्क पर असर’ डाल सकता है, जिससे मस्तिष्क ज्वर या हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यह रोग छींकने, खांसने, लार, नाक के स्राव और संक्रमित व्यक्ति के मल, संक्रमित बच्चे के संपर्क में आने से फैल सकता है।

वायरस केवल बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी कर सकता है प्रभावित

इसके उपचार के बारे में बात करते हुए ई.एम.सी. के डा. ऋषभ अरोड़ा ने बताया कि इसके लिए कोई विशेष दवा नहीं होती, क्योंकि यह ‘एक वायरल संक्रमण’ है, जो ‘5-7 दिनों में खुद ठीक हो जाता है’, लेकिन डॉक्टर की सलाह से दिए गए उपचार बच्चों को आराम पहुंचा सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बीमारी केवल बच्चों में ही नहीं बड़ों में भी हो सकती है, लेकिन उसके हलके लक्ष्ण हो सकते हैं।

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