जालंधर निगम में भ्रष्टाचार के मामले की जांच में नया मोड़, अब फंसेंगे ये लोग

Edited By Urmila,Updated: 02 Jun, 2025 03:27 PM

corruption case in jalandhar corporation

विजिलेंस की कार्रवाई ने नगर निगम के दफ्तर में हड़कंप मचा दिया है। जांच का मुख्य फोकस ट्रांसपेरेंसी एक्ट 2022 के तहत किए गए कामों पर है।

जालंधर (खुराना): जालंधर नगर निगम में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच ने अब नया मोड़ ले लिया है। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने निगम के बिल्डिंग विभाग पर छापेमारी कर पहले असिस्टेंट टाउन प्लानर (एटीपी) सुखदेव वशिष्ट और फिर आम आदमी पार्टी के जालंधर सेंट्रल से विधायक रमन अरोड़ा को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया। अब विजिलेंस की नजर उन ठेकेदारों पर भी है, जिन्होंने सैंक्शन के आधार पर नगर निगम से अनियमित रूप से बड़े पैमाने पर काम हासिल किए। सूत्रों के मुताबिक जांच अधिकारियों के पास ऐसे ठेकेदारों का पूरा रिकॉर्ड पहुंच चुका है, और जल्द ही कई बड़े खुलासे होने की संभावना है।

विजिलेंस की कार्रवाई ने नगर निगम के दफ्तर में हड़कंप मचा दिया है। जांच का मुख्य फोकस ट्रांसपेरेंसी एक्ट 2022 के तहत किए गए कामों पर है, जिसमें नगर निगम कमिश्नर को आपात स्थिति में 5 लाख रुपये तक के काम बिना टैंडर और केवल कोटेशन के आधार पर करवाने का अधिकार है लेकिन आरोप है कि इस प्रावधान का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपये के गैर-जरूरी काम करवाए गए, जिससे चहेते ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।

विजिलेंस ने बिल्डिंग एंड रोड्स (बी.एंड आर.) और ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस (ओ.एंड एम.) विभागों से जुड़े सभी दस्तावेजों की गहन जांच शुरू कर दी है। निगम के सभी जूनियर इंजीनियर्स (जेईज) और सब-डिविजनल ऑफिसर्स (एसडीओज) से बिना टेंडर और कोटेशन के आधार पर करवाए गए कामों के बारे में पूछताछ की जा चुकी है। सैंकड़ों ऐसे कामों की सूची तैयार की गई है, जो बिना उचित प्रक्रिया के करवाए गए। इनसे संबंधित रजिस्टर और दस्तावेज विजिलेंस ने अपने कब्जे में ले रखे हैं।

ठेकेदारों पर भी कसता दिख रहा है विजिलेंस का शिकंजा

जांच के दौरान विजिलेंस ने सबसे पहले विधायक रमन अरोड़ा के करीबी ठेकेदार शिवम मदान की पेमेंट डिटेल्स मंगवाई थी, जो करीब 40 लाख रुपए की थी। सूत्रों का कहना है कि पिछले कुछ समय में कई ठेकेदारों ने सैंक्शन के आधार पर करोड़ों रुपए के काम हासिल किए। कुछ ठेकेदारों ने तो अपनी दुकानें बंद कर रखी हैं, लेकिन इधर-उधर से कोटेशन लेकर निगम से लगातार काम हासिल कर रहे हैं। इन ठेकेदारों को निगम अधिकारियों की मेहरबानी से विभिन्न प्रकार के काम मिलते रहे हैं।

विजिलेंस अब इन ठेकेदारों की पूरी सूची तैयार कर रही है और उनके द्वारा किए गए कामों की जांच कर रही है। सूत्रों के अनुसार, अगर विजिलेंस इस सैंक्शन घोटाले की तह तक जाती है, तो न केवल निगम के अधिकारियों बल्कि कई ठेकेदारों पर भी कार्रवाई हो सकती है। इससे अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच पनपे गठजोड़ (नैक्सस) का भी खुलासा हो सकता है। विजिलेंस की इस सख्त कार्रवाई से जालंधर नगर निगम के कर्मचारी और अधिकारी इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि विजिलेंस का अगला निशाना कौन होगा।

विजिलेंस की जांच अब ठेकेदारों और अधिकारियों के नैक्सस को उजागर करने की दिशा में बढ़ रही है। अगर जांच में और सबूत मिलते हैं, तो न केवल निगम के अधिकारियों बल्कि कई बड़े ठेकेदारों पर भी कार्रवाई हो सकती है। इस मामले में जनता की नजर भी विजिलेंस की अगली कार्रवाई पर टिकी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह जांच जालंधर नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उखाड़ पाएगी।

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