Edited By Mohit,Updated: 30 Nov, 2020 07:10 PM

किसान संगठनों ने सिंधू बॉर्डर पर प्रैस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि यह आंदोलन किसी एक देश का नहीं है।
चंडीगढ़/नई दिल्लीः नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सोमवार को पांचवें दिन भी जारी है। किसान संगठनों ने सिंधू बॉर्डर पर प्रैस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि यह आंदोलन किसी एक देश का नहीं है। केन्द्र सरकार और किसानों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। जहां केन्द्र ज़िद्दी रवैया अपना रही है, वहीं किसान भी पैर पीछे खींचने को तैयार नहीं है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार द्वारा कानून वापिस नहीं लिए गए तो उनके द्वारा दिल्ली में आंदोलन और तेज किया जाएगा। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर दो दिनों में किसानों की बात नहीं मानी गई तो वह पब्लिक और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट बंद कर देंगे।
उन्होंने कहा कि हम जहां है वहीं खड़े रहेंगे, पीछे हटने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने कहा कि मोदी किसानों के मनों की सुने। हम मोदी को अपने मन की बात सुनाने आए हैं। किसान नेता गुरनाम सिंह चंडूनी ने कहा कि हरियाणा सरकार ने अब तक किसानों के खिलाफ 30-31 केस दर्ज किए हैं। सरकार ने कॉर्पोरेट्स को लाभ पहुंचाने के लिए कृषि कानून लागू किए हैं। कॉर्पोरेट ब्लैकमेलिंग करेगा और हर नागरिक को प्रभावित करेगा। किसानों और देश का शोषण किया जा रहा है। कोरोना में कॉर्पोरेट आय भी बढ़ रही है। यह लड़ाई कॉर्पोरेट बनाम जनता के बीच है। उन्होंने सारे देश के नागरिकों को अपील की कि वह इस आर्थिक संघर्ष में किसानों का साथ दे। शिव कुमार कक्का ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक लड़ाई है। हम एक लम्बी लड़ाई के लिए आए हैं।
उधर खाप पंचायतों ने दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचने का ऐलान किया है। वह पूरी तरह से किसानों के साथ हैं। किसानों के अनुसार अगर कृषि कानून वापिस नहीं लिए गए तो वह तख्ता पलट देंगे। उन्होंने कहा कि तीन दिसंबर की मीटिंग का कोई फायदा नहीं है। उन्होंने शर्त रखी कि बुराड़ी ग्राउंड पर किसानों को आने-जाने से रोक ना हो, नहीं तो केन्द्र के साथ कोई बात नहीं होगी। बेशक हम यहां कोरोना के साथ मर जाएं लेकिन हम वापिस नहीं जाएंगे।