चड्ढा शूगर मिल मामले से भी हुई संत सीचेवाल की ‘कुर्सी’ कमजोर

Edited By Vatika,Updated: 01 Dec, 2018 08:37 AM

chadha sugar mill

पर्यावरण प्रेमी संत सीचेवाल को पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सदस्यता से हटाने के मामले में अब नए खुलासे होने लगे हैं। बताया जा रहा है कि चड्ढा शूगर मिल मामले ने भी संत सीचेवाल की ‘कुर्सी’ को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई है।

चंडीगढ़ (अश्वनी): पर्यावरण प्रेमी संत सीचेवाल को पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सदस्यता से हटाने के मामले में अब नए खुलासे होने लगे हैं। बताया जा रहा है कि चड्ढा शूगर मिल मामले ने भी संत सीचेवाल की ‘कुर्सी’ को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई है।
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दरअसल, संत सीचेवाल को नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जिस मॉनीटरिंग कमेटी का सदस्य बनाया था, वह कमेटी लगातार पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से चड्ढा शूगर मिल मामले की रिपोर्ट मांग रही थी। बावजूद इसके बोर्ड ने अब तक रिपोर्ट सबमिट नहीं की है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपी गई अंतरिम रिपोर्ट में भी मॉनीटरिंग कमेटी ने शूगर मिल मामले का ब्यौरा दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने चड्ढा शूगर मिल से निकले शीरे के कारण ब्यास नदी को हुए पर्यावरण संबंधी नुक्सान के आकलन संबंधी एक कमेटी का गठन किया था।
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इस कमेटी को ब्यास नदी की इकोलॉजी के पुनरुद्धार और कायाकल्प करने संबंधी एक्शन प्लान तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया था। कमेटी ने अपने सुझाव पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंप दिए हैं लेकिन बोर्ड ने अब तक एक्शन प्लान मॉनीटरिंग कमेटी को नहीं सौंपा है। बताया जा रहा है कि संत सीचेवाल लगातार बोर्ड अधिकारियों को जल्द से जल्द रिपोर्ट को सबमिट करने को कह रहे थे। संत सीचेवाल इस बात के लिए भी दबाव बना रहे थे कि दिसम्बर के पहले सप्ताह में होने वाली मॉनीटरिंग कमेटी की बैठक में इस रिपोर्ट को हर सूरत में पेश किया जाए। इससे पहले ही सरकार ने उनकी पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से छुट्टी कर दी। 
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संत सीचेवाल पर दबाव की रणनीति 
संत सीचेवाल के करीबियों की मानें तो सीचेवाल को बोर्ड से हटाना एक दबाव की रणनीति है, ताकि वह चड्ढा शूगर मिल मामले में नरम रवैया रखें। ऐसा इसलिए भी है कि पंजाब सरकार द्वारा चड्ढा शूगर मिल पर 5 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया गया था लेकिन मिल ने अभी तक केवल 1.25 करोड़ जुर्माना ही जमा करवाया है। इस धनराशि से पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पंजाब वन एवं वन्यजीव विभाग को ब्यास नदी पुनरुद्धार के लिए महज 25 लाख ही रिलीज किए हैं। करीबियों की मानें तो ब्यास नदी के पर्यावरण सुधार में हो रही देरी भी संत सीचेवाल को खटक रही थी, जिसके लिए वह बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे थे। इसी कड़ी में संत सीचेवाल मॉनीटरिंग कमेटी के सदस्यों सहित जल्द ही चड्ढा शूगर मिल का दौरा भी करने जाने वाले हैं। यह दौरा भी दिसम्बर के पहले सप्ताह में प्रस्तावित है और इससे ठीक पहले ही सरकार ने सीचेवाल को करारा झटका दे दिया।

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मोम नहीं हूं, जिसे सरकार मनमर्जी से ढाल ले : सीचेवाल
सरकार तो मोम का नग तलाशती है ताकि उसे मनमुताबिक ढाला जा सके लेकिन सीचेवाल मोम का नग नहीं है। मॉनीटरिंग कमेटी ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से चड्ढा शूगर मिल संबंधी पूरी रिपोर्ट मांगी है, लेकिन अब तक यह रिपोर्ट नहीं मिल पाई है। रिपोर्ट मिलेगी तो उस पर पर्यावरण कानून के मुताबिक फैसला किया जाएगा। बोर्ड की सदस्यता छीन लेने से मेरे रवैये में कोई फर्क नहीं पडऩे वाला। दिसम्बर के पहले सप्ताह में मॉनीटरिंग कमेटी चड्ढा शूगर मिल का दौरा करेगी। पंजाब सरकार ने 4 साल तक नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को गुमराह किया लेकिन अब ट्रिब्यूनल द्वारा गठित मॉनीटरिंग कमेटी को गुमराह नहीं किया जा सकता है।   

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