Edited By Kamini,Updated: 14 Dec, 2024 01:01 PM
प्रदेश में लंबे समय से फैल रहे ट्रांसपोर्ट विभाग में भ्रष्टाचार का मामला आए दिन सुर्खियों में आ जाता है, क्योंकि इस विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई सक्षम अधिकारी ही नहीं है।
पटियाला : प्रदेश में लंबे समय से फैल रहे ट्रांसपोर्ट विभाग में भ्रष्टाचार का मामला आए दिन सुर्खियों में आ जाता है, क्योंकि इस विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कोई सक्षम अधिकारी ही नहीं है। पिछले दिनों विजीलैंस ब्यूरो पटियाला ने पटियाला में तैनात मोटर व्हीकल इंस्पैक्टर (एम.वी.आई.) गुरमीत सिंह और पटियाला के ही रहने वाले उसके साथी अनिल को 14,000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। चूंकि पहले परिवहन विभाग में कम रिश्वत देकर काम हो जाता था, लेकिन अब रिश्वतखोरी और अधिक बढ़ गई है। पटियाला के एमवीआई के विजिलैंस के हत्थे चढ़ने के बाद परिवहन कार्यालय के बाहर कई अन्य नामी-गिरामी एजेंटों की मिलीभगत भी स्पष्ट हो रही है। पटियाला के एमवीआई होने की चर्चा सबसे ऊपर चल रही है। अगर विजिलेंस की ओर से इस मामले की जांच जारी रखी गई तो इसमें नामित एजेंट का पुलिस के रडार पर आना तय है।
वोट के कारण परिवहन विभाग का काम ठप
जिस दिन से राज्य में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायत चुनाव का बिगुल बजा है, उसी दिन से परिवहन विभाग का पूरा काम ठप पड़ गया है। क्योंकि चुनाव की कमान परिवहन विभाग के आर.टी.ओ को सौंप दिया गया है, जिससे ड्राइविंग लाइसेंस, आर.सीज व अन्य कार्यों की मंजूरी का काम रुका हुआ है।
परिवहन विभाग द्वारा घग्गा थाने में दर्ज कराया गया मामला भी ठंडे बस्ते में
पटियाला परिवहन विभाग के बहुचर्चित ट्रक बैकलॉग एंट्री मामले को लेकर थाना घग्गा में मामला दर्ज किया गया था, जिसे अब परिवहन विभाग ठंडे बस्ते में डालकर विभाग के सरकारी कर्मचारियों को बचाने की कोशिश कर रहा है क्योंकि पहले ही कई लोगों को जेल भेजा जा चुका हैं और अब जमानत पर आने के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में कई बड़े लोगों के नाम शामिल होने की संभावना है। बता दें कि 2015-16 में पटियाला परिवहन विभाग ने अंबाला अथॉरिटी के साथ मिलकर दर्जनों ट्रकों को नई पॉलिसी के तहत बाहरी राज्यों के डिफाल्टर वाहनों की बैकलॉग एंट्री के जरिए पास कर दिया और राजकीय कोष में एक भी पैसा नहीं दिया।
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