Edited By Urmila,Updated: 10 Dec, 2021 01:33 PM

जैसे-जैसे मतदान नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे अपनी, मांगों को मनाने के लिए अलग-अलग वर्गों के स्तर पर पंजाब सरकार खिलाफ आंदोलन भी जोर पकड़ते जा रहे हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए पंजाब पुलिस ...
चंडीगढ़ (अश्विनी): जैसे-जैसे मतदान नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे अपनी, मांगों को मनाने के लिए अलग-अलग वर्गों के स्तर पर पंजाब सरकार खिलाफ आंदोलन भी जोर पकड़ते जा रहे हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए पंजाब पुलिस ने एक फार्मूला ढूंढा परन्तु शाम ढलते-ढलते यह फार्मूला फेल हो गया। दरअसल, पंजाब पुलिस के स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट ने एक पत्र जारी करके राज्यों के सभी पुलिस आधिकारियों को निर्देश जारी किए कि जहां कहीं भी कोई संगठन मुख्यमंत्री के आयोजित समागम खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करता है, वहीं डी.जे. लगा दिया जाए जिससे नारों की आवाज सुनाई न दे। निर्देश में यह भी कहा गया है कि डी.जे. पर गुरबानी शब्द या धार्मिक गीत चलाए जाएं।
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इन निर्देशों के जनतक होते ही पंजाब का राजनीतिक पारा गर्मा गया। बेशक पंजाब पुलिस बैकफुट पर आई परन्तु राजनीतिक पार्टियों ने फ्रंटफुट पर आकर सरकार खिलाफ मोर्चा खोला। शिरोमणि अकाली दल ने इसको घोर बेअदबी का मामला करार दिया है। शिरोमणि अकाली दल प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि दुखी लोगों की आवाज दबाने के लिए पंजाब सरकार घोर पाप करने की रास्ते पर है। गुरबाणी को शोर-शराबे को दबाने के लिए इस्तेमाल करना घोर बेअदबी है। इन निर्देशों ने साफ कर दिया है कि पंजाब सरकार राज्य के बाशिंदों की आवाज और अपनी, जायज मांगों के लिए आवाज बुलंद करने वालों के दर्द को समझने में नाकाम है और उनकी आवाज दबाने पर तुली हुई है। उधर, अन्य राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने कहा कि यह जनता की धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ है। खास तौर पर विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ धार्मिक श्रद्धा को टूल की तरह इस्तेमाल करने का काम किया जा रहा है।
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देर शाम पुलिस ने निर्देश लिए वापस, जारी किया नया आदेश
उधर, चारों तरफ आलोचना के बाद देर शाम स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट ने स्पष्टीकरण जारी किया। यूनिट के इंस्पेक्टर जनरल पुलिस की तरफ से जारी स्पष्टीकरण में कहा गया कि पहले जारी किया गया पत्र क्लेरिकल गलती के कारण विड्रॉल किया जाता है। वहीं स्पष्टीकरण में आगे नए निर्देश जारी करते कहा गया है कि जब मुख्यमंत्री पंजाब की आम जनता की फरियाद सुन रहे हों तब लाउड स्पीकर की आवाज कम कर दी जाए जिससे मुख्यमंत्री को जनता की आवाज सुनने में कोई मुश्किल पेश न आए।
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