बड़ी खबरः PGI में ब्लैक फंगस के केसों ने मचाया हड़कंप, 500 लोगों की आंखों की रोशनी गायब

Edited By Vatika,Updated: 19 May, 2021 10:58 AM

black fungus threat among corona

कोरोना मरीजों के लिए अब ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस एक बड़ी परेशानी बन गया है

चंडीगढ़ (पाल) : कोरोना मरीजों के लिए अब ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस एक बड़ी परेशानी बन गया है। सबसे खतरनाक बात यह है कि कोरोना मरीजों की आंखों की रोशनी पर इसका सबसे बड़ा असर पड़ रहा है। कोविड वैक्सीनेशन कमेटी के चेयरमैन और आई डिपार्टमैंट के हैड डॉ. एस.एस. पांडव के मुताबिक पिछले 2-3 हफ्तों के बीच पी.जी.आई. के आई सैंटर में 400 से 500 मरीज अब तक देखे गए हैं, जिनकी आंखों की रोशनी ब्लैक फंगस की वजह से चली गई है। ये वे मरीज हैं जो डायरैक्ट आई सैंटर में आए हैं जबकि ये मरीज ई.एन.टी. एमरजैंसी में आते हैं। उनके रैफर के बाद ही मरीज हमारे पास आते हैं। 

इन मरीजों की आंख की रोशनी एक बार चली जाए तो दोबारा आने की संभावना नहीं के बराबर है। हम इन मरीजों को एंटी फंगल ट्रीटमैंट दे रहे हैं। इस बीमारी में मरीज की आंखों में खून की सप्लाई करने वाली नसें बंद हो जाती हैं। दवाइयां दी जाती हैं लेकिन उससे रोशनी वापस नहीं आती। वहीं, अगर समय रहते बीमारी का सही इलाज न करवाया जाए तो दूसरी आंख की रोशनी भी जा सकती है। डॉ. पांडव ने बताया कि मरीज अगर शुरूआती स्टेज में आए तो उसकी आंखों की रोशनी बचाई जा सकती है।

ज्यादातर डायबिटीज के मरीज
जिन मरीजों की आंखों की रोशनी गई है, उनमें ’यादातर डायबिटीज के मरीज हैं। इनमें चंडीगढ़ समेत आसपास के रा’यों से भी मरीज हैं। मरीजों को चाहिए कि कोरोना ठीक होने के बाद अगर उनकी आंखों में धुंधलापन, चेहरे में दर्द या कोई दूसरी परेशानी दिखे तो वे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जितनी जल्दी इसका पता चलेगा, उतना अ‘छा इलाज उपलब्ध हो सकेगा। 

स्टेरॉयड बन रहा बड़ा कारण
कोरोना मरीजों को 5 से 10 दिन तक ही स्टेरॉयड देना चाहिए। इसके बावजूद ऐसे मरीजों को 10 से 15 दिन तक स्टेरॉयड दिया जा रहा है जोकि बाद में ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस का कारण बन रहा है। म्यूकरमाइकोसिस की बीमारी नई नहीं है। यह पुरानी है लेकिन कोरोना की वजह से यह बढ़ गई है। अनियंत्रित डायबिटीज और कोरोना मरीजों को ’यादा मात्रा और ’यादा दिनों तक स्टेरॉयड देना इसकी बड़ी वजह है। म्यूकरमाइकोसिस में हर पांच दिन बाद मरीज अगली स्टेज में पहुंच जाता है और 15 दिनों में ही मरीज म्यूकर की लास्ट स्टेज में पहुंच जाता है।

किस स्टेज में क्या होता है
पहला चरण
: फंगस की शुरूआत नाक से होती है। इसमें वायरस नाक में ही रहता है। जुकाम, नाक बंद हो जाना, नाक से खून आना, दर्द, चेहरे पर सूजन व कालापन आना।
दूसरा चरण : फंगस नाक से साइनस में पहुंच जाता है। आंख की एक नस साइनस से होते हुए ब्रेन में जाती है, इससे वो भी ब्लॉक होती है। आंख में दर्द बढ़ता है, आंखों में सूजन आनी शुरू हो जाती है। साथ ही आंखों की रोशनी भी कम होने लगती है।
तीसरा चरण : इसमें वायरस आंख के अंदर चला जाता है। साथ ही फेफड़े में भी जा सकता है। आंख हिलती नहीं है, बंद हो जाती है, जिससे दिखना भी बंद हो जाता है। फेफड़े में जाने पर खांसी और जकडऩ जैसी समस्या हो सकती है।
चौथा चरण : इसमें वायरस ब्रेन में चला जाता है। इसमें मरीज बेहोश होने लगता है, अन्य मानसिक दिक्कतें भी शुरू हो जाती हैं।

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