Jalandhar: स्मार्ट सिटी का सबसे बड़ा स्कैंडल, करोड़ों खर्च कर भी अंधेरे में डूबा शहर

Edited By Urmila,Updated: 09 Jun, 2025 10:56 AM

biggest scandal of smart city

स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जालंधर को आधुनिक और विकसित शहर में तब्दील करने का सपना दिखाया गया था, लेकिन अब यही मिशन एक बड़े घोटाले का प्रतीक बनता जा रहा है।

जालंधर (खुराना): स्मार्ट सिटी मिशन के तहत जालंधर को आधुनिक और विकसित शहर में तब्दील करने का सपना दिखाया गया था, लेकिन अब यही मिशन एक बड़े घोटाले का प्रतीक बनता जा रहा है। शहर के सबसे बड़े एल.ई.डी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट में भारी गड़बड़ियों और लापरवाही का आरोप सामने आया है। 43.87 करोड़ रुपये की लागत वाला यह प्रोजेक्ट कैसे 57.92 करोड़ तक पहुंच गया, यह सवाल अब जांच के घेरे में है। पर इसके बावजूद आज भी यह सिलसिला थमा नहीं और आज भी शहर में करोड़ों की लाईटें लगाई जा रही हैं ।

तीन साल पहले आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार ने स्मार्ट सिटी घोटाले की जांच का जिम्मा स्टेट विजिलेंस को सौंपा था। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा 1 अगस्त 2022 को विजिलेंस जांच के आदेश जारी किए गए थे। इसके तुरंत बाद 18 अगस्त को विजीलैंस डीएसपी ने स्मार्ट सिटी के सीईओ से सारे प्रोजेक्टों का रिकॉर्ड मांगा, जो बोरियों में भरकर फोटोस्टेट कागजों के रूप में विजिलेंस को सौंपा गया।

एलईडी स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट का रिकॉर्ड भी काफी हद तक खंगाला जा चुका है और प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जांच चाहे धीमी गति से आगे बढ़ रही है, लेकिन सूत्रों के अनुसार विजीलैंस का पहला एक्शन स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट पर होने वाला है। इस प्रोजैक्ट में कथित भ्रष्टाचार की पुष्टि कैग की रिपोर्ट में भी हो चुकी है।

हाऊस और चंडीगढ़ की बिना मंजूरी से बढ़ाई गई टैंडर राशि

इस प्रोजैक्ट में सबसे बड़ी गड़बड़ी यह है कि पूर्व सीईओ करनेश शर्मा ने पार्षद हाऊस को बताए बिना प्रोजेक्ट की लागत 43.87 करोड़ से बढ़ाकर 57.92 करोड़ कर दी। यह निर्णय नगर निगम की मंजूरी के बिना लिया गया और न ही चंडीगढ़ बैठी स्टेट लेवल टेक्निकल कमेटी से इस बढ़ोतरी की मंजूरी ली गई। टेंडर के अनुसार पुरानी 43 हजार स्ट्रीट लाइटों को हटाकर नई लाइटें लगानी थीं, लेकिन 72 हजार से अधिक नई लाइटें लगा दी गईं। यह भी पता चला है कि कंपनी ने काम में कई अनियमितताएं बरतीं, जैसे कई जगह क्लैम्प तक न लगाए गए, अर्थिंग नहीं की गई, और कई जगहों पर घटिया काम हुआ।

स्ट्रीट लाइट्स की मेंटेनैंस में भी भारी गड़बड़ी

प्रोजैक्ट की शर्तों के अनुसार कंपनी को 5 वर्षों तक लाइटों की मेंटनैंस करनी थी, जिसके लिए 13.14 करोड़ का भुगतान तय था। परंतु जब ऑडिट हुआ तो रिपोर्ट में पाया गया कि मेंटेनेस का कार्य पूरा नहीं हुआ है, फिर भी कंपनी को 2.56 करोड़ (फरवरी 2024 तक) किया गया जो गलत था। अब हाल ही में 1.64 करोड़ रुपए का और भुगतान कंपनी को किया गया है जो सही है या गलत, यह विजिलेंस जांच में ही पता लगेगा। अधिकारियों के मुताबिक हाल ही में कंपनी पर 21 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है और करीब 27 लाख रुपए की पेमैंट भी काटी गई है।

100 करोड़ खर्चने के बावजूद आज भी अंधेरे में डूबा शहर

इतने बड़े निवेश और करोड़ों की स्ट्रीट लाइटों के बावजूद शहर के कई हिस्से अब भी अंधेरे में डूबे हुए हैं। हाल ही में जीते हुए सभी 85 पार्षदों और हारे हुए आप उम्मीदवारों को 25-25 स्ट्रीट लाइटें दी गई हैं, बावजूद इसके और लाइटों की मांग लगातार की जा रही है। नगर निगम, स्मार्ट सिटी, एम.पी.-एम.एल.ए. फंड और अन्य ग्रांट्स को मिलाकर अब तक 100 करोड़ रुपए से अधिक की स्ट्रीट लाइटें लग चुकी हैं। बावजूद इसके डार्क पॉइंट्स को हटाने के नाम पर बिना टैंडर के लाखों रुपए की स्पाइरल डेकोरेटिव लाइटें लगाई गईं जिनमें से कई लाइटें अब गायब हैं।

विजिलेंस इन बिंदुओं पर कर सकती है जांच

- बिना मंजूरी बढ़ाई गई टैंडर राशि
- अधूरी मेंटेनेस के बावजूद भुगतान
- सिस्टम पर बहुत कम पैसे खर्च किए गए
- स्पाइरल लाइट्स पर बिना टैंडर अत्यधिक खर्च
- गुम हुई स्पाइरल लाइटों की जिम्मेदारी

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