Edited By Kamini,Updated: 31 May, 2025 01:55 PM

जालंधर जैसे अपेक्षाकृत छोटे शहर में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अब तक 900 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इन फंड्स के उपयोग को लेकर भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं।
जालंधर (खुराना): जालंधर जैसे अपेक्षाकृत छोटे शहर में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत अब तक 900 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इन फंड्स के उपयोग को लेकर भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। अब यह मामला केंद्र और राज्य स्तरीय जांच एजेंसियों तक पहुंच गया है। स्टेट विजिलैंस ब्यूरो ने जालंधर स्मार्ट सिटी से संबंधित कई प्रोजैक्टों का रिकॉर्ड अपने कब्जे में ले रखा है और इन प्रोजैक्ट्स के टेक्निकल ऑडिट की तैयारी चल रही है। इससे पहले इन प्रोजैक्ट्स का फाइनेंशियल ऑडिट भी हो चुका है, जिसमें गंभीर अनियमितताओं के संकेत मिले थे।
निगम अधिकारियों की निगरानी में हुए थे स्मार्ट सिटी के काम
खास बात यह है कि जालंधर स्मार्ट सिटी के कार्यों की निगरानी जालंधर नगर निगम के अधिकारियों द्वारा की गई थी। इसी कारण माना जा रहा है कि स्मार्ट सिटी के स्कैंडल के तार सीधे रूप से जालंधर निगम से जुड़े हुए हैं। विजिलैंस फिलहाल जालंधर निगम के विभिन्न विभागों की जांच कर रही है और निगम के कई अधिकारी अब विजिलैंस की जांच के दायरे में आ चुके हैं। 2 निगम अधिकारियों और एक 'आप' विधायक रमन अरोड़ा को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि कई अन्य अफसरों पर भी गाज गिर सकती है।
सूत्रों के अनुसार, स्टेट विजीलैंस ने पंजाब सरकार से टैक्निकल टीमें उपलब्ध कराने की मांग कर रखी है ताकि प्रोजैक्टों की क्वालिटी की गहन जांच हो सके। उम्मीद की जा रही है कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले इस मामले में निर्णायक कार्रवाई हो सकती है। खास बात यह भी है कि स्मार्ट रोड्स, चौकों का सौंदर्यीकरण, एल.ई.डी. लाइट्स और पार्क विकास जैसे प्रोजैक्टों पर भारी-भरकम बजट खर्च किया गया, लेकिन शहर की हालत ज्यों की त्यों बनी हुई है। आरोप हैं कि ये पैसे गलियों-नालियों की मरम्मत और अनावश्यक खर्चों में बहा दिए गए, जबकि कई प्रोजैक्ट्स में भ्रष्टाचार ने काम की क्वालिटी को बर्बाद कर दिया। पंजाब सरकार ने करीब तीन साल पहले स्मार्ट सिटी के 60 प्रोजैक्ट्स की जांच स्टेट विजीलैंस को सौंपी थी, लेकिन विभिन्न कारणों से जांच में देरी हो रही है।
संबंधित अफसरों की बन चुकी है सूची
विजीलैंस ने स्मार्ट सिटी प्रोजैक्टों में तैनात रहे सरकारी अधिकारियों की सूची तैयार कर ली है, जिसमें जूनियर इंजीनियर (जे.ई. ) से लेकर सी.ई.ओ. लैवल तक के अफसरों के नाम हैं। इनमें सिविल, मैकेनिकल, इलैक्ट्रिकल, लीगल और अकाउंट्स विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं।
कैग द्वारा सामने लाया जा चुका है घोटाला
ख़ास बात यह है कि कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (कैग) की रिपोर्ट में भी जालंधर स्मार्ट सिटी के कामों में गंभीर अनियमितताएं सामने आई थीं। विशेष रूप से 2021 और 2022 के बीच, जब पंजाब में कांग्रेस की सरकार थी, सबसे अधिक घोटाले हुए। उस दौरान कुछ ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाए गए और सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। कैग रिपोर्ट बताती है कि 2021-22 में 265 करोड़ और 2022-23 में 270 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हुए, जबकि इससे पहले के छह वर्षों में कुल 100 करोड़ भी खर्च नहीं हुए थे।
भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं जैसे कि अर्जुन राम मेघवाल, साध्वी निरंजन ज्योति और अनुराग ठाकुर ने इस घोटाले की केंद्रीय जांच की मांग की थी। केंद्र सरकार ने इस संबंध में जालंधर स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से रिपोर्ट तलब कर ली थी और एक विशेष टीम ने घोटालों का रिकॉर्ड भी एकत्रित किया।फिर भी केंद्र की एजैंसी द्वारा धीमी गति से जांच की जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि टेक्निकल ऑडिट कराया गया तो कई प्रोजैक्टों में घटिया मैटीरियल और ठेकेदार-अधिकारियों की मिलीभगत के पक्के प्रमाण सामने आ सकते हैं। यदि विजीलैंस एफ आई आर दर्ज करती है तो कई रिटायर्ड अधिकारी भी कानून के शिकंजे में आ सकते हैं।
स्मार्ट सिटी ने जालंधर शहर पर जो करोड़ों रुपए खर्च किए, उसमें से ज्यादातर पैसा नजर नहीं आ रहा। राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने जांच के आदेश दे रखे हैं। चाहे जांच में देरी हो रही है, परंतु फिर भी किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और एक-एक पैसे का हिसाब होगा। राज्य सरकार को पत्र लिखकर टेक्निकल ऑडिट की मांग की जाएगी और स्टेट विजिलैंस को भी जांच का काम तेज करने को कहा जाएगा।
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