Edited By Kamini,Updated: 01 Mar, 2022 04:37 PM
देश की आजादी का प्रतीक भाखड़ा बांध परियोजना इन दिनों राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में चर्चा का विषय.......
चंडीगढ़ (शर्मा) : देश की आजादी का प्रतीक भाखड़ा बांध परियोजना इन दिनों राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में चर्चा का विषय है। देश में खाद्य और बिजली क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस प्रोजैक्ट में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश तथा राजस्थान की हिस्सेदारी है जिसके कारण इस परियोजना का सारा खर्च इन सहयोगी राज्यों द्वारा वहन किया जाता है। लेकिन केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने हाल ही में जारी नोटिफिकेशन में भाखड़ा ब्यास मैनेजमैंट बोर्ड एक्ट तथा पंजाब पुनर्गठन एक्ट का हवाला देते यह स्पष्ट किया गया है कि बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्य पावर तथा सद्सय सिंचाई की नियुक्ति का अधिकार केंद्र के पास है।
मंत्रालय ने इस संबंध में नियुक्ति नियमों का भी जिक्र किया और कहा कि केंद्र के फैसले से बोर्ड प्रबंधन के ढांचे में कोई बदलाव नहीं आएगा। दशकों से चली आ रही परंपरा के अनुसार बोर्ड में सदस्य पावर की भूमिका पंजाब राज्य तथा मैंबर सिंचाई की जिम्मेदारी हरियाणा की भूमिका पंजाब राज्य ने संभाली है और सदस्य सिंचाई की जिम्मेदारी हरियाणा से डैपूटेशन पर आने वाले इंजीनियर संभालते रहे हैं परन्तु केंद्र द्वारा किए गए नोटिफिकेशन के नियुक्ति नियमं ने पंजाब तथा हरियाणा में राजनीति तौर पर माहौल गर्मा दिया है। इन राज्यों में जहां विरोधी पार्टी केंद्र के इस कदम को देश के समूह ढांचे पर चोट करार देकर राज्यों के हितों पर हमला करने का आरोप लगा रहा है, वहीं भाजपा जोकि पंजाब में सत्ता हासिल करने के लिए मन बना रही है और हरियाणा में सत्ता में है इस मामले को लेकर चुप्पी साधे बैठी है।
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