Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Nov, 2017 02:20 AM
गुजरात में इस बार का विधानसभा चुनाव पिछले चुनावों के मुकाबले बहुत मायनों में भिन्न है और गुजरात में बदलाव की बयार बह रही है। इस चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले होंगे। इसके अलावा हिमाचल में भी कांग्रेस को वापसी की उम्मीद है। यह दावा है पार्टी के प्रवक्ता...
जालंधर: गुजरात में इस बार का विधानसभा चुनाव पिछले चुनावों के मुकाबले बहुत मायनों में भिन्न है और गुजरात में बदलाव की बयार बह रही है। इस चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले होंगे। इसके अलावा हिमाचल में भी कांग्रेस को वापसी की उम्मीद है। यह दावा है पार्टी के प्रवक्ता संदीप दीक्षित का। पंजाब केसरी संवाददाता रिमांशु गाबा ने जालंधर पहुंचे कांग्रेस के प्रवक्ता संदीप दीक्षित के साथ हिमाचल व गुजरात चुनाव के साथ-साथ दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के कामकाज को लेकर भी बातचीत की। पेश है पूरी बातचीत-
प्रश्न : हिमाचल व गुजरात के विधानसभा चुनाव से कांग्रेस को क्या उम्मीदें हैं?
उत्तर : हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के पास मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कामकाज को लेकर बोलने के लिए कुछ नहीं था। लिहाजा भाजपा ने राज्य के विकास को मुद्दा भी नहीं बनाया। यदि विपक्ष कामकाज को मुद्दा नहीं बना रहा तो इसका मतलब है कि जनता भी सरकार के काम और विकास कार्यों से खुश है। इसके नतीजे चुनाव परिणाम के दौरान देखने को मिलेंगे। कांग्रेस अच्छी स्थिति में है और वहां वापसी करेगी। जहां तक गुजरात की बात है वहां इस बार चुनाव पिछले चुनाव के मुकाबले बिल्कुल भिन्न हैं। राज्य के लोग नोटबंदी व जी.एस.टी. के बुरे असर से परेशान हैं। यही कारण है कि वहां कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सभाओं में लोगों का हजूम देखने को मिल रहा है। राहुल वहां विकास व लोगों से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं और लोग उनका सड़कों पर स्वागत कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गुजरात में अब वैसा रिस्पांस नहीं मिल रहा जैसा उन्हें पहले मिलता रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की सभाओं में भी इक्का-दुक्का लोग ही इकट्ठे हुए। इसी से चुनाव परिणाम के संकेत मिलने लगे हैं।
प्रश्न : यदि कांग्रेस में आत्मविश्वास है तो जिग्नेश, अल्पेश और हाॢदक की तरफ क्यों देखा जा रहा है?
उत्तर : यह जातियों का कांग्रेस के प्रति जुड़ाव का नतीजा है। इन तीनों नेताओं को लगता है कि कांग्रेस के साथ जुड़ कर ही भाजपा को सत्ता से बाहर किया जा सकता है और कांग्रेस भी सारी जातियों को साथ लेकर चलने वाली पार्टी रही है और सारे वर्गों को मिलाकर ही कांग्रेस का गठन हुआ है। लिहाजा राजनीतिक रूप से भाजपा को टक्कर देने के लिए इनका समर्थन भी जरूरी बन जाता है। जमीनी स्तर पर कांग्रेस को गुजरात में भारी समर्थन मिल रहा है और लोग कांग्रेस को एक बेहतर विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
प्रश्न : क्या चुनाव में हार व जीत की जिम्मेदारी राहुल के सिर पर ही होगी?
उत्तर : चुनाव में हार या जीत स्थानीय परिस्थितियों पर भी निर्भर होती है। ऐसा नहीं कहा जाना चाहिए कि यदि जीत होती है तो वह सिर्फ राहुल को समॢपत होगी और यदि हार होती है तो राहुल ही उसके लिए जिम्मेदार होंगे। लेकिन राहुल में आए बदलाव और परिपक्वता को पूरा देश देख रहा है। गुजरात के दर्द को आवाज देने वाला एक चेहरा जरूरी था और वह चेहरा राहुल गांधी बनकर उभरे हैं। राहुल अब एक मझे हुए सियासी रणनीतिकार के तौर पर काम कर रहे हैं और उन्होंने पूरी पार्टी को एकजुट होकर काम करने के लिए लगा दिया है। लोग भी उनके साथ जुड़ रहे हैं और यह कांग्रेस के लिए सकारात्मक है।
प्रश्न : राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष कब बन रहे हैं?
उत्तर : मेरे अपने निजी विचार से उन्हें पहले ही अध्यक्ष बन जाना चाहिए था। इससे पार्टी में नई ऊर्जा आती, लेकिन चुनाव की एक प्रक्रिया होती है जो लम्बी है। कांग्रेस एक बड़ी पार्टी है। लिहाजा एक बड़े संगठन में चुनाव कराना एक जटिल काम होता है। लिहाजा प्रशासनिक कारणों के चलते उनके अध्यक्ष बनने में देरी हो रही है लेकिन हमने चुनाव आयोग को 30 दिसम्बर से पहले नया अध्यक्ष चुनने का वायदा किया है और हम इस वायदे को पूरा करेंगे और 30 दिसम्बर से पहले राहुल पार्टी के अध्यक्ष बन जाएंगे।
प्रश्न : दिल्ली में प्रदूषण की समस्या पर कांग्रेस का क्या कहना है?
उत्तर : दिल्ली में प्रदूषण पिछले साल भी हुआ था लेकिन सरकार ने उससे कोई सबक नहीं सीखा। केजरीवाल सिर्फ राजनीति करना जानते हैं और समस्या की जड़ विपक्ष को बताते हैं। समाधान करने में उनकी दिलचस्पी नहीं है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के राज में धड़ाधड़ अवैध झुग्गी-झोंपडिय़ां बन रही हैं, जिसके निर्माण से पैदा होने वाले प्रदूषण के कारण हवा गंदी हो रही है। केजरीवाल ने नगर निगमों के साथ झगड़ा किया हुआ है जिसका असर सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट पर पड़ा है। शहर का सारा कूड़ा जलाया जा रहा है जिससे जहरीला धुआं पैदा होता है। दिल्ली में पहले 8 हजार बसें थीं जिनकी संख्या कम होकर 2000 रह गई है जिसके चलते निजी वाहन इस्तेमाल हो रहे हैं व प्रदूषण बढ़ रहा है। दिल्ली सरकार को अब तक 140 कि.मी. मैट्रो लाइन बना देनी चाहिए थी लेकिन अब तक सिर्फ 20 कि.मी. मैट्रो लाइन बनी है। यदि 140 कि.मी. मैट्रो चल जाती तो निजी वाहन सड़क पर नहीं आते। यह मैट्रो इसलिए नहीं बनाना चाहते क्योंकि उसके लिए अवैध झुग्गियों को हटाना पड़ेगा और इन्हें अपना वोट बैंक टूटने का खतरा है। लिहाजा यह अवैध झुग्गियां नहीं हटाना चाहते। कांग्रेस ने अपने राज में अवैध झुग्गियों का पुनर्वास करवा कर मैट्रो का काम पूरा करवाया था।
प्रश्न: पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने इस मसले पर केजरीवाल से मुलाकात क्यों नहीं की?
उत्तर : अरविंद केजरीवाल ने काम तो कोई करना नहीं है और दिखावे के लिए ट्विटर पर लोगों को यह बता रहे हैं कि पंजाब के मुख्यमंत्री उनसे मुलाकात नहीं कर रहे। यदि कैप्टन केजरीवाल से मुलाकात कर लेते तो वह दिल्ली जाकर हल्ला करते कि मैं तो कैप्टन अमरेन्द्र से मिल आया हूं अब सारी जिम्मेदारी कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की है। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह एक सुलझे हुए नेता हैं और उन्हें पता है कि शिष्टाचार के नाते मुलाकात करने का कोई फायदा नहीं है जब तक इस समस्या का कोई ठोस समाधान मुलाकात में नहीं निकलता। लिहाजा वह बेमतलब की मुलाकात का हिस्सा बनने से बचे। अरविंद केजरीवाल दिल्ली में न एन.जी.टी. की सुनते हैं, न सुप्रीमकोर्ट की मानते हैं और न ही पर्यावरणविदों की बात पर गौर करते हैं। यदि केजरीवाल दिल्ली के माहिरों की ही सुन लें तो समस्या का समाधान हो जाएगा।
प्रश्न : क्या 2019 में राहुल पार्टी का चेहरा होंगे?
उत्तर : यह फिलहाल पार्टी तय करेगी लेकिन मैं चाहता हूं कि वह पार्टी का चेहरा बनें। राहुल अब पहले से ज्यादा परिपक्वता दिखा रहे हैं। अध्यक्ष बनने के बाद उनमें और परिपक्वता आ जाएगी क्योंकि वह 2 साल जनता और गरीबों से जुड़े मुद्दे ही उठाएंगे। राहुल की तारीफ इसलिए भी करनी बनती है क्योंकि वह तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद निखर रहे हैं। राज्यों में कांग्रेस सत्ता से बाहर हो रही है। केंद्र में हम सत्ता में नहीं हैं। मीडिया पर हमारा नियंत्रण नहीं है। सोशल मीडिया में हम मजबूत नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद लोग उन्हें सुन रहे हैं क्योंकि वह गरीबों की बात कर रहे हैं और तमाम अमीर व बड़े लोग उनके खिलाफ हैं इसके बावजूद उनमें आया निखार यह बताता है कि राहुल में दम है।