लोकसभा चुनाव से पहले अब 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव होंगे दिलचस्प

Edited By Urmila,Updated: 15 May, 2023 11:11 AM

assembly elections of 9 states will be interesting

नए संचार और जोश के साथ वह भी अब भाजपा को पूरी तरह से टक्कर देने के मूड़ में है।

जालंधर : कर्नाटक विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद लोकसभा चुनाव से पहले इसी साल के अंत और लोकसभा चुनाव के साथ 9 राज्यों के चुनाव अब दिलचस्प होने वाले हैं। इन चुनावों के लिए कांग्रेस और भाजपा की सियासी रणनीति दिलचस्प रहने वाली है क्योंकि कर्नाटक चुनाव में भाजपा अपनी हार के बाद जहां भाजपा आत्म मंथन के बाद अपने को चुनावी रण में उतारेगी, वहीं कांग्रेस का भी जीत के मनोबल बढ़ा है और नए संचार और जोश के साथ वह भी अब भाजपा को पूरी तरह से टक्कर देने के मूड़ में है।

लोकसभा और विधानसभा में क्या है वोटिंग ट्रेंड

भारत के मतदाता विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जनादेश अलग-अलग तरह से देते हैं। जैसे राजस्थान में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी लेकिन लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 25 में से 24 पर भाजपा को जीत मिली थी। इसी तरह से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के नतीजे रहे थे। हिन्दी राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के नतीजे अलग-अलग पिछले कई चुनावों से दिख रहे हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना के विधानसभा और लोकसभा के नतीजे एक जैसे होते हैं। जानकारों की माने तो कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जीतकर भी कांग्रेस इस बात से आश्वस्त नहीं हो सकती है कि लोकसभा में भी उसे जीत मिलेगी। साल 2013 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा 224 विधानसभा सीटों में 40 पर सिमटकर रह गई थी लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रदेश में 28 सीटों में से 17 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा 28 में से 25 सीटों पर जीत मिली थी।

मिजोरम व तेलंगाना पैठ अब मुश्किल

इन तीन अहम राज्यों के अलावा मिजो नेशनल फ्रंट शासित मिजोरम में नवंबर में चुनाव होंगे और तेलंगाना राष्ट्र समिति से भारत राष्ट्र समिति बनाने वाले के चंद्रशेखर राव शासित तेलंगाना में दिसंबर में चुनाव है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत भाजपा के लिए किसी भी लिहाज से अच्छी खबर नहीं हो सकती है। ओडिशा में नवीन पटनायक, आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी और तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव काफी लोकप्रिय नेता हैं। इन तीनों राज्यों में भाजपा की मौजूदगी कहीं से भी प्रभावी नहीं है। ऐसे में कर्नाटक के बाद इन राज्यों में भाजपा के लिए उम्मीद की कोई ठोस वजह नहीं है।

2000 के बाद कभी चुनाव नहीं हारे ओडिशा के सीएम

आंध्र प्रदेश में 2019 के विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाई.एस.आर.सी.पी. को बंपर जीत मिली थी और लोकसभा चुनाव में भी कुल 25 सीटों में से 22 पर उसी की जीत हुई थी। तीन सीट टी.डी.पी. के खाते में गई थी। भाजपा को एक भी सीट नहीं मिली थी। ओडिशा में भी विधानसभा चुनाव में नवीन पटनायक को जीत मिली थी और लोकसभा चुनाव में भी 21 में 12 सीटों पर जीत मिली थी। तेलंगाना में भी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के नतीजे अलग-अलग नहीं थे। मार्च 2000 में ओडिशा के मुख्यमंत्री बनने के बाद से नवीन पटनायक कभी चुनाव नहीं हारे हैं।

हार से मोदी की लोकप्रियता पर कितना असर

वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नाटक विधानसभा के चुनावी नतीजे के आधार पर नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को कमतर आंकना जल्दबाजी होगी। वह कहती हैं कि कर्नाटक में भाजपा के पास स्थानीय नेतृत्व कांग्रेस की तुलना में काफी कमजोर है।  भाजपा के पास येदियुरप्पा के अलावा कोई कद्दावर नेता नहीं है। येदियुरप्पा भी अब काफी अलोकप्रिय हो गए हैं। कर्नाटक में भाजपा की हार से ज़्यादा कांग्रेस की जीत महत्वपूर्ण है। नीरजा कहती हैं कि भाजपा का स्थानीय नेतृत्व खासा अलोकप्रिय था, दूसरी बात यह कि जितनी बड़ी जीत कांग्रेस को मिली है, उससे साफ है कि पारंपरिक रूप से भाजपा को वोट करने वाले लिंगायतों ने भी कांग्रेस को वोट किया है।

किन राज्यों में होने हैं चुनाव

छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना शामिल है, जहां पर संभवत नवंबर और दिसंबर में चुनाव समाप्त हो जाएंगे। इसके अलावा लोकसभा चुनाव से पहले या साथ में आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा में भी विधानसभा चुनाव होंगे। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, जबकि  मध्य प्रदेश की सत्ता पर भाजपा काबिज है। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में इसी साल नवंबर में और राजस्थान में दिसंबर में चुनाव होंगे। जानकारों का कहना है कि जिनती भाजपा को मध्य प्रदेश में दोबारा सत्ता हासिल करने के लिए हाथपांव मारने पड़ेंगे, उतनी ही मेहनत कांग्रेस को राजस्थान में भी करने पड़ेगी, हालांकि कौन कहां खड़ा है यह तो नतीजों से पता चल पाएगा।

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