Edited By Subhash Kapoor,Updated: 03 Jan, 2025 07:36 PM
हाल ही में जालंधर सहित पंजाब की अलग-अलग नगर निगमों के लिए निकाय चुनाव करवाए गए, जिसके बाद मेयर बनाने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन इस बीच शिरोमणि अकाली दल एक बार फिर चर्चा में आ गया है। यह चर्चा इसलिए नहीं हो रही कि शिरोमणि अकाली दल की क्या स्थिति...
जालंधर : हाल ही में जालंधर सहित पंजाब की अलग-अलग नगर निगमों के लिए निकाय चुनाव करवाए गए, जिसके बाद मेयर बनाने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन इस बीच शिरोमणि अकाली दल एक बार फिर चर्चा में आ गया है। यह चर्चा इसलिए नहीं हो रही कि शिरोमणि अकाली दल की क्या स्थिति रही, बल्कि इसलिए हो रही है क्योंकि वार्ड नं. 30 में अकाली दल की तरफ से किसी कैंडीडेट को मैदान में नहीं उतारा गया।
बहुत से लोग सोच रहे होंगे कि जालंधर के वार्ड नं. 30 में कैंडीडेट खड़ा न करना कौन सी बड़ी बात थी। लेकिन यह वार्ड इसलिए चर्चा में है क्योंकि यहां पर शिरोमणि अकाली दल के केंद्रीय हलका इंचार्ज इकबाल सिंह ढींडसा की पत्नी मैदान में थी। जानकारी के अनुसार ढींडसा की पत्नी रमिंद्र कौर ने वार्ड नं. 30 में चुनाव तो लड़ा, लेकिन उनका चुनाव चिन्ह शिरोमणि अकाली दल की 'तकड़ी' नहीं थी, बल्कि जहाज था। ढींडसा की पत्नी वार्ड नं. 30 से आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरी तथा उन्होंने 547 मत हासिल किए। इस वार्ड से कांग्रेस की जसलीन कौर सेठी जीती हैं।
सवाल यह खड़ा हो रहा है कि शिरोमणि अकाली दल की तरफ से जालंधर में 31 वार्डों में उम्मीदवार घोषित किए गए थे, लेकिन वार्ड नं. 30 में कोई कैंडीडेट मैदान में नहीं उतारा गया था। यह वार्ड केंद्रीय विधानसभा हलके के तहत आता है तथा इसके प्रभारी इकबाल सिंह ढींडसा ही हैं जो रमिंद्र कौर के पति हैं। इस बात को लेकर काफी चर्चा है कि अगर ढींडसा के परिवार ने इस वार्ड से चुनाव लड़ना ही था तो वह पार्टी के चुनाव चिन्ह से क्यों मैदान में नहीं उतरे और अगर चुनाव मैदान में उतरना था तो फिर इस वार्ड से शिरोमणि अकाली दल से किसी को टिकट क्यों नहीं दिया गया।