कहीं आपके घर तो नहीं आ रहा मिलावटी दूध, ऐसे करें मिनटों में Check

Edited By Kalash,Updated: 07 Dec, 2024 05:04 PM

adulterated milk check

आम तौर पर शुद्ध दूध को बच्चों, बुजुर्गों और नौजवानों सहित हर एक इंसान के लिए संपूर्ण खुराक माना जाता है क्योंकि शुद्ध दूध में शरीर के लिए जरूरी बहुत से खुराकी तत्व मौजूद होते हैं।

गुरदासपुर : आम तौर पर शुद्ध दूध को बच्चों, बुजुर्गों और नौजवानों सहित हर एक इंसान के लिए संपूर्ण खुराक माना जाता है क्योंकि शुद्ध दूध में शरीर के लिए जरूरी बहुत से खुराकी तत्व मौजूद होते हैं। परन्तु दूध की उपभोगता के मुकाबले उत्पादन कम होने के कारण दूध में मिलावट का रुझान दिन ब दिन बढ़ रहा है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारटी आफ इंडिया की तरफ से करवाए गए एक सर्वे के अनुसार कुछ साल पहले यह बात सामने आई थी कि दूध में मिलावट के लिए पानी का प्रयोग सब से ज्यादा किया जाता है। इसके अलावा बहुत से व्यापारियों की तरफ से डिटर्जेंट सहित अन्य चीजों का प्रयोग करके भी दूध तैयार किया जाता है। परन्तु मिलावटी दूध मानवीय सेहत को लाभ देने की बजाय उल्टा नुकसान करता है। इस संबंधी विभिन्न विशेषज्ञों के किए अध्ययन मुताबिक यदि लम्बा समय मिलावटी या सिंथेटिक दूध का सेवन किया जाए तो कई तरह के शारीरिक विकार पैदा हो सकते हैं।

पानी की मिलावट के नुक्सान और परख का ढंग

दूध में पानी की मिलावट के साथ दूध की पौष्टिकता कम हो जाती है। यदि मिलावट के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पानी दुषित है तो दूध के सेवन के साथ टाईफाईड, हैपेटाईटस, दस्त, हैजा आदि बीमारियां हो सकतीं हैं। पानी की परख के लिए एक कांच का टुकड़ा लो, उस पर एक बूंद दूध की फेंको और कांच के टुकड़े को एक तरफ से थोड़ा सा उपर उठाओ। शुद्ध दूध धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा और पीछे सफेद रंग की पूंछ बनाएगा। परन्तु मिलावटी दूध बिना कोई निशान छोड़े तेजी से आगे बढ़ेगा।

डिटर्जेंट और गुलूकोज की मिलावट

डिटर्जेंट को दूध में तेल (सस्ती चरबी) को घुलने और दूध को एक विशेष सफेद रंग देने के लिए मिलाया जाता है। इसकी मिलावट के साथ पेट के रोग पैदा होते हैं। डिटर्जेंट की परख के लिए 10 मिलिलीटर दूध लेकर इस में इतनी ही मात्रा में पानी डालें। यदि झाग पैदा हो तो इस का मतलब है कि दूध में डिटर्जेंट की मिलावट है। दूध में ग्लूकोज की मिलावट दूध की मिठास बढ़ाने के लिए की जाती है। ग्लूकोज की परख के लिए डायसेटिक की एक पट्टी ले कर इस को दूध के नमूने में 30 सैकिंड के लिए डूबो दो। यदि पट्टी का रंग बदलता है तो दूध में ग्लूकोज की मिलावट की गई है।

सिंथेटिक दूध के नुक्सान

युरिया भी सिंथेटिक दूध ( मिलावटी दूध) के प्रमुख तत्वों में से एक है जो दूध की शेल्फ लाईफ को बढ़ाने के लिए मिलाया जाता है। युरिया एक नाईट्रोजन स्रोत होने के कारण दूध में नकली प्रोटीन की मात्रा में वृद्धि का काम करता है। वैसे युरिया भी दूध का कुदरती तत्व है। युरिया दिल, गुरदे और जिगर के लिए नुकसानदेय है। युरिया की परख के लिए दूध का नमूना लेकर उस में सोयाबीन पाउडर मिलाओ। टैस्ट ट्यूब को हिला कर सामग्री को मिलाओ और लगभग 5 मिनट के बाद नमूने में एक लाल लिटमस पेपर डूबो दो। 30 सैकिंड के बाद कागज को हटाओ और यदि रंग लाल से नीला हो जाए तो दूध के नमूने में युरिया की मिलावट है।

फोरमालिन की मिलावट

दूध में फारमलडीहाईड की मिलावट से दूध को खराब करने वाले जीवाणु भाव बैक्टीरिया की संख्या कम हो जाती है। उक्त फोरमालिन एक खतरनाक रसायन है जो मानवीय सेहत पर बुरे प्रभाव डालता है और इसे कैंसर का कारक माना जाता है। इस की परख के लिए एक टैस्ट ट्यूब में लगभग 10 मिलिलीटर दूध का नमूना लेकर इस में थोड़ी मात्रा में फेरिक क्लोराइड के साथ 5 मिलिलीटर घना सल्फ्यूरिक एसिड डालें। यदि जामुनी या नीला रंग हो जाए तो दूध के नमूने में फारमलिन की मौजुदगी है।

स्टार्च की मिलाव

स्टार्च एक सस्ता पदार्थ है जो कि गेहूं के आटे, मक्की की आटे और व्यापारिक रुप से तैयार की स्टार्च के रूप में उपलब्ध होता है। स्टार्च को दूधऔर दूध के उत्पादों का भार बढ़ाने के लिए मिलाया जाता है। यदि दूध में स्टार्च की मिलावट होती है तो दस्त की बीमारी लग जाती है। इस की परख के लिए 5 मिलिलीटर दूध में 2 चम्मच नमक (आइयोडीन) डालें। यदि यह नीला हो जाए तो दूध में स्टार्च की मिलावट का प्रमाण है।

पशूओं में ऐंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग

पशूआं में ऐंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग किए जाने के कारण ऐंटीबायोटिकस के अवशेष दूध में मौजूद होते है जो नुकसानदेय सिद्ध होते है। इसी तरह दूध के तेजाबीपन को सही करने के लिए दूध में खार मिलाए जाते हैं। यदि दूध बेचने के समय तक अधिक समय लगता है, तो जीवाणुओं की गिणती अधिक हो जाने के कारण दूध का तेजाबीपन बढ़ जाता है जिससे यह प्रोसेसिंग के लिए अयोग्य हो जाता है। कारबोनेटस, बाईकारबोनेटस और अलकालिस जैसे खार ज़्यादातर दूध में विकसित तेजाबीपन और कड़वे स्वाद को घटाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। यह खार शरीर के लिए बहुत ज़्यादा नुकसानदेय होते हैं और कानून के अधीन मंज़ूर नहीं हैं। यह खार दस्त, उलटियां, पेट दर्द आदि का कारण बन सकते हैं। 

खार की परख के लिए एक टैस्ट ट्यूब में 5 मिलिलीटर दूध का नमूना लो और इस में 5 मिलिलीटर अल्कोहल डालो और इस के बाद रोज़ालिक एसिड की 4-5 बूंदें डाले। यदि दूध का रंग लाल हो जाता है तो दूध में बाईकारबोनेटस की मौजुदगी होती है। इसी तरह दूध की मिलावट को परखने के लिए गुरू अंगद देव वेटनरी एंड एनिमल सायंसज़ यूनिवर्सिटी लुधियाना के कालेज डायरी सायंसज ऐंड टैकनालोजी से दूध की मिलावट को परखने के लिए किट मिलती है। जिसका प्रयोग करके आसान तरीके से दूध की मिलावट के लिए इस्तेमाल किए जाते कई पदार्थों का पता लगाया जा सकता है।

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