6500 स्कूलों की होगी चारदीवारी, सिक्योरिटी गार्ड सहित मिलेगी अलग ट्रांसपोर्ट

Edited By Urmila,Updated: 22 Jul, 2023 02:56 PM

6500 schools will have boundary wall

‘‘पंजाब के सरकारी स्कूलों में नेताओं तथा अफसरों के बच्चे भी दाखिला लेंगे और लोग प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों को प्राथमिकता देंगे।’’

जालंधर (रमनदीप सिंह सोढी): ‘‘पंजाब के सरकारी स्कूलों में नेताओं तथा अफसरों के बच्चे भी दाखिला लेंगे और लोग प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों को प्राथमिकता देंगे।’’ यह दावा किया है पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस का। उनके मुताबिक राज्य में ‘शिक्षा क्रांति’ आ रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शैक्षणिक ढांचे के सुधार के लिए खजाने का मुंह खोल दिया है। कई बार अफसर टाल-मटौल भी करते हैं पर मान साहब सख्ती के साथ हमें फंड भी दिलाते हैं। 

बैंस के मुताबिक सरकार ने सरकारी स्कूलों को ट्रांसपोर्ट देने के लिए नीति तैयार कर ली है, जिसको मुख्यमंत्री मान ने मंजूरी दे दी है और जल्दी ही इसको लागू किया जाएगा। उनके मुताबिक इसको ट्रांसपोर्ट विभाग नहीं बल्कि शिक्षा विभाग ही शुरू करेगा। नए सुधारों और स्कूलों की स्थिति को लेकर उनके विस्तार के लिए उनसे की गई बातचीत के मुख्य अंश इस प्रकार हैं:

-आपके क्षेत्र समेत पंजाब में बाढ़ों की स्थिति क्या है?
मेरे क्षेत्र से बाढ़ों की शुरूआत हुई थी। पानी ने बड़ी तबाही मचाई है। इंफ्रास्ट्रक्चर का भी बहुत नुक्सान हुआ है। सरकार इसके पुन: विस्थापन के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है। ऐसा पहली बार है जब पंजाब के मुख्यमंत्री पिछले नेताओं की तरह हैलीकाप्टर पर दौरा करने की बजाय ग्राऊंड पर लोगों के साथ खड़े हैं। मालवा में घग्गर ने सबसे ज्यादा नुक्सान किया है।

स्कूलों की बात करें तो सोमवार तक कुल 172 स्कूल बंद थे पर अब सिर्फ 65 स्कूल ऐसे रह गए हैं जो बाढ़ों की मार झेल रहे हैं। हम 20,000 स्कूलों को पहली बार डिस्क्रेशनरी ग्रांट दे रहे हैं, जिसके तहत 5000 से लेकर 30,000 रुपए तक दे रहे हैं। स्कूल का प्रमुख उसको अपनी मर्जी से पुनस्र्थापना के लिए प्रयोग कर सकता है। इसके अलावा हम सब से ज्यादा बाढ़ प्रभावित स्कूलों को भी 10 करोड़ की ग्रांट दे रहे हैं पर यह कुदरत का कहर है और पंजाब ने इससे भी बड़ी मुसीबतों का सामना किया है। मुझे विश्वास है कि गुरुओं की धरती फिर से खड़ी होगी।

-सरकार ने कुदरत के कहर से क्या शिक्षा ली है?
देखिए, पंजाब की बहुत सारी ड्रेनों की सफाई अभी बाकी है। जहां सफाई हुई थी वहां नुक्सान कम है। पानी हमारे रास्ते में नहीं आया बल्कि हम पानी के रास्ते में आए हैं। गांव में तालाब बंद किए गए थे जो अब सरकार दोबारा शुरू करवा रही है। फिलहाल पुनर्वास होने दो बहुत कुछ ठीक करने वाला है, जिसके बारे में मुख्यमंत्री बहुत गंभीर हैं।

-स्कूल ऑफ एमीनैंस की शुरूआत के पीछे मकसद क्या है?
हम प्राइवेट और सरकारी स्कूल के फासले को खत्म करना चाहते हैं। सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों में उत्साह भरना चाहते हैं। इसलिएहम स्कूल ऑफ एमीनैंस लेकर आए हैं ताकि काबिल विद्यार्थयों को अच्छी पढ़ाई और बढिय़ा सहूलियतें दी जा सकें। देखने में आया है कि एक कक्षा में मान लो 50 बच्चे हैं पर उनमें से काबिल बच्चों की गिनती सिर्फ 10 है, जो अच्छी शिक्षा और सहूलियत के हकदार हैं पर उन्हें सहूलियतें कम मिल रही हैं। इसलिए हमने स्कूल ऑफ एमीनैंस तैयार किए ताकि उन विद्याॢथयों को बढिय़ा अध्यापक और अच्छी सहूलियतें मिल सकें।
आज हम बाकायदा 4000 रुपए उनकी वर्दी पर खर्च कर रहे हैं। कई लोग कहते हैं कि यह बाकी बच्चों के साथ पक्षपात है पर मेरा मानना है कि हमने तो टैस्ट रखा है, जिसको कोई भी बच्चा अपनी काबिलियत के साथ पास करके स्कूल ऑफ एमीनैंस की सहूलियतें ले सकता है जबकि बाकी सबके लिए सरकारी स्कूलों के दाखिले तो खुले ही हैं पर इसके साथ हमें पंजाब के बच्चों की काबिलियत का पता लग रहा है।

-पहली बार पंजाब के सरकारी स्कूलों के बच्चों ने देखी चंद्रयान की लांचिंग
मेरी टीम के ही एक साथी ने हमें बताया कि चंद्रयान-3 लांच हो रहा है। हमारे पास दिन बहुत कम हैं पर फिर भी हमने एक टीम तैयार कर ली है। हमने 30 बच्चे स्कूल ऑफ एमीनैंस के ही सिलैक्ट किए। पंजाब के इतिहास में पहली बार हुआ है कि सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को भी श्रीहरिकोटा में चंद्रयान-3 के लांचिंग को लाइव देखने का मौका मिला। वहां सिर्फ पंजाब ही ऐसा राज्य था जिसके सरकारी स्कूलों के बच्चे पहुंचे थे। सारे बच्चे पहली बार जहाज में बैठे थे। सब की रिहायश भी मेरे साथ ही थी। बच्चों का हौसला इतना बढ़ा कि वह मुख्यमंत्री से सवाल-जवाब करते रहे। विद्याॢथयों ने महसूस किया कि हमारे अपने देश में ही बहुत कुछ है जिसको हम एक्सप्लोर कर सकते हैं। हम आगे के लिए भी यह प्रैक्टिस जारी रखेंगे।

-सिंगापुर से वापस आए प्रिंसिपलों की गांवों में मांग
जब हमने सिंगापुर ट्रेनिंग के लिए अध्यापक भेजे तो विरोधी गुटों ने बड़े सवाल उठाए परंतु मैंने तब ही कहा था कि इसके परिणाम बड़े ही शानदार निकलेंगे। आज हालत यह है कि गांव के लोग सिंगापुर से आए  प्रिंसिपलों का तबादला तक नहीं करवा रहे हैं। मैंने मानसा से एक प्रिंसिपल बदला दिया तो 12 गांवों की पंचायतें मेरे पास पहुंच गईं और मांग रखी कि सिंगापुर वाला अध्यापक ही हमें मुखी चाहिए।
 
आप देखो एक दौर में लोग सरकारी स्कूलों को पसंद नहीं करते थे और आज लोग बड़ी संख्या में इससे जुड़ रहे हैं। अब तक 66 प्रिंसिपल सिंगापुर से ट्रेनिंग लेकर आ चुके हैं और 72 और सिंगापुर जा रहे हैं। हमारे 50 हैडमास्टर भी अहमदाबाद भेजे जाएंगे।

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