पुलवामा हमला: बड़ा अफसर बनना चाहता था शहीद मनिंदर सिंह, नहीं करवाई थी शादी

Edited By Vaneet,Updated: 15 Feb, 2019 06:59 PM

pulwama attack shaheed maninder singh wanted to be big officer

वीरवार को आतंकियों की ओर से किए हमले के कारण जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सी.आर.पी.एफ के जवानों की हुई शहादत के बाद यहां समुचा ...

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): वीरवार को आतंकियों की ओर से किए हमले के कारण जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सी.आर.पी.एफ के जवानों की हुई शहादत के बाद यहां समुचा देश गहरे दुख में डूब गया है, वहीं जिला गुरदासपुर से संबंधित दीनानगर के शूरवीर जवान मनिंदर सिंह अत्तरी ने 31 वर्षीय में पीए शहादत के जाम कारण समुचा जिला गहरे शौक में डूब गया है। 
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मनिंदर सिंह न सिर्फ बहादूर शूरवीर था, बल्कि वह शिक्षा में अव्वल रहने वाला ऐसा होनहार विद्यार्थी भी था, जो बी.टैक की शिक्षा करने के बाद एक वर्दीधारी बड़ा अफसर बनकर देश की सेवा करने की चाहत रखता था। मनिंदर सिंह की लियाकत और अधिकारी बनने की इच्छा का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि उसने नौकरी मिलने के बाद अभी तक इस कारण शादी नहीं करवाई थी कि वह और मेहनत करके बड़ा अधिकारी बन सकें। मगर कुदरत को कुछ और ही मंजूर थी। जिस कारण वह अपनी सभी इच्छाएं पूरी करने और देश की सेवा करने से पहले ही हमेशा की नींद सो गया। 

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छुट्टी काटकर रवाना हुआ था श्रीनगर के लिए 
मनिंदर शहीद होने से एक दिन पहले ही शाम को साढ़े 5 बजे छुट्टी काटकर अपने शहर दीनानगर से बस के जरिए जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना हुआ था। जिसके घर से रवाना होने के करीब 6 घंटों के बाद ही उसके साथ हुई इस अनहोनी की खबर उसके पिता को मिल गई। आज पूरा दिन उसका पिता व बहनें विलाप करती यह ही कहती रही कि कुछ घंटे पहले ही हंसता-खेलता गया मनिंदर आज कहां चला गया। मनिंदर ने सी.आर.पी.एफ के जरिए देश की सेवा करने के साथ-साथ सी.बी.आई जैसे विभाग में भी नौकरी के लिए कोशिशें जारी रखी हुई थी। जिसके तहत उसने सी.बी.आई में अप्लाई किए जाने के बाद अब इस विभाग में भर्ती के लिए भी प्रक्रिया शुरु हो चुकी थी।

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परिवार का लाडला था मनिंदर 
31 वर्षीय की भर जवानी में शहीद हुआ मनिंदर सिंह आर्य नगर दीनानगर का निवासी था। जिसके पिता सतपाल अत्तरी कुछ समय पहले ही पंजाब रोडवेज में बतौर ट्रैफिक मैनेजर सेवा निवृत्त हुए है और उनकी माता राज कुमारी का 2010 के दौरान निधन हो गया था। माता की मौत के बाद मनिंदर का अपने पिता के साथ गहरा लगाव था। इसके साथ ही मनिदर की तीनों बहनें भी उसे जान से अधिक प्रेम करती थी। मनिंदर का छोटा भाई भी असाम में सी.आर.पी.एफ में तैनात है, जो अभी भाई को अंतिम विदायगी देने के लिए नहीं पहुंच सका। 

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कुछ महीनों में ही पी गया शहादत का जाम
शिक्षा मुकम्मल करने के बाद मनिंदर अभी पिछले वर्ष ही सी.आर.पी.एफ की 75 बटालियन में भर्ती हुआ था। जिसने कुछ ही महीनों की सेवा के दौरान ही देश की सेवा करते हुए शहादत को गले लगा लिया है। उसकी शहादत पर गहरा दुख में डूबे उसके पिता और बहनों का विलाप देखना और सहन करना भले ही असंभव प्रतीत होता है, मगर यह परिवार आज भी बुलंद हौंसले से केंद्र सरकार से अपने बेटे की शहादत का बदला लेने के लिए मांग कर रहा है। उसके पिता ने कहा कि कल तक सब कुछ ठीक था, मगर अब उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि यह सब क्यों और कैसे हो गया।

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