Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Oct, 2017 12:53 AM
केंद्र सरकार ने पैट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने का फैसला आर्थिक मोर्चे पर एक के बाद एक बुरी खबरों के बाद....
जालंधर: केंद्र सरकार ने पैट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क कम करने का फैसला आर्थिक मोर्चे पर एक के बाद एक बुरी खबरों के बाद लिया है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जी.डी.पी. की दर 5.7 प्रतिशत तक गिरने और एशियाई विकास बैंक द्वारा भारत की जी.डी.पी. का अनुमान 7.6 से कम करके 7 प्रतिशत करने के साथ-साथ हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव, छात्र संघ के चुनावों में भाजपा के गिरे ग्राफ के बाद सरकार की चिंता बढ़ी है।
लिहाजा सरकार ने पैट्रोल व डीजल से 2 रुपए उत्पाद शुल्क कम करके 13,000 करोड़ रुपए के राजस्व घाटे का जोखिम लिया है। इसके चलते सरकार का राजस्व घाटा बढ़ सकता है जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। सरकार को इस साल के अंत व अगले साल में होने वाले विधानसभा चुनाव में जन-आक्रोश की भी चिंता है। लिहाजा सरकार ने राजस्व घाटा होने के बावजूद यह फैसला लिया है। माना जा रहा है कि यदि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़े तो सरकार उत्पाद शुल्क में एक बार फिर कटौती करने का फैसला ले सकती है, भले ही उसे विकास परियोजनाओं के लिए पैसे के आबंटन में कमी करनी पड़े।
अगले हफ्ते तक कम होंगे पैट्रोल के दाम!
गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले देश में पैट्रोल पॉलिटिक्स की शुरूआत हो गई है। केंद्र सरकार ने पैट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटा कर इसकी शुरूआत की है। 2 रुपए प्रति लीटर उत्पाद शुल्क घटाने के साथ ही पैट्रोलियम मंत्री ने राज्यों को भी पैट्रोल पर वैट घटाने की सलाह दे डाली। पैट्रोलियम मंत्री की इस सलाह के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने पैट्रोल पर वैट घटाने की बात कही है। माना जा रहा है कि गुजरात के बाद अन्य भाजपा शासित राज्य भी पैट्रोल और डीजल पर वैट की दरों में कमी कर सकते हैं और कांग्रेस शासित राज्यों पर भी वैट की दरें कम करने का दबाव बढ़ेगा।
पैट्रोल पर हो रही इस पॉलिटिक्स से आम कंज्यूमर को सीधा फायदा होगा। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव नवम्बर और दिसम्बर में हो सकते हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गुजरात के दौरे के दौरान इसके संकेत भी दे दिए थे। अमित शाह ने कहा था कि गुजरात में चुनाव दिसम्बर के पहले सप्ताह में होंगे। हिमाचल प्रदेश के ऊपरी इलाकों में बर्फबारी की संभावना के चलते आयोग हिमाचल प्रदेश में चुनाव नवम्बर में ही करवा सकता है, लिहाजा माना जा रहा है कि चुनाव की घोषणा 15 अक्तूबर के दूसरे सप्ताह तक हो सकती है। चुनाव की घोषणा के उपरांत चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद राज्य पैट्रोल और डीजल पर वैट की दरें कम नहीं कर पाएंगे, लिहाजा अगले एक सप्ताह में भाजपा शासित राज्य पैट्रोल और डीजल पर वैट की दरें कम कर सकते हैं।
भाजपा शासित महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में वैट ज्यादा
भाजपा के शासन वाले महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पैट्रोल की कीमतों पर वैट ज्यादा है। महाराष्ट्र में करीब 47, मध्य प्रदेश में 39 और राजस्थान में करीब 33 प्रतिशत वैट है। इनमें से राजस्थान में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं। गुजरात में हालांकि करीब 29 प्रतिशत वैट है लेकिन माना जा रहा है कि चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार पैट्रोल से वैट घटा सकती है। हालांकि पंजाब ऐसा गैर-भाजपा शासित राज्य है जहां वैट की दर 36.11 प्रतिशत है।
कहां कितना वैट (प्रतिशत में)
आंध्र प्रदेश 38.93
अरुणाचल प्रदेश 20.00
असम 32.66
बिहार 26.00
छत्तीसगढ़ 28.93
दिल्ली 27.00
गोवा 17.00
गुजरात 28.96
हरियाणा 26.25
हिमाचल प्रदेश 27.00
जम्मू-कश्मीर 29.60
झारखंड 31.50
कर्नाटक 30.00
केरल 34.09
मध्य प्रदेश 38.90
महाराष्ट्र, मुम्बई छोड़ कर 46.81
मुम्बई 47.94
मणिपुर 25.00
मेघालय 22.44
मिजोरम 20.00
नागालैंड 24.68
ओडिशा 26.00
पंजाब 36.11
राजस्थान 32.95
सिक्किम 30.88
तमिलनाडु 34.00
तेलंगाना 35.20
त्रिपुरा 20.00
उत्तराखंड 33.25
उत्तर प्रदेश 32.90
पश्चिम बंगाल 26.87
(स्रोत-पैट्रोल प्राइज एनैलसिस सैल)