पर्याप्त व्यक्तिगत सुरक्षा कवच न होने पर क्या कोरोना के मरीजों को बचा पाएंगे Indian डॉक्टर?

Edited By Suraj Thakur,Updated: 26 Mar, 2020 06:23 PM

doctors not to save corona patients without ppe

विश्व स्वास्थ्य संगठन के 30 जनवरी के निर्देशों का समय पर पालन नहीं कर पाया भारत, भयावह स्थिति में व्यक्तिगत सुरक्षा कवच की किल्लत से जा सकती है कोरोना के कई मरीजों की जान।

जालंधर। कोरोनावायरस से निपटने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सभी देशों को डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE)वेंटिलेटर और परीक्षण किट का उत्पादन बढ़ाने के निर्देश दिए थे, इन निर्देशों पर भारत सरकार गंभीरता से पालन ही नहीं कर पाई। जिसके चलते अब सरकार को इन उपकरणों की किल्लतों का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह है कि भयावह स्थिति में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी कोरोना के मरीजों का बिना व्यक्तिगत सुरक्षा कवच इलाज ही नहीं कर पएंगे।

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"डाउन टू अर्थ" में प्रकाशित एक रिपार्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने पहली बार स्वीकार किया कि उसे नोवल कोरोनोवायरस बीमारी (COVID-19) महामारी से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल से निपटने के लिए डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) प्राप्त करने में समस्याओं का सामना करना पड़ा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने 25 मार्च को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, था कि  PPE उपलब्धता में समस्या है, लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में व्यावधान के कारण कच्चे माल के आयात में चुनौतियां सामने आ रही हैं। देश में वेंटिलेटर और PPE का कितना स्टॉक है संवाददाताओं के बार-बार पूछे जाने के बाद भी उन्होंने स्पष्ट नहीं किया।

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उन्होंने कहा कि पहले महामारी का केंद्र वुहान में था, लेकिन अभी ऐसा नहीं है, जैसे ही दुनिया में बीमारी की स्थिति विकसित हुई भारत ने अपनी रणनीति बदल दी।संयुक्त सचिव ने यह भी कहा कि, अगर जरूरत पड़ी तो हम अस्पतालों के वार्डों से कुछ समय के लिए वेंटिलेटर स्थापित करने के लिए कहेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह के पीपीई का इस्तेमाल नोवल कोरोनावायरस (SARS-CoV-2) के संक्रमण से फैलने के लिए किया गया था, उसका विश्लेषण किया जा रहा है।

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गौरतलब है कि केंद्र ने 31 जनवरी को पीपीई और एन 95 मास्क के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। पीपीई के निर्यात पर प्रतिबंध 9 फरवरी को हटा दिया गया था। जबकि 19 मार्च को इसे दोबारा प्रतिबंधित कर दिया गया। भारत ने अब तक जर्मनी में 400,000 परीक्षणों के खिलाफ 22,038, अमेरिका में 67,000, इटली में 296,964 और ब्रिटेन में 83,945 नमूनों का परीक्षण किया है। अधिकारियों ने दावा किया कि 25 मार्च को 118 सरकारी प्रयोगशालाओं में प्रति दिन 12,000 नमूनों का परीक्षण किया जा सकता है।

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