दिलों पर राज करने वाला BSNL लोगों के दिलों से उतरा

Edited By swetha,Updated: 12 Nov, 2018 12:37 PM

bsnl telecom services

देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भारत को डिजीटल इंडिया बनाने के सपने को शायद भारत संचार निगम लिमिटेड की ओर से चूर-चूर करने के लिए दिन-रात एक किया जा रहा है।यही वजह है कि किसी समय देश के लोगों के दिलों पर राज करने वाला यह विभाग लोगों के...

निहाल सिंह वाला/बिलासपुर (स.ह.) : देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भारत को डिजीटल इंडिया बनाने के सपने को शायद भारत संचार निगम लिमिटेड की ओर से चूर-चूर करने के लिए दिन-रात एक किया जा रहा है।यही वजह है कि किसी समय देश के लोगों के दिलों पर राज करने वाला यह विभाग लोगों के दिलों से उतर गया है। बेशक भारत संचार निगम लिमिटेड द्वारा देश के उपभोक्ताओं के लिए बड़ी सहूलियतें देने के लाख दमगजे मारे जाते हैं लेकिन इन सहूलियतों की आंधी का एक भी बुल्ला अभी टैलीफोन एक्सचेंज बिलासपुर के उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा।

जिस कारण करोड़ों रुपए की लागत से बनाई गई इमारत आज विभाग के अधिकारियों की गलत नीतियों के कारण सफेद हाथी बन चुकी है। इस टैलीफोन एक्सचेंज अधीन 3 टैलीफोन एक्सचेंजों हिम्मतपुरा, बौडे तथा बिलासपुर के अलावा 10 गांव आते हैं। लैंडलाईन टैलीफोन एक्सचेंज बिलासपुर की समर्था किसी समय 3 हजार कनैक्शन थी जो अब कम होकर 300 तक पहुंच गई है। हिम्मतपुरा तथा बैडे एक्सचेंज की समर्था भी 900-900 कनैक्शन की है। 

पुरानी केवल के कारण बार-बार खराब होते हैं फोन
कहते हैं कि 12 साल बाद तो रूड़ी की भी सुनी जाती है लेकिन बी.एस.एन.एल. विभाग के अधिकारियों ने इस कहावत को झुठलाते नए रिकार्ड कायम किए हैं। विभाग के सूत्रों अनुसार विभाग ने गांवों में जो टैलीफोन केबल डाली थी, वह 26 साल से भी ज्यादा पुरानी है जोकि कंडम हो चुकी है। जिस कारण एक बार खराब होने वाला टैलीफोन कई-कई महीने खराब रहता है।

2 कच्चे मुलाजिमों के सहारे कारोबार
3 टैलीफोन एक्सचेंजों तथा 8 गांवों के लिए सिर्फ 2 मुलाजिम ही हैं जोकि 10 गांवों की शिकायतों के हल के लिए गांव में ही रहते हैं तथा बाद में टैलीफोन एक्सचेंज की रक्षा ताला ही करता है। जिस कारण 10 गांवों के उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत दर्ज करवाने के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

क्या कहना है विभाग के अधिकारियों का
विभाग के अधिकारियों से बातचीत करने पर उन्होंने कहा कि माछीके नवां सहित कई बंद पड़े गांवों में नई केबल डलवाने के लिए विभाग को एस्टीमेट भेजा गया था लेकिन अभी पास नहीं हुआ।

क्या कहना है उपभोक्ताओं का
कई साल पहले इस एक्सचेंज से सहूलियतें लेने वाले अवतार सिंह माछीके ने बताया कि वह अपने टैलीफोन का बिल सही समय पर भरता था लेकिन उसकी हैरानी की कोई हद न रही। जब उसका टैलीफोन काटकर वही टैलीफोन और जगह चला दिया गया। जिस संबंधी वह अधिकारियों के चक्कर लगाकर थक गया, लेकिन किसी ने उसकी समस्या का कोई हल नहीं किया। सुरजीत सिंह ने बताया कि उसने टैलीफोन का एक साल के इकट्ठे बिल का भुगतान किया है लेकिन उसका टैलीफोन 10 महीने खराब रहा। उसका कोई हल नहीं हुआ।

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