जगराओं पुलिस के एक ASI के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने की उठी मांग

Edited By Vatika,Updated: 22 Jun, 2018 12:06 PM

ludhiana police

जगराओं पुलिस में वर्ष 2004 में दर्ज हुए हत्या के मामले की जांच कर रहे तत्कालीन एक ए.एस.आई. द्वारा एक वर्ष बाद झूठा फंसा कर जेल भेजने के मामले में वर्ष 2013 में नामजद व्यक्ति और उसकी भाभी को अदालत ने बरी कर दिया गया जिसके बाद ए.एस.आई. के खिलाफ सख्त...

लुधियाना(ऋषि): जगराओं पुलिस में वर्ष 2004 में दर्ज हुए हत्या के मामले की जांच कर रहे तत्कालीन एक ए.एस.आई. द्वारा एक वर्ष बाद झूठा फंसा कर जेल भेजने के मामले में वर्ष 2013 में नामजद व्यक्ति और उसकी भाभी को अदालत ने बरी कर दिया गया जिसके बाद ए.एस.आई. के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर पीड़ित ने नैशनल एस.सी./एस.टी. कमीशन से इंसाफ की गुहार लगाई और उस पर एफ.आई.आर. दर्ज करने की मांग की है।

पीड़ितों का आरोप है कि जगराओं पुलिस उक्त ए.एस.आई. का साथ दे रही है जो इन दिनों पटियाला में बड़े रैंक पर तैनात है। इस कारण एस.सी./एस.टी. कमीशन द्वारा 15 दिन में कार्रवाई करने के आदेश दिए जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए यूनिवर्सल ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन के प्रधान सतनाम सिंह धालीवाल व पीड़ित ने बताया कि वह सरकारी स्कूल में नौकरी करता है। वर्ष 2004 में उसकी भतीजी की मौत हो गई थी। इस मामले में एक तत्कालीन ए.एस.आई. ने एक वर्ष बाद जुलाई 2005 में उसे, उसकी भाभी व एक अन्य को नामजद कर गिरफ्तार कर लिया। वह लगभग अढ़ाई वर्ष जेल में सजा काटने के बाद 3 दिसम्बर 2007 को जमानत पर आया जिसके बाद कोर्ट में केस चला और वर्ष 2013 में वह बरी हो गया। धक्केशाही करने वाले ए.एस.आई. के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर उसने हाईकमान का दरवाजा खटखटया।

 रिकार्ड में हुआ  36 बार पुलिस रेड व 11 साल पहले मर चुके व्यक्ति के बयान का खुलासा
पीड़ित के अनुसार कोर्ट में चालान पेश करते समय उक्त ए.एस.आई. ने बताया कि उसने 1 वर्ष में देवर-भाभी को गिरफ्तार करने के लिए 36 बार उनके घर पर रेड़ की है लेकिन वे फरार थे। पीड़ित के अनुसार जब आर.टी.आई. के माध्यम से रिकार्ड हासिल किया गया तो उसमें जिस प्राइवेट वाहन पर वह वर्ष 2005 में रेड करने की बात कर रहा था। वह बाजार में एक वर्ष बाद आया था जो उसके झूठ का प्रमाण है। इतना ही नही पीड़ित के अनुसार उसके पिता की वर्ष 1994 में मौत हो चुकी है,जबकि ए.एस.आई. ने कागजातों में दिखाया गया है कि उसकी गिरफ्तारी के समय पिता को बुलाया गया और उनके सामने हत्या में प्रयोग कपड़ा बरामद किया गया। इतना ही नहीं जब भी पुलिस घर पर रेड करने गई तो पिता से उसके बारे में पूछा गया और उनके कई कागजातों पर हस्ताक्षर भी हैं। 

 

 

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