नगर निगम चुनाव : स्वयं-भू उम्मीदवारों पर नहीं हो रहा हाईकमान की घुड़की का असर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 04:33 PM

ludhiana municipal election

नगर निगम चुनाव के लिए खुद को उम्मीदवार घोषित करने वालों पर हाईक्मान की घुड़की का कोई असर नहीं हो रहा है। जिस कारण टिकटें बंटने से पहले ही सभी पार्टियों में गुटबाजी चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। अगर नगर निगम चुनाव के लिए टिकटों के वितरण को लेकर सियासी...

लुधियाना(हितेश): नगर निगम चुनाव के लिए खुद को उम्मीदवार घोषित करने वालों पर हाईक्मान की घुड़की का कोई असर नहीं हो रहा है। जिस कारण टिकटें बंटने से पहले ही सभी पार्टियों में गुटबाजी चरम सीमा पर पहुंच चुकी है। अगर नगर निगम चुनाव के लिए टिकटों के वितरण को लेकर सियासी पाॢटयों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की बात करें तो सबसे पहले भाजपा ने आवेदन लिए हैं जिसके बाद कांग्रेस ने वीरवार से टिकटों के लिए आवेदन फॉर्म बांटने की कार्रवाई शुरू कर दी है। जहां तक आम आदमी पार्टी व बैंस ग्रुप का सवाल है उन दोनों पार्टियों  में फिलहाल वार्डों के बंटवारे की कवायद चल रही है जिसके बाद ही साफ  हो पाएगा कि ये पाॢटयां टिकटों के लिए आवेदन मांगती हैं या फिर अकाली दल की तरह अंदरूनी सिस्टम में ही टिकटों का बंटवारा किया जाएगा।
 

इस सबसे हटकर एक ओर तस्वीर लगभग हर वार्ड में नजर आ रही है कि काफी लोगों ने खुद को उम्मीदवार घोषित किया हुआ है, ये लोग वार्ड नंबर के साथ सोशल मीडिया व होर्डिंग लगाकर प्रचार करते हुए जनता की सेवा में हाजिर रहने का दावा कर रहे हैं।अकाली दल के प्रधान सुखबीर ने दलजीत सिंह चीमा के जरिए संदेश भेजा था कि कोई भी अपने तौर पर खुद को उम्मीदवार घोषित न करे। इसी तरह की चेतावनी भाजपा के जिलाध्यक्ष रविन्द्र अरोड़ा ने भी संगठन मंत्री की हाजिरी में सोशल मीडिया पर दावेदारी जताने वाले सभी नेताओं को दी थी। खुद को उम्मीदवार घोषित करने वालों ने ऑफिस खोलने सहित डोर टू डोर जाकर प्रचार भी शुरू कर दिया है और काफी लोगों को विधायक या हलका इंचार्ज ने हरी झंडी दे दी है।हालातों का असर टिकटें बंटने से पहले ही सभी पाॢटयों में गुटबाजी चरम सीमा पर पहुंचने के रूप में सामने आ रही है। विधायक या हलका इंचार्ज के चहेतों को भी चुनौती मिल रही है जिसके संकेत भाजपा के बाद कांग्रेस के पास भी टिकटों के लिए थोक में आवेदन पहुंचने से मिलने शुरू हो गए हैं और जिसको टिकट न मिली उसके द्वारा अधिकारिक उम्मीदवार का विरोध करने या आजाद चुनाव लडऩे की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

 

कांग्रेस टिकटों के लिए पहले दिन जनरल कैटागरी के 200 दावेदारों ने लिए फार्म
कांग्रेस द्वारा नगर निगम चुनावों के लिए टिकटें देने संबंधी शुरू की गई प्रक्रिया के पहले दिन 200 दावेदारों द्वारा फार्म लेने की सूचना है। इनमें जनरल कैटागरी से शुरूआत की गई है, जबकि एस.सी. व बी.सी. कैटागरी के लिए फार्म शुक्रवार से मिलने शुरू होंगे। जो लोग पहले दिन फार्म लेकर गए हैं, उनमें पूर्व पार्षदों व ब्लाक प्रधानों के अलावा अधिकतर नए चेहरे ही शामिल थे। हालांकि दावेदारों को फार्म देने के काम के लिए पार्टी द्वारा कांग्रेस आफिस में बिठाने के लिए आधिकारिक तौर पर कोई टीम गठित नहीं की गई। शायद यही वजह होगी कि पहले दिन किसी ने फार्म भरकर जमा नहीं करवाया। इसके लिए 18 जनवरी तक की डैडलाइन रखी गई है।

 

आप व बैंस ग्रुप में आधी सीटों पर बनी सहमति, बाकी पर हाईकमान लेगी फैसला
आम आदमी पार्टी व बैंस ग्रुप में नगर निगम चुनाव मिलकर लडऩे का फैसला तो पहले ही हो चुका है। जहां तक सीटों के बंटवारे का सवाल है, उस बारे चर्चा करने के लिए दोनों पार्टियों के नेताओं की कमेटी बनाई गई है। जिनकी दूसरी मीटिंग में दोनों ही पाॢटयों ने अपने पास आए चुनाव लडऩे के दावेदारों के नामों की लिस्ट सार्वजनिक की। जिसमें कई नाम ऐसे थे, जो विधानसभा चुनावों दौरान आप या बैंस ग्रुप के कोटे में आई सीटों को क्रास करते थे। लेकिन मजबूत दावेदारों के तौर पर एक-दूसरे के कोटे वाली विधानसभा सीटों में बदलने के अलावा करीब 50 फीसदी वार्ड फाइनल कर लिए गए हैं। लेकिन करीब 40 वार्ड ऐसे हैं, जहां दोनों ही पाॢटयों ने दावा जताया है और वो सीटें विधानसभा चुनावों के समय तय हुए कोटे को भी क्रॉस करती हैं। इस बारे फैसला लेने के लिए अब दोनों पार्टियों के हाईकमान लेवल पर फैसला होगा। इसमें बैंस ब्रदर्ज के अलावा आप की तरफ से भगवंत मान, सुखपाल खैहरा, अमन अरोड़ा के शामिल होने की सूचना है।

 

पुराने कोटे के मुकाबले कुछ वार्डों को एक्सचेंज करेंगे अकाली-भाजपा
अकाली-भाजपा में यह बात तो पहले ही तय हो चुकी है कि गठबंधन के तहत आधी-आधी सीटों पर ही नगर निगम चुनाव लड़े जाएंगे। जबकि किस पार्टी ने कौन से वार्ड पर उम्मीदवार खड़ा करना है, उस बारे हुई मीटिंगों में करीब एक दर्जन वार्डों पर पेंच फंसा हुआ है। इसकी वजह यह है कि भाजपा ने अपने पुराने कोटे वाले वार्डों के अलावा कुछ ऐसी सीटों पर दावेदारी ठोकी है, जहां से पहले अकाली दल का उम्मीदवार चुनाव लड़ता आ रहा है। लेकिन अकाली दल को जीत न मिलने का हवाला देकर भाजपा ने उन सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत बताई है। हालांकि इस विवाद का हल निकालने का अधिकारी सुखबीर बादल व विजय सांपला को दिया गया है। लेकिन उससे पहले लोकल लेवल पर यह कवायद तेज हो गई है कि जिन वार्डों में किसी पार्टी की स्थिति मजबूत नहीं है और दूसरा पक्ष दावेदारी जता रहा है तो उन सीटों को पुराने कोटे के मुकाबले आपस में एक्सचेंज कर लिया जाए।

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