डाबर-थापर की इगो का नतीजा , 4 साल से बंद है हौजरी का सबसे बड़ा निटवियर क्लब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 11:04 AM

ludhiana hosiery

सन् 1984 में हौजरी के सबसे बड़े निटवियर क्लब का गठन छोटी इंडस्ट्री को प्रमोट करने के लिए हुआ था। लेकिन आज यह क्लब दर्शन डाबर और विनोद थापर की आपसी इगो के कारण पिछले 4 साल से ताले में बंद है। इससे सबसे ज्यादा नुक्सान क्लब के 1400 सदस्यों को उठाना पड़...

लुधियाना(धीमान): सन् 1984 में हौजरी के सबसे बड़े निटवियर क्लब का गठन छोटी इंडस्ट्री को प्रमोट करने के लिए हुआ था। लेकिन आज यह क्लब दर्शन डाबर और विनोद थापर की आपसी इगो के कारण पिछले 4 साल से ताले में बंद है। इससे सबसे ज्यादा नुक्सान क्लब के 1400 सदस्यों को उठाना पड़ है। इन 4 सालों में जो भी नई तकनीक बाजार में आई है या सरकार की कोई स्कीम निकली उसकी सदस्यों को जानकारी नहीं मिल पाई। यहां बता दें कि 4 साल पहले थापर-डाबर ने आपसी समझौते के तहत दर्शन डाबर को प्रधान और विनोद थापर को चेयरमैन चुन लिया था।

थापरी के हिस्से कैशियर की सीट आई थी बाकी की 4 सीटों पर डाबर के अपने प्रतिनिधि चुने गए। कैशियर हरीश केयरपाल को बनाया गया। केयरपाल आज सब कुछ छोड़ कर दुबई में जा बसे हैं। इस हरकत से साफ  हो गया है कि पदों के लालच में डाबर-थापर ने 1400 सदस्यों के कारोबार को प्रभावित कर दिया है। दोनो एक-दूसरे को कसूरवार ठहरा रहे हैं।निटवियर क्लब पर दोनों ने अपने-अपने ताले लगा रखे हैं। इन दोनों की इगो ने क्लब को पुलिस से लेकर अदालत तक पहुंचा दिया। इसके बावजूद दोनों में से कोई भी गिर रही हौजरी इंडस्ट्री को ध्यान में रखकर झुकने को तैयार नहीं है। कुल मिलाकर नुक्सान तमाम हौजरी इंडस्ट्री का है और ये दोनों अपने कारोबार में व्यस्त हैं। सवाल है कि यदि ऐसे ही लालच के साथ एसोसिएशनों का गठन होना है तो उससे बेहतर है कि एसोसिएशन बंद कर दी जाए या इन्हें स्थापित ही नहीं करना चाहिए। इस सारे इगो के खेल में सदस्यों को जब अपने स्तर पर ही कारोबार की लेटैस्ट जानकारी लेनी है तो एसोसिएशन बनाने का मकसद ही नहीं रह जाता।  
 

किस बात की है इगो
थापर-डाबर दोनों ही अपने को एक दूसरे से ऊपर रखने के चक्कर में क्लब को बंद करके बैठे हैं। चेयरमैन थापर कहते है कि चैकों पर साइन करने और क्लब को चलाने का अधिकार उनके पास है। उधर, प्रधान दर्शन डाबर कहते है कि संविधान के मुताबिक क्लब को वह चलाएंगे। दोनों की इस इगो ने क्लब के 40 लाख रुपए को बैंक में सीज करवा दिया है। चैक साइन को लेकर सबसे ज्यादा घमासान हुआ है। इस संबंध में तय हुआ था कि चैकों पर कैशियर के अलावा चेयरमैन व प्रधान कोई भी साइन कर सकता है। दोनों ही फंड का मिसयूज होने का बहाना बनाकर क्लब पर ताले जड़ आए। ऐसे नेताओं के कारण ही लुधियाना की इंडस्ट्री आगे नहीं बड़ पा रही।

क्या क्लब तालों से बाहर आएगा
इस संबंध में चेयरमैन विनोद थापर कहते है कि क्लब अब पूरी तरह खत्म हो चुका है। फिर भी अगर ईमानदारी से प्रधान डाबर समझौता करेंगे तो वह ताले खोल देंगे। उधर, डाबर कहते है कि अब अगर थापर नहीं माने तो हम पुलिस को लेकर ताले तुड़वा देंगे। कुल मिलाकर निटवियर क्लब अभी ताले से बाहर आता नजर नहीं आता। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!