अब सरकार से लेने होंगे कारोबारियों को बिल, कैंसल बिल की भी सूचना देनी होगी विभाग को

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 03:51 PM

electricity bill cancelled

केंद्र सरकार नई कर प्रणाली में हो रही टैक्स की चोरी को रोकने के लिए उपभोक्ताओं को बिल बुक जारी करने के तरीके तलाश रही है। योजना है कि दुकानदारों को बिल बुक सरकार से लेनी पड़ेगी और उसके बाद आप अपने ग्राहकों को बिल जारी कर सकेंगे। बिलों का सीरियल नंबर...

लुधियाना(सेठी): केंद्र सरकार नई कर प्रणाली में हो रही टैक्स की चोरी को रोकने के लिए उपभोक्ताओं को बिल बुक जारी करने के तरीके तलाश रही है। योजना है कि दुकानदारों को बिल बुक सरकार से लेनी पड़ेगी और उसके बाद आप अपने ग्राहकों को बिल जारी कर सकेंगे। बिलों का सीरियल नंबर सरकार द्वारा ही डाला जाएगा। यदि कोई बिल कैंसल हुआ तो विभाग को सूचना देनी पड़ेगी।एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार व्यापारी जितने बिलों की मांग करेगा उतनी संख्या में बिल उसे जारी किए जाएंगे। उसमें किसी प्रकार की गड़बड़ होने पर उससे पहले बिल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस संबंध में सरकार ने एक समिति का गठन भी किया है, जो अपने स्तर पर जारी बिलों की जांच भी करेगी। यह नया कदम सरकार का टैक्स चोरी पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है। पता चला है कि कुछ व्यापारी व दुकानदार बिल जारी करने से इंकार कर रहे हैं, वे चाहते हैं कि ग्राहक नकद भुगतान करें। एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि उदाहरण के तौर पर छोटा दुकानदार, इंटीरियर डैकोरेटर, कपड़ा निर्माता व बिक्रेता बिल जारी नहीं करना चाहते, वे सारा कारोबार नकद भुगतान से ही करना चाहते हैं।

सरकार के पास टैक्स चोरी रोकने के लिए क्या है विकल्प 
सरकार कार्ड के भुगतान पर जी.एस.टी. में डिस्काऊंट देने जैसे अन्य विकल्प पर काम कर रही है। उन्हें उम्मीद है कि ई-वे बिल, रेवेर्स चार्ज के पुण्य प्रारूप और समिति द्वारा बिलों के मिलान से टैक्स चोरी पर अंकुश लग सकता है। 1 जुलाई से लांच किए गए नए कर कानून (जी.एस.टी.) का बड़े स्तर पर विरोध सरकार के कई उपायों को निलंबित करने के लिए मजबूर हुआ है। यही कारण है कि 1 फरवरी से ई-वे बिल लगाया जाना था, परंतु कुछ तकनीनी कारणों से इसे ठंडे बास्ते में डाला हुआ है। बेशिल राजस्व सचिव हंसमुख ने ई-वे बिल को जल्द लागू करने की बात कही है। ई-वे बिल जो ऑनलाइन सिस्टम से चलाया जाना था और उससे टैक्स चोरी पर रोक भी लग सकती थी। 

इस प्लान पर कैसे होगा काम 
-कारोबारी अपने बिलों की मांग ऑनलाइन करेगा और उसे जितने बिल चाहिए विभाग उसे देगा। 
-विभाग द्वारा बिलों पर सीरियल नंबर लगाकर उसके पते पर रजिस्ट्री द्वारा भेजे जाएंगे। 
-विभाग बिलों को सीरियल नंबर (0001 से 1000) लगाकर बिल भेजेगा, परंतु उसे साथ उनकी खपत सीमा अवधि भी लिखी होगी।  
-व्यापारी यदि किसी बिल को कैंसल करता है तो इसकी सूचना विभाग को देनी होगी। 
-कारोबारी बिल को जिस वस्तु के लिए लेगा आगे बिल भी उसी का ही काटा जाना चाहिए। (अब घोड़ा लेकर हाथी का बिल नहीं काटा जा सकेगा)।

सरकार जी.एस.टी. को पटरी पर लाए : व्यापार मंडल 
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ, सुनील मेहरा, महिन्द्र अग्रवाल व समीर जैन ने कहा कि सरकार पहले नए कर कानून को पटरी पर लाए, उसके बाद ऐसे घिनौने विकल्प तैयार करे। नेताओं ने कहा कि सरकार आज भी कारोबारियों को चोर ही समझ रही है, जबकि भ्रष्टाचार के जन्मदाता उनके अधिकारी ही हैं। व्यापार मंडल के कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भ्रष्टाचार पर नकेल डाली जाएगी, परंतु पी.एन.बी. घोटाला स्पष्ट करता है कि सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया है। 
व्यापारियों ने कहा कि 2005 में जब वैट कानून लागू किया गया था, उस समय भी ऐसे बिल जारी करने की बात सामने आई थी। कारोबारियों के विरोध में सरकार को घुटने टेकने पड़े थे। नेताओं ने कहा के 1 जुलाई से अब तक सरकार टैक्स इकट्ठा करने के अलावा बाकी सभी विकल्पों में असफल सिद्ध हुई है, इसलिए सरकार सर्वप्रथम नई कर प्रणाली को दुरुस्त बनाए, उसके पश्चात ही नया विकल्प लाए।

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