Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Feb, 2018 01:58 PM
पंजाब में पराली की बेहतर ढंग से संभाल को लेकर सहकारी सभाओं के रजिस्ट्रार अरविंद्र सिंह बैंस ने आज पी.ए.यू. के उप-कुलपति डा. बलदेव सिंह ढिल्लों व माहिरों के साथ चर्चा की। उन्होंने बताया कि पराली का इस्तेमाल हम कई तरह से कर सकते हैं। इसमें खेतीबाड़ी...
लुधियाना(सलूजा): पंजाब में पराली की बेहतर ढंग से संभाल को लेकर सहकारी सभाओं के रजिस्ट्रार अरविंद्र सिंह बैंस ने आज पी.ए.यू. के उप-कुलपति डा. बलदेव सिंह ढिल्लों व माहिरों के साथ चर्चा की। उन्होंने बताया कि पराली का इस्तेमाल हम कई तरह से कर सकते हैं। इसमें खेतीबाड़ी सहकारी सभाएं अहम योगदान डाल सकती हैं।
डा. ढिल्लों ने कहा कि पानी का गिर रहा स्तर व पराली की संभाल वैज्ञानिकों के सामने एक प्रमुख चुनौती है। उन्होंने हैप्पी सीडर टैक्नोलॉजी के बारे में बताया कि पंजाब में गेहूं की बुआई के लिए इसका इस्तेमाल काफी बढ़ चुका है। वैज्ञानिक डा. गुरसाहिब सिंह ने पराली को जलाने से होने वाले नुक्सान के बारे में बताया। बेलर टैक्नोलॉजी संबंधी उन्होंने बताया कि इससे कागज व गत्ता बनाया जा सकता है और भट्ठों में भी इसका प्रयोग ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि किसान कम समय में तैयार होने वाली फसलों पर अपना ध्यान केंद्रित करें तो पराली की समस्या से किसी हद तक निजात पाई जा सकती है।