सोलह-सत्रह के गेड़ में फंसी कैप्टन सरकार,लगा दूसरा बड़ा झटका

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 02:48 PM

2 big jolt to capt amarinder singh over suresh kumar s appointment

हाल ही में बनी पंजाब सरकार को मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार की नियुक्ति रद्द होने के बाद दूसरा बड़ा झटका लगा है

जालंधर(सोनिया गोस्वामी):  वर्ष 2017 में सत्ता में आई पंजाब सरकार को मुख्य प्रधान सचिव सुरेश कुमार की नियुक्ति रद्द होने के बाद दूसरा बड़ा झटका लगा है। इससे जाहिर होता है कि सरकार सोलह-सत्रह के गेड़ में फंसी नजर आ रही है। 16 मार्च 2017 को सरकार ने जैसे ही शपथ ग्रहण की तबसे ही विपक्ष ने उसे घेरना शुरु कर दिया। 16 जनवरी को कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत के इस्तीफे की खबर ने पंजाब की राजनीति ने भूचाल ला दिया, हालांकि राणा ने 4 जनवरी को इस्तीफा भेज दिया था फिर भी भेद 12 दिन बाद खुला। 17 मार्च को सुरेश की नियुक्ति की गई उसी के साथ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दे गई। याचिका पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार, केंद्र सरकार और सुरेश कुमार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जिसका नतीजा आज ये निकला कि 17 जनवरी को सुरेश कुमार की नियुक्ति रद्द कर दी गई।


 

किसने की थी याचिका दायर
मोहाली निवासी रमनदीप सिंह ने एडवोकेट हरप्रीत सिंह बराड़ के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए सुरेश कुमार की नियुक्ति को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि पंजाब सरकार द्वारा 17 मार्च 2017 को सुरेश कुमार को मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव के तौर पर नियुक्ति देना गलत है और नियमों व प्रावधानों के खिलाफ है। याची ने कहा था कि यह एक कैडर का पद है और इस पर केवल एक आईएएस अधिकारी की ही नियुक्ति हो सकती है। इस मामले में नियुक्त होने वाले व्यक्ति आईएएस नहीं बल्कि रिटायर्ड आईएएस हैं। सुरेश कुमार की नियुक्ति ऑल इंडिया सर्विस एक्ट 1951, इंडियन एडमिनस्ट्रेटिव सर्विस रूल्स 1954 तथा इंडियन एडमिनस्ट्रेटिव सर्विस रेगुलेशन 1955 के खिलाफ है। 

 

याची ने कहा था कि इस प्रकार के पद को सृजित करना केंद्र का कार्य है और वह भी संसद के माध्यम से। इसके लिए राज्य से परामर्श होता है। इस मामले में राज्य सरकार ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए नियमों को ताक पर रख दिया। यदि राज्य सरकार चाहे और उसके पास अधिकार हो तो भी यह पद पांच वर्ष के लिए सृजित नहीं किया जा सकता है। याची ने कहा था कि सुरेश कुमार को नियुक्ति देने के साथ ही उन्हें वेतन और सुविधा केंद्रीय कैबिनेट सचिव स्तर की दी जा रही हैं। ऐसे में हाईकोर्ट से याची ने अपील की थी कि याचिका लंबित रहते सुरेश कुमार को उनके पद की शक्तियों का इस्तेमाल न करने दिया जाए। साथ ही 17 मार्च की उस नोटिफिकेशन को खारिज किया जाए जिसके तहत सुरेश कुमार को नियुक्त किया गया था। हाईकोर्ट ने याचिका पर सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।

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