विजीलैंस की रेड को बीते 5 महीने, नहीं हुई कोई कार्रवाई

Edited By Vatika,Updated: 29 May, 2018 11:09 AM

vigilance raid

आर.टी.ए. (पूर्व डी.टी.ओ. कार्यालय) में व्याप्त भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है। आए दिन कोई न कोई घोटाला सामने आता रहता है, मगर न जाने किस कारणवश किसी भी दोषी के खिलाफ आज तक ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी है। कार्रवाई न होने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने...

जालंधर(अमित): आर.टी.ए. (पूर्व डी.टी.ओ. कार्यालय) में व्याप्त भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है। आए दिन कोई न कोई घोटाला सामने आता रहता है, मगर न जाने किस कारणवश किसी भी दोषी के खिलाफ आज तक ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी है। कार्रवाई न होने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के प्रदेश सरकार के दावों की भी हवा निकलती प्रतीत हो रही है। विजीलैंस द्वारा लगभग 5 महीने पहले आर.टी.ए. दफ्तर में रेड की गई थी जिसके उपरांत कई दिनों तक चैकिंग चलती रही थी।

इतना ही नहीं कई निजी कारिंदों, एजैंटों व सरकारी एवं निजी कम्पनी के स्टाफ से भी पूछताछ की गई थी। इतने बड़े स्तर पर की गई कसरत के बाद भी फिलहाल नतीजा शून्य बना हुआ है। विजीलैंस द्वारा की गई जांच-पड़ताल के बाद भी किसी बड़े एजैंट या कर्मचारी के ऊपर कार्रवाई न किए जाने से आम जनता के बीच विभाग की साख को धक्का लग रहा है। आर.टी.ए. दफ्तर में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि दोषियों ने उच्च स्तर पर किसी तरीके से सैटिंग कर ली है। ऐसा नहीं है कि विजीलैंस ने प्रयास नहीं किया या जांच के दौरान कोई कोताही बरती है, मगर असल दोषियों के खुलेआम अपने काले कारनामों को बदस्तूर जारी रखने से संदेह पैदा होना लाजमी है।

बड़े एजैंटों की तरफ क्यों नहीं दिया जा रहा ध्यान
जालंधर के कुछ बड़े एजैंटों द्वारा परिवहन विभाग में जमकर मनमानियां की जा रही हैं। चाहे परिवहन विभाग की जाली मोहरें बनाना हो, अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर करके आवेदन जमा करवाना हो या फिर परिवहन विभाग की जाली डिलीवरी स्लिपें छपवाकर उनका खुलेआम इस्तेमाल किया जाना हो। बड़े एजैंटों के लिए सब कुछ संभव है। मर्सीडिज और बी.एम.डब्ल्यू. जैसी महंगी लग्जरी गाडिय़ों को अन्य प्रदेशों से लाकर पंजाब में नया नंबर लगवाकर आर.सी. जारी करने (आर.सी. री-असाइनमैंट) के काम में जमकर धांधलियां की गई हैं।

इस गोरखधंधे में सरकारी फीस कम जमा करवाकर सरकारी खजाने को चूना लगाया जा चुका है। कुछ बड़े एजैंटों द्वारा किसी अन्य प्रदेश से आई एक बी.एम.डब्ल्यू. गाड़ी का पहले कम सरकारी टैक्स जमा करवाने और बाद में अढ़ाई महीने के उपरांत मामला सामने आने पर बकाया टैक्स जमा करवाकर अपनी जान छुड़वाने संबंधी भी खबरें अखबारों की सुर्खियां बटोर चुकी हैं। एजैंटों के दफ्तरों में सैंकड़ों की गिनती में सरकारी दस्तावेज हर समय मौजूद रहते हैं जिससे इस बात का साफ पता लगता है कि एजैंटों की पहुंच आर.टी.ए. दफ्तर में किस स्तर पर बनी हुई है। सूत्रों की मानें तो पिछले लंबे समय से बड़े एजैंटों द्वारा उक्त काम कुछ लालची किस्म के कर्मचारियों के साथ मिलकर सरेआम कायदे-कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ऐसे में विजीलैंस विभाग द्वारा बड़े एजैंटों की तरफ ध्यान क्यों नहीं जा रहा। अगर बड़े एजैंटों पर शिकंजा कसा जाता है तो कई बड़े घोटालों से पर्दा उठ सकता है। 

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