पैसों के लालच में वाहन 4.0 सॉफ्टवेयर का हो रहा जमकर दुरुपयोग

Edited By Vatika,Updated: 22 Aug, 2018 10:19 AM

transport department

पंजाब केसरी’ द्वारा परिवहन विभाग में व्याप्त निजी कम्पनी के कर्मचारियों द्वारा चलाए जा रहे करप्शन को लेकर जो मुहिम शुरू की गई थी, उसमें हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। ऐसी-ऐसी बातें सामने आ रही हैं, जिनको सुनकर ही किसी के पैरों तले जमीन खिसक जाए। ऐसा...

जालंधर (अमित): ‘पंजाब केसरी’ द्वारा परिवहन विभाग में व्याप्त निजी कम्पनी के कर्मचारियों द्वारा चलाए जा रहे करप्शन को लेकर जो मुहिम शुरू की गई थी, उसमें हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। ऐसी-ऐसी बातें सामने आ रही हैं, जिनको सुनकर ही किसी के पैरों तले जमीन खिसक जाए। ऐसा प्रतीत होता है कि परिवहन विभाग में फर्जीवाड़ा थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। 

जालंधर से शुरू होकर इसकी गूंज नकोदर, होशियारपुर से होते हुए फतेहगढ़ साहिब तक पहुंच चुकी है। ‘पंजाब केसरी’ के पास एक ऐसा ही लाइसैंस आया है जो बना जालंधर में था, मगर कुछ समय पहले वाहन 4.0 सॉफ्टवेयर के अंदर उसका प्रिंट फतेहगढ़ साहिब से निकाल दिया गया। इस पूरे मामले की अगर गहन जांच की जाए तो बड़ी मछलियां इसमें फंस सकती हैं और कई अन्य घोटाले भी सामने आ सकते हैं। गौरतलब है कि कुछ साल पहले ‘पंजाब केसरी’ द्वारा हैवी लाइसैंस घोटाले का पर्दाफाश किया गया था। करोड़ों के उक्त घोटाले को कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से दबा लिया गया और दोषी कर्मचारी इस पूरे मामले में साफ निकल गए।

इतने बड़े घोटाले में किसी किस्म की ठोस कार्रवाई न होने का अंजाम यह निकला कि गलत काम करने वाले कर्मचारियों और एजैंटों के हौसले और भी बुलंद हो गए। जिस प्रकार से बतौर बूट आप्रेटर काम करने वाली निजी कंपनी स्मार्ट चिप के कुछ कर्मचारियों द्वारा हर कायदे-कानून को ताक पर रखते हुए गलत कार्यों को अंजाम दिया जाता रहता है, को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर समय रहते सरकार और परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इस तरफ ध्यान न दिया तो आने वाले दिनों में हालात काफी विस्फोटक रूप धारण कर लेंगे। अधिकारियों के हाथों से बात निकलने लगी है और निजी कम्पनी के कर्मचारियों की वजह से विभाग की साख को निरंतर गहरा धक्का लग रहा है। 
 

पहला लाइसैंस जालंधर में बना तो दूसरी बार फतेहगढ़ साहिब से क्यों बनवाया?
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात जो सामने आती है, वह यह कि मूल रूप से गांव हुसैन मुंडा, करतारपुर निवासी मनजीत सिंह पुत्र बख्शीश सिंह नामक आवेदक ने अगर पहला लाइसैंस नं. पीबी-0820150315321 (इश्यू डेट 16 जून, 2015) आर.टी.ए. जालंधर (पीबी 08) में बनवाया था, तो फिर ऐसी क्या बात हो गई कि दूसरी बार अप्रैल, 2018 में जालंधर से लाइसैंस रिन्यू या डुप्लीकेट प्रिंट निकलवाने की जगह एस.डी.एम. फतेहगढ़ साहिब (पीबी 23) से क्यों बनवाया गया। नियमानुसार अगर कोई लाइसैंस पीबी 08 में बनता है तो दोबारा उसे किसी अन्य जगह से रिन्यू या डुप्लीकेट इश्यू नहीं किया जा सकता। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ शातिर व लालची किस्म के कर्मचारियों द्वारा हाल ही में लागू किए गए वाहन 4.0 सिस्टम की खूबियों का अपने निजी फायदे के लिए दुरुपयोग किया जा रहा है। वाहन 4.0 सॉफ्टवेयर के अंतर्गत पूरे भारतवर्ष में कहीं भी किसी भी जिले से बने लाइसैंस की डिटेल देखी जा सकती है और उसका प्रिंट भी निकल सकता है। इसी बात का फायदा उठाकर कुछ लोग गलत बैकलॉग एंट्रियां करके लाइसैंस की डिटेल के साथ छेड़छाड़ करके सारे फर्जीवाड़े को अंजाम देने में लगे हुए हैं। 

क्या है फतेहगढ़ साहिब से लाइसैंस प्रिट निकलवाने का संभावित कारण
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण बात जो उभरकर सामने आती है, वह यह कि अगर इस मामले में सब कुछ सही होता तो फतेहगढ़ साहिब से प्रिंट केवल उसी सूरत में निकलवाया जाता, अगर आवेदक ने अपना एड्रैस चेंज करवाना होता, क्योंकि उस सूरत में आवेदक की एड्रैस डिटेल में फतेहगढ़ साहिब का कोई पता आता न कि जालंधर का पुराना पता। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जालंधर में बरती गई सख्ती की वजह से आवेदक की गैर-मौजूदगी में लाइसैंस का प्रिंट निकलवाने की जरूरत महसूस हुई होगी जिससे फतेहगढ़ साहिब में जुगाड़ तकनीक का इस्तेमाल करते हुए वहां से लाइसैंस का प्रिंट निकलवाया गया है। इस बात की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि लाइसैंस का प्रिंट निकालते समय आवेदक देश से बाहर भी हो सकता है और उसे वहां लाइसैंस की जरूरत पडऩे पर ऐसा किया गया हो, क्योंकि वाहन 4.0 के अंतर्गत पिं्रट निकालने के लिए आवेदक का दोबारा निजी तौर पर पेश होकर फोटो करवाना अनिवार्य है इसलिए पुरानी री-पुश सुविधा का गलत ढंग से इस्तेमाल करके इस पूरे काम को अंजाम दिया गया है। 

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