सैंकड़ों मीटिंगें, लाखों का खर्च, ट्रैफिक व्यवस्था में नहीं सुधार

Edited By Vatika,Updated: 14 Sep, 2018 12:56 PM

traffic police jalandhar

महानगर में ट्रैफिक मैनेजमैंट सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। जगह-जगह घंटों ट्रैफिक जाम, सड़कों पर अवैध कब्जे, मस्त ट्रैफिक पुलिस और अस्त-व्यस्त ट्रैफिक व्यवस्था कुछ ऐसा हाल है शहर का। ट्रैफिक मैनेजमैंट सिस्टम सुधारने के लिए सरकार की ओर से रोड...

जालंधर(रविंदर): महानगर में ट्रैफिक मैनेजमैंट सिस्टम पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। जगह-जगह घंटों ट्रैफिक जाम, सड़कों पर अवैध कब्जे, मस्त ट्रैफिक पुलिस और अस्त-व्यस्त ट्रैफिक व्यवस्था कुछ ऐसा हाल है शहर का। ट्रैफिक मैनेजमैंट सिस्टम सुधारने के लिए सरकार की ओर से रोड सेफ्टी कमेटी का गठन किया गया है जिसमें महानगर के पुलिस कमिश्रर, एस.एस.पी., डिप्टी कमिश्रर, सिविल सर्जन और नगर निगम कमिश्रर को शामिल किया गया है, मगर पिछले कई सालों से यह अधिकारी सिर्फ मीटिंगें ही करते रहे हैं, शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने के लिए इनके पास कोई योजना नहीं है। 

जब से रोड सेफ्टी कमेटी का गठन किया गया है, तब से सैंकड़ों मीटिंगें हो चुकी हैं। इन पर लाखों रुपए का खर्च हो चुका है। बस चाय-पानी व खाना-पीना चलता है, कई योजनाएं बनती हैं, मगर इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जाता। रोड सेफ्टी कमेटी की मीटिंग में लिया गया हर फैसला धरातल पर आकर ध्वस्त हो जाता है। ट्रैफिक कंट्रोल में अवैध कब्जे भी सबसे बड़ी बाधा बन रहे हैं। शहर के हालात ये हैं कि कब्जाधारियों ने सड़कों पर तो 5 से 15 फुट तक कब्जा किया ही है, साथ ही फुटपाथ भी खा गए हैं। शहर का ऐसा कोई चौक या चौराहा नहीं जहां सड़कों पर अवैध कब्जों के कारण घंटों जाम न लगता हो। नगर निगम, जिला प्रशासन व ट्रैफिक पुलिस के आपसी तालमेल के अभाव में शहर की जनता पिस रही है। जाम में फंसी जनता रोजाना सरकारों व अधिकारियों को कोसती है, मगर अधिकारियों को अपनी ड्यूटी तक याद नहीं आती है। कई मामलों में तो पैसे लेकर सड़कों या फुटपाथों पर कब्जे करवाए जाते हैं। अवैध कब्जों के प्रति कार्रवाई की जिम्मेदारी नगर निगम की है, मगर नगर निगम ने कभी भी ईमानदारी से अपनी ड्यूटी नहीं निभाई। 


ट्रैफिक कंट्रोल करने की जहमत नहीं उठाते ट्रैफिक मुलाजिम
ट्रैफिक पुलिस का भी सिर्फ इतना काम है कि चालान काटना और सरकार तक ’यादा से ’यादा रैवेन्यू पहुंचाना। ट्रैफिक पुलिस ने कभी भी नागरिकों के ट्रैफिक जाम से छुटकारा दिलाने के प्रति अपनी ड्यूटी को नहीं निभाया है। पीक ऑवर में शहर में बेलगाम दौड़ते ऑटो रिक्शा इस तरह जाम लगाते हैं कि शहर की सारी व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है और घंटों जाम में आम जनता पिसती रहती है, मगर ट्रैफिक पुलिस सिर्फ ट्रैफिक नियम तोडऩे वालों की धरपकड़ करती ही दिखाई देती है। पीक ऑवर में घंटों जाम लगने के बाद भी किसी ट्रैफिक मुलाजिम ने ट्रैफिक कंट्रोल करने की जहमत नहीं उठाई है। 

धड़ाधड़ दौड़ती ट्रालियों पर कोई कार्रवाई नहीं
पिछले दिनों हुई रोड सेफ्टी कमेटी की मीटिंग में शहर में अवैध रूप से दौड़ती ट्रैक्टर-ट्रालियों को लेकर गंभीरता से विचार-विमर्श हुआ। पुलिस कमिश्रर पी.के. सिन्हा ने भी माना कि इन अवैध ट्रालियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए, मगर मीटिंग खत्म होने के बाद अधिकारी मीटिंग में हुई सभी बातें भूल गए। अभी भी रोजाना अवैध रूप से सड़कों पर दौड़ रही यह ट्रैक्टर-ट्रालियां लोगों की जान से खेल रही हैं। 

अवैध वसूली कर कब्जा करवाता है नगर निगम का तहबाजारी विभाग
नगर निगम का काम सिर्फ इतना है कि अवैध बिल्डिंगों के प्रति कार्रवाई करना और सड़कों व फुटपाथों पर कब्जा करने वालों से अवैध वसूली करना। सड़कों या फुटपाथों पर कभी भी नगर निगम ने गंभीरता से कार्रवाई नहीं की। यही कारण है कि सड़कों पर लगातार हो रहे कब्जों के कारण ट्रैफिक प्रबंधन पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है।  नगर निगम का तहबाजारी विभाग खुद सड़कों व फुटपाथों पर अवैध वसूली कर कब्जा करवाता है। शहर के सभी चौराहों पर रेहड़ी, फड़ी व दुकानदारों ने कई-कई फुट तक अवैध कब्जा जमाया हुआ है, मगर इन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। 

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