शाहकोट उपचुनाव उपरांत नैगेटिव रिजल्ट वाले स्कूलों पर होगी कार्रवाई : डी.ई.ओ.

Edited By Anjna,Updated: 27 May, 2018 10:21 AM

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शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर बच्चों को नए-नए ढंग से शिक्षा देने के लिए निरंतर दी जा रही ट्रेङ्क्षनग के बावजूद प्रदेश में शिक्षा का स्तर गिरता ही चला जा रहा है। इसका मुख्य कारण स्कूलों में अध्यापकों की कमी तथा उनसे गैर-शिक्षण कार्य लेना माना जा रहा...

जालंधर (पांडे): शिक्षा विभाग द्वारा समय-समय पर बच्चों को नए-नए ढंग से शिक्षा देने के लिए निरंतर दी जा रही ट्रेङ्क्षनग के बावजूद प्रदेश में शिक्षा का स्तर गिरता ही चला जा रहा है। इसका मुख्य कारण स्कूलों में अध्यापकों की कमी तथा उनसे गैर-शिक्षण कार्य लेना माना जा रहा है। हालत तो यह है कि सरकारी स्कूलों के रिजल्ट में प्राइवेट स्कूलों की तुलना में दिन-प्रतिदिन गिरावट ही नजर आ रही है। इस बार जिले के 26 स्कूल ऐसे हैं जिनका रिजल्ट 25 प्रतिशत से भी कम है।

विभाग ने इस बार के परीक्षा नतीजों में जिन स्कूलों का रिजल्ट नैगेटिव आया है, उन स्कूलों के अध्यापकों का पक्ष जानने के लिए उन्हें जवाब-तलब किया है। जिला शिक्षा अधिकारी सैकेंडरी सतनाम सिंह बाठ ने बताया कि जिले के शाहकोट में उपचुनाव होने के उपरांत उन स्कूलों के अध्यापकों पर कार्रवाई होगी जिनके स्कूलों का रिजल्ट नैगेटिव है तथा जिस अध्यापक के विषय में बच्चे फेल हुए हैं। उन्होंने बताया कि विभागीय कार्रवाई के तहत ए.सी.आर., सॢवस बुक में नैगेटिव एंट्री सहित इंक्रीमैंट रोकी जानी इत्यादि शामिल है। कुल मिलाकर प्राइवेट स्कूलों के आगे सरकारी स्कूलों के दिन-प्रतिदिन गिरते रिजल्ट के चलते जिले की शिक्षा राम भरोसे हो गई है। 

एक-दो अध्यापक के भरोसे सरकारी हाई स्कूल    
 जिले के कई सरकारी हाई स्कूल ऐसे हैं, जहां पर सिर्फ एक या दो ही अध्यापक पूरे स्कूल को चला रहे हैं। मुंडी कासों स्कूल जहां पर छात्रों की संख्या लगभग 100 के करीब है, वहां पर एक ही अध्यापक स्कूल का कार्यभार देख रहा है। हालत तो यह है कि उक्त अध्यापक ही स्कूल की डाक बनाता है व स्कूल के अन्य सभी कार्य देखता है। साथ में 2 टीचर डैपूटेशन हैं। इस स्कूल के 38 छात्रों में सिर्फ 2 ही छात्र पास हुए हैं, वहीं 10 छात्रों की कम्पार्टमैंट आई है। इसी तरह गिद्दड़पिंडी, खीवां सरकारी स्कूल में विषय के अध्यापकों की कमी है।

जो अध्यापक हैं, वे दूरदराज जिलों के होने के कारण देरी से आते हैं जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। उक्त स्कूलों का 10वीं का रिजल्ट जीरो आया है। एक प्रश्र के जवाब में जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि जिन स्कूलों में अध्यापकों की संख्या में कमी आई है, उन स्कूलों में पास के स्कूलों से अध्यापकों की व्यवस्था की गई है ताकि बच्चों की पढ़ाई का नुक्सान न हो। जिले में मास्टर कैडर के अध्यापकों के मंजूर पद 3667 हैं जबकि स्कूलों में 2697 पद भरे हैं बाकी 970 पद अध्यापकों के खाली पड़े हैं। 

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