Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jan, 2018 11:41 AM
पब्लिक व पुलिस के बीच दोस्ताना संबंध बनाने के लिए डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा के आदेश पर तैनात सी.पी.ओ. (कम्युनिटी पुलिस अफसर) भाग गए हैं। अब उनको अलाट किए कमरे वीरान पड़े हैं और पद खाली हो गए हैं। सी.पी.ओ. के पद खाली होने से अब जनता को शिकायत लेकर...
जालंधर (शौरी): पब्लिक व पुलिस के बीच दोस्ताना संबंध बनाने के लिए डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा के आदेश पर तैनात सी.पी.ओ. (कम्युनिटी पुलिस अफसर) भाग गए हैं। अब उनको अलाट किए कमरे वीरान पड़े हैं और पद खाली हो गए हैं। सी.पी.ओ. के पद खाली होने से अब जनता को शिकायत लेकर दोबारा मुंशी व थानेदार के कमरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। यही वजह है कि पुलिस व पब्लिक के बीच दोस्ताना संबंध दोबारा खराब होने शुरू हो गए हैं। इससे यह कहावत चरितार्थ होती है कि पुलिस विभाग का हाल ‘चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात’। अच्छे आचरण व स्वभाव वालों को तैनात किया गया था सी.पी.ओ. : सी.पी.ओ. की तैनाती डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा का ड्रीम प्रोजैक्ट था।
इस प्रोजैक्ट के तहत पुलिस व पब्लिक के बीच अच्छे संबंध बनाने के लिए काफी विचार-विमर्श के बाद सी.पी.ओ. प्रोजैक्ट शुरू करने की योजना तैयार की गई थी। प्राय: यही सामने आ रहा था कि शिकायत लेकर जो फरियादी थाने जाते हैं, उनके साथ पुलिस मुलाजिम या ड्यूटी अफसर दुव्र्यवहार करते हैं। दूसरी तरफ पुलिस मुलाजिमों का तर्क होता था कि उन पर काम का बोझ अधिक होता है। फाइल से रजिस्टर तक पूरे करने में दिमाग खपाना पड़ता है। ऊपर से कोर्ट केस, गवाहियां, पेशियों के अलावा नाके लगाने पड़ते हैं जिस कारण पब्लिक को सही ढंग से डील नहीं कर पा रहे थे। वहीं लोगों का तर्क था कि हम जब थाने जाते हैं तो उलटा पुलिस मुलाजिम उन्हें ही धमकाने लगते हैं, जैसे हमने कोई कसूर किया हो।
इस समस्या को दूर करने के लिए आखिरकार सी.पी.ओ. को नियुक्त किया गया। हर थाने में सी.पी.ओ. को रूम अलॉट किया गया। सी.पी.ओ. के कंधों पर सिर्फ पब्लिक डीलिंग की जिम्मेदारी ही थी।उसके सिर पर कोर्ट, नाकेबंदी आदि की जिम्मेदारी नहीं थी। ऐसे में अच्छे स्वभाव वाली खासकर नई भर्ती हुई महिला पुलिस मुलाजिमों को सी.पी.ओ. तैनात किया गया। थाने में फरियादी पहले सी.पी.ओ. के पास जाकर अपनी शिकायत बताता तो सी.पी.ओ. उसको सुनने के बाद रजिस्टर में पूरा विवरण दर्ज करता है और फरियादी को आश्वासन देकर चाय-पानी पिलाने के बाद थानेदार से मिलवाया जाता है। इसकी रोजाना मॉनीटरिंग पुलिस कमिश्रर द्वारा की जाती थी।
थाना रामा मंडी में भी हुआ था हंगामा, पुलिस पर लगा था आरोप
3 दिन पहले ही एक नाबालिग लड़की के साथ रेप के बाद चाचा जब शिकायत लेकर रामा मंडी थाने गया तो उसका कहना था कि उसके साथ पुलिस का रवैया काफी गलत था। उसे मारा-पीटा गया और जेब से 200 रुपए निकाल लिए गए। हालांकि पुलिस जांच में ये आरोप झूठे पाए गए। सोचने वाली बात है कि अगर सी.पी.ओ. की तैनाती होती तो यह वाक्या न होता।
थानों व दफ्तरों में बदली करवा ली सी.पी.ओ. ने
सी.पी.ओ. प्रोजैक्ट की नजरअंदाजी होती देखकर थानों में तैनात सी.पी.ओ. ने अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर अपने तबादले या तो कमिश्रर कार्यालय में करवा लिए या फिर किसी थाने में। अब फरियादी दोबारा मुंशी या थानेदार के कार्यालय के बाहर खड़े दिखने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक सी.पी.ओ. की छुट्टी के बाद अब मुंशी की दोबारा चांदी हो गई है। अब दोबारा शिकायतें सीधी उनके मेज पर आने लगी हैं।