कश्मीरी हैकरों ने फिर खोली ढीली व्यवस्था की पोल

Edited By Vatika,Updated: 29 Apr, 2018 10:32 AM

kashmir hacker

गत दिनों शहर के एक कॉलेज के कुछ कश्मीरी छात्रों को सरकारी वैबसाइटों को हैक करने के आरोप में पुलिस ने पकड़े थे। ये छात्र मिट्ठू बस्ती में एक एन.आर.आई. की कोठी में किराए पर रह रहे थे। इन लोगों के पकड़े जाने से एक बार फिर से सवाल खड़ा हो गया है कि मकान...

जालन्धर (बुलंद): गत दिनों शहर के एक कॉलेज के कुछ कश्मीरी छात्रों को सरकारी वैबसाइटों को हैक करने के आरोप में पुलिस ने पकड़े थे। ये छात्र मिट्ठू बस्ती में एक एन.आर.आई. की कोठी में किराए पर रह रहे थे। इन लोगों के पकड़े जाने से एक बार फिर से सवाल खड़ा हो गया है कि मकान मालिक कमरे किराए पर देकर उसकी पूरी जानकारी संबंधित थानों में क्यों नहीं दर्ज करवाते हैं।हैरानी की बात है कि इस मामले बारे डी.सी.पी. ने धारा-144 के तहत आदेश जारी किए हुए हैं कि शहर में कहीं भी अगर कोई मकान मालिक कोई किराएदार को अपने मकान में रखता है तो उसके बारे पूरी जानकारी संबंधित पुलिस थाने में देनी जरूरी है लेकिन जैसे रिक्शा वाले पुलिस के आदेशों को ठेंगा दिखाकर बिना छत रिक्शा चलाते हैं वैसे ही मकान मालिक भी धारा-144 की परवाह किए बगैर किराएदारों से पैसे वसूलने में लगे हैं और पुलिस को किराएदारों की कोई जानकारी नहीं दी जाती।

बिना इन्फार्मेशन के रह रहे किराएदार करते हैं कांड!
जानकारों की मानें तो शहर व आसपास के इलाकों में हजारों लोग ऐसे हैं जो किराए पर रह रहे हैं और उनमें से अधिकतर लोग तो दूसरे राज्यों से आए हुए कारीगर टाइप लोग हैं। जानकार बताते हैं कि शहर के अंदरूनी इलाकों जैसे सुनियारा बाजार, लाल बाजार, पापडिय़ां बाजार, शेखां बाजार आदि में काम करने वाले सैंकड़ों कारीगर जो अधिकतर महाराष्ट्र, चेन्नई और बंगाल से होते हैं, किराए पर कमरे लेकर रह रहे हैं पर उनका पुलिस के पास कोई रिकार्ड नहीं है। इसी प्रकार टाइलों और पत्थर का काम करने वाले सैंकड़ों कारीगर जो अधितकर यू.पी., बिहार, एम.पी. आदि से हैं वे अवतार नगर, बस्ती शेख, बस्ती गुजां, बस्ती बावा खेल, बस्ती दानिशमंदां आदि इलाकों में कमरे लेकर रहते हैं, उनका भी इलाके के  थानों में कोई रिकार्ड नहीं है। इसी प्रकार शहर के यूनिवर्सिटी व कॉलेजों में सैंकड़ों छात्र दूसरे राज्यों से आकर पढ़ते हैं और वे शहर के विभिन्न इलाकों में कमरे लेकर रह रहे हैं पर उनका किसी पुलिस थाने में कोई रिकार्ड नहीं हैं। जब फिर कश्मीरी छात्र किसी न किसी अपराध के चलते सामने आते हैं तो सवाल यही उठता है कि दिल्ली की पुलिस को तो अपराधियों का पता चल गया पर जालंधर में रह कर वे जो करते रहे उस बार कमिश्नरेट पुलिस को क्यों कुछ पता नहीं चल सका। 

कागजी आदेशों का जनता को कोई भय नहीं!
मामले बारे जमीनी हकीकत देख कर लगता है कि पुलिस कमिश्नर के आदेश महज कागजों तक सीमित रह चुके हैं। लोग उन आदेशों की पालना करने की कोशिश भी नहीं कर रहे। धारा-144 के तहत जारी आदेश महज एक औपचारिकता बन कर रह गए हैं। जिला पुलिस के पास रिकार्ड ही नहीं है कि कितने बिहारी, नेपाली, कश्मीरी या ऐसे अन्य स्टेटों के लोग जालंधर में रह रहे हैं और वे क्या काम करते हैं। उनका कोई करैक्टर रिकार्ड जिला पुलिस के पास है ही नहीं। ऐसे में सवाल उठता है कि सारा पुलिस सिस्टम क्या सिर्फ लोगों के चालान काटने में व्यस्त है? क्यों नहीं सी.आई.डी., आई.बी., जिला पुलिस, होमगार्ड जैसी अन्य एजैंसियों की मदद अपराध रोकने, अपराधियों पर नजर रखने और उनसे संबंधित आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए ली जा रही। हैरानी की बात है कि अधिकतर पुलिस स्टाफ तो पॉलीटिकल वी.आई.पी. ड्यूटियों से ही फुर्सत नहीं ले पा रहा। इससे लगातार लोगों का भरोसा पुलिस पर से कम होता जा रहा है। आज तक पुलिस ने शायद ही ऐसे मकान मालिकों पर नकेल कसने की कोशिश की हो जोकि किराएदारों की जानकारी नहीं दे रहे।
 

जब सिर पर पड़ती है तो फिर कहते हैं पुलिस सख्ती करती है : सिन्हा
मामले बारे पुलिस कमिश्नर प्रवीन सिन्हा का कहना है कि लोग चाहते हैं सब कुछ रैडीमेड मिले, हमें कुछ न करना पड़े। डी.सी.पी. ने धारा-144 के तहत आदेश किए हैं कि किराएदारों की जानकारी संबंधित थानों में दर्ज करवाई जाए पर लोग इस बारे में कुछ नहीं करते। जब कोई कांड होता है और फिर पुलिस ऐसे मकान मालिकों पर सख्ती करती है जो किराएदारों की जानकारी नहीं देते तो फिर पुलिस पर सवाल उठाते हैं कि पुलिस जानबूझ कर सख्ती करती है। सिन्हा ने कहा कि जल्द ही सारे थानों के रिकार्ड की जांच करवाई जाएगी कि कितने थानों के तहत किराएदारों का रिकार्ड दर्ज करवाया गया है या नहीं करवाया गया। इसके बाद उन सारे मकान मालिकों पर सख्त कार्रवाई होगी जो पुलिस के आदेशों की पालना नहीं कर रहे और किराएदारों का रिकार्ड न जमा करवाकर धारा-144 की उल्लंघना कर रहे हैं।

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