Edited By Vatika,Updated: 12 Jul, 2018 12:53 PM
जालंधर कमिश्नरेट पुलिस खुद के दिए गए आदेशों का पालन करवाने में फेल साबित हो रही है जिसकी इसी लापरवाही के कारण शहर अपराधियों का हब बनता जा रहा है। अपराधियों का जालंधर में किराए के मकानों में रहना इतना आसान हो चुका है कि वे यहां खुद को सेफ मानते हैं।...
जालंधर(वरुण): जालंधर कमिश्नरेट पुलिस खुद के दिए गए आदेशों का पालन करवाने में फेल साबित हो रही है जिसकी इसी लापरवाही के कारण शहर अपराधियों का हब बनता जा रहा है। अपराधियों का जालंधर में किराए के मकानों में रहना इतना आसान हो चुका है कि वे यहां खुद को सेफ मानते हैं। हैरानी की बात है कि आदेशों को नजरअंदाज करने वाले मकान मालिकों पर पुलिस ने कार्रवाई तक नहीं की।
तस्कर सोनू से लेकर दीपक हत्याकांड के आरोपी की भी नहीं हुई थी वैरीफिकेशन
हद तो उस समय हो गई जब पुलिसकर्मी पर किशनपुरा रोड पर फायरिंग करने वाले नशा तस्कर सोनू के बारे पुलिस को कोई सूचना नहीं थी। अगर सी.आई.ए. स्टाफ के इंचार्ज अजय सिंह सी.सी.टी.वी. फुटेज से सोनू को न पहचानते तो शायद उसकी पहचान ही नहीं हो पाती। सोनू अवतार नगर की गली नंबर 9 में एक मारे जा चुके आतंकी के घर रह रहा था। उसने अवतार नगर में 2 मकान किराए पर लिए थे लेकिन उसकी वैरीफिकेशन तक नहीं करवाई गई थी। चर्चा थी कि सोनू ने शहर में कुल 5 मकान किराए पर लिए थे ताकि नशा की तस्करी के लिए उसे दिक्कत न हो। बस्तीयात इलाके में हुए दीपक हत्याकांड में पकड़े गए 2 आरोपियों में से एक बिहार से आकर बिना वैरीफिकेशन के मोता सिंह नगर में रह रहा था। जालंधर पुलिस की लापरवाही के इतने चर्चे हैं कि अपराधी बाहरी शहर से आकर जालंधर में वारदातें करके फरार होने में भी कामयाब हो जाते हैं। इसका एक उदाहरण सफेद रंग की एक्टिवा पर स्नैचिंग की वारदातें करने वाले 2 लुटेरे हैं। सुनील व अर्श नाम के दोनों स्नैचर कपूरथला के निवासी हैं जो जालंधर के पॉश इलाके मॉडल टाऊन में स्नैचिंग करके उसी एक्टिवा पर कपूरथला पहुंच जाते थे जिन्होंने पुलिस की लापरवाही का फायदा उठाते हुए कुछ ही समय में 14 वारदातें कीं। उजाला नगर में एक भाजपा नेत्री की रिश्तेदार नाबालिग युुवती से गैंगरेप व उसके एक दिन बाद ही बुजुर्ग महिला को घायल करके लूट के केस में पकड़ा गया आरोपी भी जालंधर में बिना वैरीफिकेशन के ही रह रहा था। कई ऐसे नशा तस्कर पुलिस जेल भेज चुकी है जो जालंधर में किराए के मकानों पर रह कर अपराध कर रहे थे और काफी देरी से पुुलिस उन तक पहुंची।
सड़कों पर सामान बेचने वालों की भी कोई जानकारी नहीं
जालंधर पुलिस की लापरवाही यहीं खत्म नहीं होती। शहर के चौराहों पर सामान बेचने वाले लोगों के बारे भी पुलिस को कोई जानकारी नहीं है कि वे कहां से आए हैं, उनका रिकार्ड क्या है। ऐसा भी हो सकता है कि रात के समय चोरी की वारदातें करने की पीछे इन लोगों की भूमिका हो। पुलिस ने उन लोगों के बारे जानने के लिए उनसे कभी पूछताछ तक नहीं की। झुग्गियों में रहने वाले लोगों के बारे भी पुलिस के पास कोई डिटेल नहीं है, जबकि रेलवे स्टेशन के आसपास रहने वाले बाबाओं की वेशभूषा में घूम रहे लोगों की कोई लिस्टिंग नहीं की गई।
नौकरों की भी नहीं है लिस्ट
जालंधर पुलिस के किसी भी थाने में किराएदारों से लेकर नौकरों की लिस्ट तक तैयार नहीं है। अगर खुद कोई वैरीफिकेशन देकरआ जाए तो ठीक, वर्ना पुलिस ने कभी भी इन लोगों पर कार्रवाई करने के लिए खुद रेड करके जांच नहीं की। यही कारण है कि किराएदारों से लेकर पी.जी. में रह रहे लोगों के बारे जालंधर पुलिस कुछ नहीं जानती। रामामंडी व सदर क्षेत्र में सबसे ज्यादा पी.जी. हैं जहां विदेशी छात्र रहते हैं। कुछ समय पहले थाना रामामंडी की पुलिस ने पी.जी. में रह रहे नाइजीरियन युवक व युवती को हैरोइन की खेप समेत पकड़ा था, जो छात्र बनकर वहां रह रहे थे।