बरसों से असला ब्रांच में टिके कर्मचारियों के क्यों नहीं होते तबादले?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Jul, 2018 01:23 PM

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पंजाब सरकार के आदेशों के अनुसार किसी भी सरकारी कर्मचारी को लंबे समय तक एक ही सीट पर तैनात न रखा जाए क्योंकि इससे संबंधित विभाग में भ्रष्टाचार बढऩे की आशंका बनी रहती है लेकिन शायद सरकार के इन निर्देशों को कमिश्नरेट पुलिस के अधीन आती असला ब्रांच वाले...

जालंधर (बुलंद): पंजाब सरकार के आदेशों के अनुसार किसी भी सरकारी कर्मचारी को लंबे समय तक एक ही सीट पर तैनात न रखा जाए क्योंकि इससे संबंधित विभाग में भ्रष्टाचार बढऩे की आशंका बनी रहती है लेकिन शायद सरकार के इन निर्देशों को कमिश्नरेट पुलिस के अधीन आती असला ब्रांच वाले ज्यादा तवज्जों देना जरूरी नहीं समझते। यही कारण है कि पुलिस कमिश्नरेट की असला ब्रांच में कर्मचारियों को अपनी सीटों से इतना मोह है कि कई कर्मचारियों का रिकार्ड देखें तो उन्होंने अपनी कुल नौकरी का 80 प्रतिशत समय असला ब्रांच में ही काम करके निकाला है।

पैसा बरसता है असला ब्रांच में
जानकार बताते हैं कि असला ब्रांच में पैसा बरसता है। नए लाइसैंस का फार्म देने से लेकर लाइसैंस से संबंधित इतने काम हैं कि लोग अपने काम करवाने के लिए विभागीय कर्मचारियों की हर प्रकार से सेवा करने के तैयार रहते हैं। सूत्रों की मानें तो असला ब्रांच में कई कर्मचारियों ने सरकार के 3 साल एक सीट पर रहने के बाद तबादले वाली नीति को भी चकमा देने के फार्मूले के तहत 3 साल बाद एक-दो महीने के लिए किसी और सीट पर तैनाती करवाकर दोबारा असला ब्रांच में ही अपना तबादला करवाकर अपनी सीट पक्की रखी है। असला ब्रांच के प्रति कर्मचारियों का मोह कई प्रकार के सवाल खड़े करता है।


असला ब्रांच के तबादलों पर क्यों नहीं होती कमिश्नर सिन्हा की सख्ती?
गत वर्ष जालंधर के पुलिस कमिश्नर बने प्रवीण सिन्हा ने आते ही असला ब्रांच की लगामें कसी थीं। उन्होंने अनेकों लाइसैंस रद्द किए और कई लोगों के लाइसैंस बनाने से मना तक किया जिससे ब्रांच के कारोबार में मंदी देखी जा रही है, पर कमिश्नर सिन्हा की सख्ती असला ब्रांच के कर्मचारियों के तबादलों पर नहीं देखी गई। असला ब्रांच में कई कर्मचारी इस कदर अपना दबदबा कायम किए हुए हैं कि लोग आकर उन्हें यहां तक कहते देखे जा सकते हैं कि जो काम कमिश्नर नहीं करवा सकते आप करवा सकते हो। अब देखना होगा कि पुलिस कमिश्नर असला ब्रांच में वर्षों से डेरा जमाकर बैठे कर्मचारियों की जांच करवाकर कब तक एक्शन लेते हैं। मामले बारे विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि असल में क्लैरिकल स्टाफ पर तबादलों के उक्त नियम लागू नहीं होते। असला लाइसैंस का काम तकनीकी है, इसलिए इस पर स्टाफ तजुर्बेकार चाहिए। जब उनसे पूछा कि क्या इससे भ्रष्टाचार नहीं बढ़ेगा तो उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।

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