फर्जीवाड़ा: शुरू से लेकर आखिर तक जाली बैकलॉग एंट्री करमोहाली में बना हैवी लाइसैंस

Edited By Vatika,Updated: 21 Sep, 2018 11:19 AM

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पंजाब केसरी द्वारा परिवहन विभाग में  निजी कंपनी के कर्मचारियों द्वारा गलत बैकलॉग एंट्री करने के साथ-साथ लाइसैंस की फोटो एडिट कर बेहद बड़े स्तर पर किए गए फर्जीवाड़े को उजागर किया गया था, जिसमें अब तक प्रदेश के कई जिलों में एक ही पैटर्न को अपनाते हुए...

जालंधर(अमित): पंजाब केसरी द्वारा परिवहन विभाग में  निजी कंपनी के कर्मचारियों द्वारा गलत बैकलॉग एंट्री करने के साथ-साथ लाइसैंस की फोटो एडिट कर बेहद बड़े स्तर पर किए गए फर्जीवाड़े को उजागर किया गया था, जिसमें अब तक प्रदेश के कई जिलों में एक ही पैटर्न को अपनाते हुए निजी कंपनी के कर्मचारियों द्वारा फर्जीवाड़ों को अंजाम दिए जाने के बहुत से मामले सामने आ चुके हैं। 

होशियारपुर आर.टी.ए. दफ्तर में 57 जाली हैवी लाइसैंस बनाए जाने की पुष्टि हो चुकी है। इनके अलावा अमृतसर, बटाला, राजपुरा, फतेहगढ़ साहिब, नकोदर आदि दफ्तरों में गलत ढंग से बनाए गए जाली हैवी व डायरैक्ट लाइसैंसों की भी  खबरें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसी कड़ी में अगला नाम मोहाली का जुड़ा है। यहां भी जाली हैवी लाइसैंस बनाने के लिए निजी कंपनी के कर्मचारियों ने बड़ी चालाकी बरतते हुए किसी अन्य शहर का लाइसैंस नंबर दर्शाकर बैकलॉग एंट्री कर जाली हैवी लाइसैंस जारी करने की करामात को अंजाम दिया है। 

क्या है मामला, कैसे दिया गया फर्जीवाड़े को अंजाम
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जसपाल सिंह पुत्र मोहिंद्र सिंह निवासी गांव सैदपुर, पोस्ट आफिस लांडरां, एस.ए.एस. नगर (मोहाली) का हैवी लाइसैंस नंबर पीबी-0820130018108 04-12-2013 की इश्यू-डेट दर्शाकर जुलाई, 2018 में बनाया गया। इस लाइसैंस की बैकलॉग एंट्री पूरी तरह से जाली है। नान-ट्रांसपोर्ट की कैटेगरी ही नहीं दर्शाई गई है जो बिल्कुल भी संभव ही नहीं है। जाली हैवी लाइसैंस बनाते समय सीधा ही ट्रांसपोर्ट (हैवी) लाइसैंस बना दिया गया है। पुराने लाइसैंस की इश्यू डेट 2013 दर्शाई गई है, मगर सोचने वाली बात है कि 2013 में स्मार्ट कार्ड बनता था, इसलिए बैकलॉग का कोई औचित्य ही नहीं रह जाता। इस जाली हैवी लाइसैंस को बनाते समय लाइसैंस इश्यू करने वाली अथारिटी जालंधर को सिलैक्ट किया गया है जिसके लिए लाइसैंस का नंबर पीबी-08 लगा दिया। इस लाइसैंस में बकायदा तौर पर आवेदक का मोबाइल नंबर भी दर्ज किया गया है, ताकि फर्जीवाड़ा किसी की पकड़ में न आ सके। 

लाइसैंस में ऑनलाईन दर्शाया गया किसी और व्यक्ति का नंबर
उक्त जाली हैवी लाइसैंस जारी करते समय आनलाईन जानकारी भरते समय एक मोबाईल नंबर 78886-279&8 दर्ज किया गया है, मगर जब इस नंबर पर फोन करके पूछा गया तो सामने वाले ने कहा कि  न तो यह नंबर जसपाल का  है और न ही वह लांडरां से बोल रहा है। मोबाइल नंबर रोपड़ निवासी किसी अन्य व्यक्ति का डाला गया है। 

पूरे प्रदेश में निजी कंपनी के कर्मचारियों का चल रह तगड़ा नैटवर्क
सूत्रों की मानें तो मौजूदा समय के अंदर पूरे प्रदेश में बड़ी गिनती में निजी कंपनी के कर्मचारियों का तगड़ा नैटवर्क चल रहा है, जिसके अंतर्गत यह लोग आपस में तालमेल स्थापित करके इतने बड़े स्तर पर जालसाजी को अंजाम दे रहे हैं। व्हाटसएप पर आवेदक की सारी डिटेल दूसरे जिले में काम करने वाले कर्मचारी के पास भेजी जाती है। जहां वह गलत बैकलॉग एंट्री करके अपने हिस्से की जिम्मेदारी का निर्वाह कर देता है, जिसके उपरांत आवेदक की फोटो करवाकर उसे डुप्लीकेट लाइसैंस प्रिंट निकलवा दिया जाता है। इस काम में जोखिम कम होता है, क्योंकि अधिकतर मामलों में आवेदक के शहर वाले आर.टी.ए. दफ्तर में ही उसकी डिटेल जांची जाती है। दूसरे जिलों से हुई बैकलॉग एंट्री की तरफ कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता।


 

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